Pradyuman Murder Case: गलत कौन है सीबीआई या हरियाणा पुलिस?
नई दिल्ली। गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल का प्रद्युम्न ठाकुर केस भी नोएडा के आरुषि-हेमराज हत्याकांड की ओर जा रहा है। क्योंकि इस केस में हरियाणा पुलिस ने जो थ्योरी पेश की वो किसी के गले नहीं उतरी और फिर अब जो थ्योरी सामने आ रही है, वो भी गले नहीं उतर रही है। सीबीआई ने रेयान स्कूल के ही 11 वीं के छात्र को गिरफ्त में लिया है और बताया जा रहा है कि इसी छात्र ने प्रद्युम्न की हत्या की है। इसका जो आधार है वो अभी आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है लेकिन कहा जा रहा है कि वो स्कूल की छुट्टी कराना चाहता था और उसने अपने दोस्तों से कहा था कि वो कुछ ऐसा करेगा कि परीक्षा टल जाएगी। यही नहीं वो पीटीएम को टालना चाहता था ताकि उसे डांट न पड़े। ये भी कहा जा रहा है कि वो चाकू लेकर आता था और इसी चाकू से उसने प्रद्युम्न को मौत के घाट उतार दिया।
हरियाणा पुलिस पर उठ रहे सवाल
सीबीआई ने कई बार उससे पूछताछ की और उसके बाद गिरफ्तार कर लिया। ये भी कहा जा रहा है कि वो सीसीटीवी में चाकू ले जाते दिखाई दिया है। अब सवाल एक नहीं दो उठ रहे हैं। पहला सवाल हरियाणा पुलिस पर उठ रहा है जिसने इतनी तत्परता से उसी दिन केस सुलझाने का दावा किया और स्कूल बस कंडक्टर अशोक को गिरफ्तार कर लिया। सारे घटनाक्रम को जोड़ दिया गया कि वो बाथरूम में गया और कैसे उसने प्रद्युम्न की हत्या की। ये भी कहा गया कि वो वारदात के पहले बाथरूम में जाते देखा गया और निकलते भी। प्रद्युम्न को भी जाते देखा गया। उसके बाद जिस हालत में वो बाहर आया वो भी सभी को मालूम है। सबसे बड़ी बात ये है कि कंडक्टर ने भी हत्या की जिम्मेदारी ले ली। उसने ये भी कहा कि उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
कंडक्टर ने गुनाह क्यों कबूल किया?
यदि कंडक्टर ने हत्या नहीं की तो उसने गुनाह क्यों कबूल किया। हरियाणा पुलिस ने सारे घटनाक्रम को कैसे जोड़ दिया गया। आखिर ऐसी क्या मजबूरी या दवाब था कि कंडक्टर को आरोपी बनाया गया।
दूसरा सवाल सीबीआई पर आ रहा है कि 11 वीं का छात्र चाकू लेकर आता है। वो पीटीएम टालना चाहता है और वो प्रद्युम्न की हत्या कर देता है लेकिन किसी को भनक नहीं लगती। उस स्कूल में जहां सैकड़ों लोग आसपास मौजूद हों वहां अब तक ऐसा कोई चश्मदीद सामने नहीं आया जिसने कहा हो कि उसने हत्या के आरोपी को संदिग्ध हालत में देखा हो।
आरुषि हत्याकांड जैसा है मामला
आरुषि हत्याकांड में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उसमें भी पुलिस ने जो थ्योरी बनाई उसे सीबीआई ने पलट दिया और फिर सीबीआई ने ही अपनी थ्योरी पलट दी। कुल मिलाकर सालों की जांच के बाद नतीजा जीरो रहा। ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं प्रद्युम्न केस में भी। ये भी उलझने की स्थिति में नजर आ रहा है। कंडक्टर के बाद अब ये छात्र आरोपी बना है। ये वही छात्र ने जिसने माली के पास जाकर सबसे पहले प्रद्युम्न की हत्या की जानकारी दी थी और कंडक्टर ने प्रद्युम्न को उठाया था जिसके बाद उसने अपने खून से सने कपड़े भी धो लिए थे। सवाल कई है जिनके जवाब साफ नहीं है। न तो स्कूल प्रबंधन के, न हरियाणा पुलिस के और न ही सीबीआई के।