मंत्रोच्चारण के बाद खुले विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट, भक्तों में खासा उत्साह
देहरादून। भगवान आशुतोष के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट मंत्रोच्चारण के बाद रविवार सुबह छह बजकर दस मिनट पर खोल दिए गए। जिसके बाद गृह गर्भ में मौजूद स्वयंभू शिव लिंग को पूजा अर्चना की गई, कपाटोद्घाटन के समय बाएं पट से उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल ने सबसे पहले दर्शन किया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल भी इस मौके पर धाम में मौजूद रहे। इसके साथ ही आज से आम श्रद्धालुओं के लिए कपाट खुल गए।

केदारनाथ धाम
आठवीं शताब्दी का भगवान शिव का यह मंदिर समुद्र तल से 3,581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर हिमपात के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद हो जाता है और अप्रैल-मई में दोबारा खोला जाता है। मंदाकिनी नदी के शीर्ष पर शोभायमान गढ़वाल हिमालय के बीच यह मंदिर स्थित है।
|
12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल केदारनाथ धाम
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल केदारनाथ धाम की प्रसिद्धि 5वें ज्योतिर्लिंग के रूप में है। यहां के शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

यात्रा निष्फल जाती
केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है।

महत्वपूर्ण तीर्थस्थल
केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति का बताया गया है। इस मन्दिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर एक हजार वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल रहा है।
यह भी पढ़ें: Buddha Purnima 2018: महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
अधिक उत्तराखंड समाचारView All
जीवनसंगी की तलाश है? भारत मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें - निःशुल्क रजिस्ट्रेशन!