गांधी के देश में उनके पोते क्यों हैं वृद्धाश्र्म में रहने को मजबूर?
नयी दिल्ली। भारत गांधी का देश हैं। अपनी अहिंसा और शांति से बल पर महात्मा गांधी ने राष्ट्रपिता का खिताब पाया, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि गांधी के इस देश में उनके पोते ही वृद्धाश्रम में एक आम जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं।
गांधी जी के पोते और रामदास गांधी के बेटे दिल्ली के बदरपुर के एक वृद्धाश्रम में अपनी पत्नी के साथ रह रहें हैं। कनु गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के तीसरे बेटे रामदास की इकलौती संतान हैं। वो अपने परिवार से अलग अकेले अपनी पत्नी के साथ मजबूरी का ये जीवन बिता रहे हैं। कनुभाई कहते हैं कि मेरे सम्पर्क में कोई नहीं है। मेरी खराब स्थिति के कारण लोग कहते हैं कि ये मर क्यों नहीं जाता।
PM @narendramodi and Kanubhai had a long conversation. They spoke in Gujarati and had a very pleasant discussion. pic.twitter.com/m93Gc3DXwK
— PMO India (@PMOIndia) May 15, 2016
PM @narendramodi has taken note of reports about Shri Kanubhai Gandhi. He asked Minister @dr_maheshsharma to meet Kanubhai.
— PMO India (@PMOIndia) May 15, 2016
महात्मा गांधी के निधन के कुछ समय बाद कनु गांधी पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए और अंतरिक्ष एजेंसी नासा से जुड़ें रहें। 40 साल तक अमेरिका में रहने के बाद 2 साल पहले कनु गांधी भारत आ गए। उन्होंने गुजरात के साबरमती आश्रम में रहने की सोची, लेकिन वहां पहुंच कर उनका मोहभंग हो गया। कनु गांधी को गुजरात नहीं भाया और वो दिल्ली आ गए। यहां वो एक वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। उनकी पत्नी बीमार हैं, लेकिन परिवार को कोई सदस्य उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहता। वो कहते हैं कि अपनी हालत के लिए वो खुद जिम्मेदार हैं।
कनु गांधी प्रधानमंत्री मोदी से काफी प्रभावित हैं और उनसे मिलना भी चाहते हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने अपनी ओर से कोई कोशिश नहीं की है। जब मीडिया में खबरें आने के बाद पीएम मोदी को इसका पता चला तो उनके कहने पर केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा उनसे मिलने आएं। उन्होंने कनुभाई गांधी की पीएम से बात भी कराई। दोनों के बीच काफी देर तक बात हुई। उन्होंने गुजराती में बात की।
कनुभाई गांधी की इस हालत के लिए जब उनसे कोई पूछता है कि महात्मा गांधी के पोते का इसी देश में ये हाल कैसे हो गया तो ये मुस्कुराकर सवाल को टाल जाते हैं। वो अपनी पत्नी की तबियत को लेकर फ्रिकमंद है। वहीं कनुभाई के इस व़द्धाश्रम में आने के बाद से यहां भीड़ बढ़ गई है। लोग उनसे मिलने आते हैं।