सिंधु जल समझौते पर बैठक के बाद बोले पीएम मोदी, खून और पानी साथ नहीं बह सकते
नई दिल्ली। पाकिस्तान के लिए लाइफ-लाइन माने जाने वाले सिंधु जल समझौते का भविष्य क्या होगा इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में अहम बैठक की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
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जम्मू कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को कूटनीतिक रणनीति से घेर रहे हैं। इसी कड़ी में सिंधु जल समझौते को लेकर प्रधानमंत्री आवास पर पीएम मोदी के नेतृत्व में विशेष बैठक हुई।
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इस बैठक में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया लेकिन प्रधानमंत्री ने इस समझौते से जुड़ी बारीकियों की जानकारी अधिकारियों से जरूर ली।
सूत्रों के मुताबिक बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि खून और पानी साथ नहीं बहेगा। पीएम मोदी के इस बयान से यही लग रहा कि वो सिंधु जल समझौते को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
— ANI (@ANI_news) September 26, 2016'>
जल मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री के साथ बैठक में उन्हें सिंधु जल समझौते से जुड़े प्रेजेंटेशन दिखाए गए। साथ ही इस समझौते से जुड़े दूसरे पहलुओं पर विचार किया गया।
क्या रद्द होगा सिंधु जल समझौता?
फिलहाल अभी इस मुद्दे पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी में चर्चा के बाद आखिरी फैसला लिया जाएगा। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारत चेनाब नदी पर 3 बांधों पर निर्माण में तेजी लाने का फैसला लिया है। ये बांध हैं पाकुलदुल बांध, सवालकोट बांध और बुरसर बांध।
इससे पहले पीएम आवास पर अहम बैठक में विदेश सचिव जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्रा शामिल हुए।
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पाकिस्तान के लिए सिंधु जल समझौता इसलिए अहम है क्योंकि अगर भारत इस समझौते को रद्द करता है तो इससे पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा पानी की कमी से तरसने लगेगा।
आपको बता दें कि सिंधु नदी जम्मू-कश्मीर से होकर पाकिस्तान में बहती है, भारत ही पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी देता है।
आखिर क्या है सिंधु-जल समझौता
19 सितंबर 1960 में इंडिया और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था। ये समझौता तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने मिलकर किया था।
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सिंधु पाकिस्तान की लाइफ-लाइन कही जाती है क्योंकि इसी की पानी की वजह से पाकिस्तान की खेती, सिंचाई और दैनिक जरूरतें पूरी होती हैं।
समझौते के मुताबिक भारत, पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, चिनाब, सतलुज, व्यास और रावी नदी का पानी देता है।