ट्रंप से मुलाकात मतलब मोदी के कूटनीतिक कौशल की कड़ी परीक्षा
मोदी के अमेरिका पहुंचने पर ट्रंप ने ट्वीट कर उन्हें सच्चा दोस्त बताया। मोदी ने भी ट्रंप के साथ मुलाकात को लेकर बेसब्री की बात कही।
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और मोदी के बीच आज पहली मुलाकात होनी है। बातचीत का एजेंडा बिल्कुल साफ है।
मुद्दे सिर्फ पांच हैं....
1-एच-1बी
वीजा
(अमेरिका
में
रह
रहे
भारतीयों
के
लिए
बेहद
महत्वपूर्ण
मुद्दा
है
यह)
2-आतंकवाद
मतलब
पाकिस्तान
पर
बातचीत
एशिया-प्रशांत
क्षेत्र
में
शांति
और
सुरक्षा
3-भारतीय
सेना
के
लिए
आधुनिक
हथियारों
पर
अहम
बातचीत
4-
सिविल
न्यूक्लियर
डील
को
आगे
बढ़ाना
5-आर्थिक
संबंधों
को
और
आगे
ले
जाना
इनमें से तीन मुद्दों पर दोनों की स्थिति बिल्कुल साफ है, लेकिन दो मुद्दे ऐसे हैं, जो कि पीएम मोदी के लिए नाक का सवाल हैं। पहला है- एच-1बी वीजा। अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए यह बेहद अहम है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से अमेरिका गए सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। दूसरा मुद्दा है- पाकिस्तान। ट्रंप के आने के बाद से व्हाइट हाउस ने कई बार पाकिस्तान को आईना दिखाया, मगर कोई ठोस कदम अभी तक नहीं लिया गया है।
ये हुई मुद्दों की बात, लेकिन इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात है, जो इस दौरे पर टेस्ट की जानी है, वह मोदी का कूटनीतिक कौशल। ट्रंप से उनकी पहली मुलाकात है। नए अमेरिकी राष्ट्रपति की नीति अभी तक बिल्कुल स्पष्ट नहीं है, क्या उनके साथ भी पीएम मोदी की बराक ओबामा जैसी दोस्ती हो पाएगी? मीडिया में इस मुलाकात को इंडिया फर्स्ट बनाम अमेरिका फर्स्ट के तौर पर देखा जा रहा है।
अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी
जैसा कि आप जानते हैं कि मोदी के अमेरिका पहुंचने पर ट्रंप ने ट्वीट कर उन्हें सच्चा दोस्त बताया। मोदी ने भी ट्रंप के साथ मुलाकात को लेकर बेसब्री की बात कही। लेकिन बात यही तक खत्म नहीं हो जाती, क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है... क्योंकि कूटनीति में कोई दोस्त नहीं होता। दोस्ती त्याग पर टिकी होती है, जबकि कूटनीति एक हाथ देने और दूसरे हाथ लेने का दूसरा नाम है। तो क्या कर रहे हैं मोदी अमेरिका में बताते हैं आपको उनकी हर एक्टिविटी और शब्दों के मायने...
अमेरिका पहुंचने के बाद मोदी ने सबसे पहले अमेरिका की टॉप 21 कंपनियों के सीईओ के साथ मुलाकात की। हालांकि, इस प्रकार की मीटिंग बड़ी ही औपचारिक मानी जाती हैं, लेकिन मोदी ने यहां मार्केटिंग का पूरा कौशल दिखाया।
मीटिंग की इनसाइड स्टोरी
इस मीटिंग के दौरान अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना भी मौजूद थे। पीएम मोदी ने मीटिंग को संबोधित किया। इसके बाद सभी 21 कंपनियों के सीईओ ने अलग-अलग अपनी बात रखी। वे भारत में निवेश के बारे में क्या सोचते हैं। क्या दिक्कतें हैं, उन्हें दूर करने का क्या उपाय हो सकता है। इसके बाद मोदी दोबारा बोले। सभी को आश्वस्त किया और बताया कि हमने 7000 रिफॉर्म्स किए हैं। यह कोई आम औपचारिक बैठक नहीं थी बल्कि पूरी तरह से भारत में निवेश लाने की दिशा में एक ठोस कदम रहा। वैसे भी अमेरिका फॉरेन पॉलिसी में इन कंपनियों की अहम भूमिका रहती है। इन कंपनियों पर पकड़ मजबूत करने का मतलब है, आर्थिक औरर सामरिक दोनों हितों को साधना, क्योंकि इस दौर में अर्थ ही कूटनीतिक संबंधों का आधार है।
ट्रंप को पहले ही दिया संदेश
भारतीयों को संबोधित करते हुए मोदी ने बेहद कड़े शब्दों में ट्रंप को संदेश दे दिया कि वह बेहद सख्त प्रशासक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वह ही आने वाले वर्षों में भारत की सत्ता पर काबिज रहने वाले हैं। मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र कर बता दिया कि भारत अब पाकिस्तान को और झेलने वाला नहीं है। साथ ही ट्रंप को यह भी संदेश दिया कि भारत अब कोई ऐसा देश नहीं, जो किसी के इशारे पर काम करेगा। उसकी अपनी नीतियां हैं, जिन्हें कोई प्रभावित नहीं कर सकता है।
ट्रंप के साथ डिनर पर पीएम मोदी
हालांकि, ट्रंप ने भी मोदी के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें ट्रंप ने डिनर पर बुलाया है। देखना रोचक होगा मोदी के कूटनीतिक के संकेतों को ट्रंप कितना पढ़ पाते हैं और आने वाले समय में दोनों के बीच कैसी जुगलबंदी देखने को मिलती है। कोई माने या न माने मोदी के इस दौरे का लक्ष्य सिर्फ एक ही है, ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के साथ बराक ओबामा जैसी फाइन ट्यूनिंग बनाना। वैसे रिपब्लिकन (ट्रंप की पार्टी) भारत के प्रति सकारात्मक रहे हैं। जॉर्ज डब्ल्यू बुश भी रिपब्लिकन ही थे, उनके समय में ही भारत के साथ न्यूक्लियर डील हुई थी।
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