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जिस कोवैक्सीन पर उठे सवाल, पीएम मोदी ने लगवाया वही टीका, जानिए कोवैक्सीन और कोविशील्ड में क्या है अंतर

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नई दिल्ली। देश में कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। सोमवार से आम लोगों में 60 साल से अधिक और 45 साल से ज्यादा उम्र के गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को टीका लगना शुरू हो गया है। साथ ही कोरोना वैक्सीन को निजी अस्पतालों में भी डिस्ट्रीब्यूट करना शुरू कर दिया गया है। निजी अस्पतालों में वैक्सीन की कीमत 250 रुपए प्रति डोज रखी गई है। आपको बता दें कि भारत में दो वैक्सीन का टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसमें एक है सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और दूसरी है भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, जो पूरी तरह से भारत में निर्मित है। कोविशील्ड वैक्सीन को ब्रिटेन में इस्तेमाल किया जा रहा है।

Corona vaccine

कोविशील्ड और कोवैक्सीन में तुलना

- आपको बता दें कि भारत में इन दो वैक्सीन को ही मंजूरी दी गई थी। शुरुआत से ही कोविशील्ड और कोवैक्सीन की तुलना की जा रही है। इसको लेकर चर्चा होती रही है, लेकिन आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का टीका लगवाया तो उस वैक्सीन पर उठने वाले खत्म हो गए। प्रधानमंत्री ने विवाद को खत्म करने की कोशिश की है, क्योंकि कोवैक्सीन को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठाए गए थे और वो इसलिए क्योंकि कोवैक्सीन जिस वक्त थर्ड फेज के ट्रायल से गुजर रही थी, उसी वक्त इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई थी। सवाल यही खड़े हुए थे कि जब थर्ड फेज का ट्रायल पूरा नहीं हुआ था तो वैक्सीन को मंजूरी क्यों दी गई? ऐसे में ये कितनी सेफ होगी? लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी वैक्सीन का टीका लगवाकर ये साबित कर दिया कि वैक्सीन एकदम सेफ है।

- वहीं दूसरी तरफ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड पूरी तरह से ट्रायल फेज से गुजरकर आई है। इसके अलावा ब्रिटेन सहित कई देशों में इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। बता दें कि भारत में कोविशील्ड का निर्माण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एस्ट्रेजेनेका कंपनी के साथ मिलकर किया था। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट के अंडर इसका ट्रायल चलाया गया था।

- वहीं दूसरी तरफ कोवैक्सीन का निर्माण ICMR और भारत बायोटेक कंपनी ने मिलकर किया था। कोवैक्सीन को लेकर ICMR के महानिदेशक ने कहा था कि जब तक ये वैक्सीन ट्रायल फेज को पूरा नहीं कर लेगी, तब तक इसका टीकाकरण नहीं किया जाएगा।

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कैसे हुआ वैक्सीन का निर्माण

कोविशिल्ड वैक्सीन को वायरस - एडेनोवायरस - का उपयोग करके विकसित किया गया है, जो कि चिम्पांजी के बीच आम सर्दी के संक्रमण का कारण बनता है। इसका जेनेटिक मटेरियल SARS-CoV-2 कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन के समान है। स्पाइक प्रोटीन SARS-CoV-2 का हिस्सा है, जिसके उपयोग से वायरस मानव शरीर की कोशिका में प्रवेश करता है। कोविशिल्ड वैक्सीन को एडेनोवायरस के कमजोर संस्करण का उपयोग करके विकसित किया गया है।

वहीं कोवैक्सीन को मरे हुए कोरोनावायरस का उपयोग करके विकसित किया गया है - जिसे चिकित्सा भाषा में "निष्क्रिय" टीका कहा जाता है। निष्क्रिय अवस्था के तहत, वायरस इंजेक्शन लगाने के बाद किसी व्यक्ति के शरीर के अंदर लोगों को संक्रमित करने या उसकी नकल करने में सक्षम नहीं होता है।

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English summary
PM Modi take dose of covaxin Know about differences of covishield and covaxin
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