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मोदी के अमरीकी दौरे से चीन क्यों है ख़ुश?

मोदी अगले हफ़्ते अमरीका जा रहे हैं लेकिन इस यात्रा की चर्चा चीन में इतनी ज़्यादा क्यों हो रही है?

By BBC News हिन्दी
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नरेंद्र मोदी और डोनल्ड ट्रंप
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नरेंद्र मोदी और डोनल्ड ट्रंप

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ़्ते अमरीका जाने वाले हैं. डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी की यह पहली अमरीकी यात्रा होगी.

मोदी की इस यात्रा को लेकर चीनी मीडिया में भी चर्चा है. चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीकी दौरे में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को देखना दिलचस्प होगा.

मोदी के दौरे को लेकर इस चीनी अख़बार ने एक विश्लेषण प्रकाशित किया है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ''भारत और अमरीका के आर्थिक संबंधों को हमेशा चीन और अमरीका के आर्थिक रिश्तों की कसौटी पर नहीं देखा जा सकता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि भारत विदेशी निवेश और बाज़ार खोलने के मामले में पीछे रह जाता है.''

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नरेंद्र मोदी
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नरेंद्र मोदी

अख़बार ने लिखा है, ''अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 'अमरीका फर्स्ट' की नीति का एलान कर रखा है. अमरीका फर्स्ट ट्रंप का केवल नारा नहीं है बल्कि यह उनकी नीति है. अगर ट्रंप अमरीकी कंपनियों के लिए भारत में हितों से जुड़े सवालों को उठाते हैं और भारत इस दौरान मार्केट को और खोलने का वादा करता है तो यह चीन के भी हक़ में होगा क्योंकि चीन भी भारत का अहम आर्थिक साझेदार है. ऐसे में मोदी की अमरीकी यात्रा पर चीन की नज़र टिकी हुई है.''

संबंध बेहतर करने को इच्छुक

चीन के इस सरकारी अख़बार ने लिखा है, ''मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत की जीडीपी विकास दर तेजी से बढ़ रही है. इस वजह से भारत का आत्मविश्वास बड़ी शक्ति बनने के मामले में बढ़ा है. भारत को अमरीकी सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसीलिए मोदी सरकार अमरीका के साथ संबंध बढ़ाने के लिए इच्छुक है.''

मोदी और ओबामा
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मोदी और ओबामा

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ''कई अमरीकी कंपनी भारत में तेजी से बढ़ते उपभोक्ता मार्केट के कारण उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन भारत के भीतर स्थानीय सरकारों के आर्थिक संरक्षणवाद की नीति के कारण बाधा अब भी बनी हुई है. उदाहरण के तौर पर अमरीकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट भारत में आना चाहती है लेकिन कई तरह की पाबंदियों के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है.''

अख़बार ने लिखा है, ''ट्रंप आर्थिक मुद्दों जिनमें निवेश की सीमा को ख़त्म करने और आयात-निर्यात पाबंदी पर को ख़त्म करने जैसे मुद्दों को मोदी के सामने उठा सकते हैं. अपने पूर्ववर्ती की तुलना में मोदी ने आर्थिक सुधारों के मामले में ख़ुद को ज़्यादा खुला रखा है.''

डोनल्ड ट्रंप
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डोनल्ड ट्रंप

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ''2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने आर्थिक सुधारों से जुड़े कई क़दम उठाए. जीएसटी से भारत भारत में निवेश का एक वातावरण बनेगा. मोदी और ट्रंप की मुलाक़ात के बाद भारत आर्थिक सुधार से जुड़े और क़दमों को उठा सकता है. ट्रंप मोदी के सामने मुद्दा उठा सकते हैं कि अमरीकी कंपनियों के साथ भी समान व्यवहार किया जाए.''

चीन को लाभ मिलेगा

चीन के इस सरकारी अख़बार ने लिखा है, ''अगर भारत में निवेश का माहौल बनता है तो इससे न केवल अमरीकी कंपनियों को फ़ायदा होगा बल्कि चीन को भी लाभ मिलेगा. ट्रंप की अमरीका फर्स्ट नीति के कारण भारत और अमरीका की साझेदारी में चुनौतियां भी हैं. दोनों की मुलाक़ात में इसका असर भी दिख सकता है. चीन के लोगों की इस मुलाक़ात पर नज़र बनी हुई है क्योंकि इससे चीन का भी हित जुड़ा हुआ है.''

मोदी और चीनी राष्ट्रपति
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मोदी और चीनी राष्ट्रपति

अख़बार ने लिखा है, ''उदाहरण के तौर पर ट्रंप प्रवासी नीतियों में बदलाव कर रहे हैं. इसमें एचबीवन वीज़ा भी शामिल है. एचबीवन वीज़ा से भारत और चीन को सबसे ज़्यादा फ़ायदा है. एचबीवन वीज़ा को सीमित करने से भारतीय आईटी सेक्टर के लिए बुरी ख़बर है. इसके साथ ही जो चीनी स्टूडेंट अमरीका में पढ़ रहे हैं उन पर भी असर पड़ेगा.''

एचबीवन वीज़ा का मुद्दा सुलझेगा

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि एचबीवन वीज़ा के मामले में चीन भारत के साथ खड़ा है. अख़बार के मुताबिक चीन को उम्मीद है कि मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान एचबीवन वीज़ा का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा.

मोदी और चीनी राष्ट्रपति
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मोदी और चीनी राष्ट्रपति

चीनी अख़बार ने लिखा है, ''दोनों नेताओं की बाचचीत में जलवायु का मुद्दा भी रहेगा. सीएनएन के मुताबिक भारत ने ट्रंप की उस टिप्पणी को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि पेरिस समझौते के कारण भारत अरबों डॉलर मदद हासिल करेगा. मोदी और ट्रंप की मुलाक़ात में जलवायु का मुद्दा भी शामिल रहेगा.''

अख़बार ने लिखा है, ''अमरीका और भारत की आर्थिक साझेदारी फिलहाल चीनी-अमरीकी साझेदारी से कम है. दोनों देशों के द्विपक्षीय समझौतों पर एचबीवन वीज़ और पेरिस समझौते का असर रहेगा. अगर मोदी और ट्रंप इन मुद्दों को सुलझाने में कामयाब रहते हैं तो यह चीन के भी हक़ में होगा.''

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English summary
Prime Minister Narendera Modi will leave for his fifth US visit on 25th June. His visit is giving nightmare to China.
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