पीएम मोदी ने किया केम्पेगौड़ा की 180 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण, जानिए कौन थे ये और क्या हैं राजनीतिक मायने
पीएम मोदी ने केम्पोगोड़ा की 108 फीट ऊंची कांस्य मूर्ति का किया अनावरण जानें प्रधानमंत्री का बेंगलुरू दौरा क्यों है बेहद अहम
Bengaluru founder Nadaprabhu Kempegowda: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बेंगलुरू दौरे पर पहुंचे हैं। यहां पर पीएम मोदी संस्थापक 'नादप्रभु' केम्पेगौड़ा की 108 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। केम्पेगौड़ा की ये प्रतिमा 5,000 करोड़ रुपये की लागत से बने बेंगलुरू के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 पर लगाई गई है। केम्पेगोड़ा ने 1537 में बेंगलुरू शहर की स्थापना की थी। आइए जानते हैं केम्पेगौड़ा कौन थे और भाजपा सरकार में उनकी इतनी बड़ी मूर्ति लगाए जाने के क्या राजनीतिक मायने हैं ?
218
टन
की
है
ये
मूर्ति
बता
दें
बेंगलुरू
शहर
पहला
ऐसा
शहर
बन
चुका
है
जहां
के
संस्थापक
जिनकी
इतनी
विशालकाय
मूर्ति
बनवाई
गई
है।
कांस्य
की
बनी
ये
मूर्ति
218
टन
है,
जिसमें
98
टन
कांस्य
और
120
टन
स्टील
को
प्रयोग
किया
गया
है।
केम्पेगौड़ा
की
तलवार
ही
4
टन
की
है।
कौन हैं केम्पेगौड़ा?
नादप्रभु कैम्पेगौडा विजयनगर राज्य के शासक थे। उन्हीं ने अपने सम्राज्य में 1537 में बेंगलुरू की स्थापना की थी और कन्नड़ भाषा के कई शिलालेश बनवाए थे। येल्हानकनाडु पर 70 साल तक शासन करने वाले मोरासू वोक्कालिगा कैम्पेंनंजे गौड़ाके केम्पेगौड़ा के पिता थे। 15वी सदी में केम्पेगौड़ा का परिवार तमिलनाडु के कांची से कर्नाटक शिफ्ट हो गया और विजयनगर पर शासन संभाला पिता के बाद केम्पोगौड़ा ने विजयनगर का 46 वर्षो तक शासन किया।
रोचक
है
बेंगलुरू
शहर
की
स्थापना
का
किस्सा
बताया
जाता
है
कि
केम्पेगोड़ा
ने
अपने
मंत्री
वीरन्ना
और
अपने
सलाहकार
गिद्दे
गौड़ा
के
साथ
शिकार
पर
गए
थे,
तब
उन्होंने
अपने
इस
शहर
को
बसाने
का
मन
बनाथा
यहां
किले,
टैंक
छावनी
मंदिर
और
लोग
बिजनेस
करने
की
सुविधा
देने
की
कल्पना
की
थी।
बताया
जाता
है
केम्पेगौड़ा
ने
पहले
शिवगंगा
को
जीत
इसके
बाद
डोम्लूर
जो
ओल्ड
एयरपोर्ट
रोड
पर
बसा
हुआ
है
उसे
भी
जीता।
उन्होंने
इसके
बाद
बेंगलुरू
शहर
बसाया
और
अपनी
राजधानी
को
येलहांका
से
बेंगलुरू
शिफ्टककर
दिया।
बेंगलुरू
में
चार
पिलर
हैं
जिसके
लिए
बताया
जाता
है
कि
पहले
बेंगलुरू
बस
उसके
बीच
में
ही
बसाया
गया
था
लेकिन
वो
बढ़ते-बढ़ते
अब
इतना
बढ़
गया
है
कि
अब
मेट्रो
सिटी
और
आईटी
सिटी
बन
चुका
है।
केेम्पोगौड़ा
की
इतनी
बड़ी
मूर्ति
के
क्या
है
राजनीतिक
मायने
पीएम
मोदी
ने
बेंगलुरू
के
संस्थापक
केंम्पेगौड़ा
की
मूर्ति
की
अनावरण
किया
उन्हें
विशेष
रूप
से
कर्नाटक
के
वोक्कालिगा
(Vokkaliga)
समुदाय
द्वारा
सम्मानित
किया
जाता
है
जो
पुराने
मैसूर
और
दक्षिणी
कर्नाटक
के
अन्य
हिस्सों
में
प्रमुख
रूप
से
बसे
हुए
हैं।
भाजपा
सरकार
की
इससे
कर्नाटक
में
अच्छी
छवि
और
मजबूत
होगी
ये
माना
जा
रहा
है।
भाजपा ने बताया संस्कृतिक धरोहर को और कैसे महान बनाया जा सकता है
इसके साथ ही कर्नाटक जो अपनी संस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, ऐसे में भाजपा सरकार में ऐसी महान हस्तियों को सम्मान देना, पार्टी की छवि को और मजबूत करने का काम करेगा, ऐसा माना जा रहा है।केम्पेगौड़ा का संबंध बेंगलुरु और भारतीय इतिहास में अपने ऐश्वर्य और उन्नति के लिए पहचाने जाने वाले गौरवशाली विजयनगर साम्राज्य से है। विजयनगर साम्राज्य वो ही सम्राज्य जिसमें कर्नाटक में ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण कराया गया था। उसी महान शासक की इतनी बड़ी प्रतिमा लगाकर भाजपा ने ये बताने की काशिश की है कि दक्षिण भारत की महान संस्कृति रही है उस संस्कृति को और कैसे और महान बनाया जा सकता हैं।
एससी समुदाय पर साधा निशाना
वहीं विधानसभा परिसर में शुक्रवार को कर्नाटक के संत कनक जयंती के अवसर पर संत कवि कनक दास और महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित किया। बता दें कनक दास और वाल्मीकि दोनों को राज्य में विशेष रूप से कुरुबा और वाल्मीकि (एसटी) समुदायों में विशेष रूप से माने जाते हैं। ऐसे में पीएम मोदी का ये दौरा एसटी समुदाय को आकर्षित करने के में अहम भूमिमा निभाएगा ये उम्मीद की जा रही है।
पीएम मोदी का बेंगलुरू दौरा बेहद अहम क्यों
पीएम मोदी की ये यात्रा राजनीति के दृष्टिकोण से इसलिए बेहद अहम है क्योंकि पांच महीने में कर्नाटक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में पीएम मोदी का यहां आना भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भर देगा । पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि इस यात्रा से कार्यकर्ताओं में जोश आने के बाद चुनाव से पहले भाजपा के पक्ष में जन समर्थन जुटाया जाएगा।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi unveils 'Statue of Prosperity', the 108-feet bronze statue of Nadaprabhu Kempegowda, in Bengaluru
(Source: DD) pic.twitter.com/75WLwM4MrY
— ANI (@ANI) November 11, 2022
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