अंतरिक्ष में दुश्मन को जवाब देने के लिए तैयार होंगे हथियार, मोदी सरकार ने दी नई एजेंसी को मंजूरी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अतंरिक्ष के जरिए देश पर बुरी नजर रखने वाले दुश्मनों को जवाब देने की तैयारियों के तहत एक नई एजेंसी तैयार करने का फैसला किया है। सेनाओं की क्षमताओं को इतना बढ़ाना कि वे अंतरिक्ष में मुंहतोड़ जवाब दे सकें इसके लिए सरकार ने एक ऐसी एजेंसी की मंजूरी दे दी है जो इस मकसद के लिए आधुनिक हथियार सिस्टम और तकनीकियों को डेवलप करेगी। न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है।
नई टेक्नोलॉजी को किया जाएगा डेवलप
रक्षा मंत्री से जुड़े सूत्रों के हवाले से एएनआई ने बताया है कि रक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं, उसने एक नई एजेंसी को तैयार करने की मंजूरी दी है जिसका नाम डिफेंस स्पेस रिसर्च एजेंसी (डीएसआरओ) होगा और इस पर स्पेस वॉरफेयर वेपन सिस्टम और टेक्नोलॉजी को तैयार करने की जिम्मेदारी होगी।' कुछ समय पहले ही सरकार के सर्वोच्च स्तर पर मौजूद लोगों की ओर से यह फैसला लिया गया।
सेना के साथ मिलकर काम करेंगे वैज्ञानिक
एक वैज्ञानिक जिसे ज्वॉइन्ट सेक्रेटरी का दर्जा हासिल है उसके नेतृत्व में एजेंसी ने आकार लेना शुरू कर दिया है। इस एजेंसी में वैज्ञानिकों की टीम होगी जो तीनों सेनाओं के जरिए इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ऑफिसर्स से जुड़े रहेंगे और साथ में मिलकर काम करेंगे। इस एजेंसी पर डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) को रिसर्च और डेवलपमेंट में मदद करने का जिम्मा होगा। डीएसए को अंतरिक्ष में होने वाले युद्ध का जवाब देने के मकसद से तैयार किया है।
मार्च में एसैट का सफल परीक्षण
इस वर्ष मार्च में भारत ने पहले एंटी-सैटेलाइट वेपेन यानी एसैट का सफल टेस्ट किया था। इसके बाद से भारत, अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथा ऐसा देश बन गया था जिसके बाद अंतरिक्ष में भी हमला करने वाली मिसाइल है। इस टेस्ट के बाद भारत अंतरिक्ष में दुश्मन के किसी भी सैटेलाइट को खत्म कर सकता है। डीएसए को बेंगलुरु में स्थापिता किया गया है और एक एयर वाइस मार्शल रैंक के ऑफिसर इसे लीड कर रहे हैं। 27 मार्च को एसैट मिसाइल यानी एंटी-सैटेलाइट मिसाइल ने सिर्फ तीन मिनट में 300 किलोमीटर दूरी पर मौजूद लो अर्थ ऑर्बिट यानी लियो पर निशाना लगाया था।
क्यों खास था एसैट का टेस्ट
एसैट वेपन दुश्मन को देश की जासूसी करने से रोक सकता है। इसके अलावा अब भारत के पास यह क्षमता है कि वह दुश्मन के कम्यूनिकेशन को नुकसान पहुंचा दे। भारत पहली बार असैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम की तरफ बढ़ा है। हालांकि अभी भी हमारे पास कुछ ऐसे सैटेलाइट हैं जिनके पास दुश्मन की जासूसी की क्षमता है।