क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

गुरु पर्व पर मास्टर स्ट्रोक से होंगे पीएम मोदी और भाजपा को चार बड़े फायदे

Google Oneindia News

नई दिल्ली, 19 नवंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर सबको चौंका दिया है। इस बार उनकी घोषणा से भारत ही नहीं पूरी दुनिया में यह संदेश गया है कि उनका अगला कदम क्या होने वाला है, ये सिर्फ और सिर्फ वही जानते हैं। बहरहाल गुरु पर्व जैसे पवित्र मौके पर उन्होंने किसानों के उस वर्ग की खुशियों में चार चांद लगा दिया है, जो पिछले साल सितंबर महीने से अपना सबकुछ छोड़कर सड़कों को ही बसेरा बना लिया था। पीएम मोदी ने तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा ऐसे समय में की है, जब इसकी उम्मीद ना तो किसान संगठनों को थी और ना ही विपक्ष ने सपने में भी सोचा था। कहने का मतलब ये है कि पीएम मोदी का ऐलान विशुद्ध रूप से राजनीतिक ऐलान है, जिसके नफा-नुकसान का निश्चित तौर पर आकलन किया गया होगा और इसलिए बड़े ही ठंडे दिमाग से सही मौके पर इसकी घोषणा की गई है।

लोकतांत्रिक नेता के तौर पर विश्व पटल पर छवि निखरेगी

लोकतांत्रिक नेता के तौर पर विश्व पटल पर छवि निखरेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल से ज्यादा चले विरोध के बाद गुरु पर्व पर तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी का फैसला अचानक नहीं लिया है। उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश में यह बात बखूबी समझाई है कि उनकी सरकार ने कृषि और किसानों के हित के लिए क्या-क्या किए हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए ही तीनों कृषि कानून लाए गए थे। उन्होंने कहा है, "मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले।"
इसके बाद वे बोले कि "इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।" इसके बाद उन्होंने इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। दरअसल, किसान आंदोलन ऐसा मुद्दा रहा है, जिसे विदेशों से भी सक्रिय सहयोग मिला है। खासकर, कनाडा, इंग्लैंड और अमेरिका से हमने देखा है कि किस तरह से प्रवासी भारतीयों के साथ विदेशी नागरिकों ने भी इसको समर्थन दिया है। ऐसे में पूर्ण बहुमत वाली सरकार, जिसने दोनों सदनों से इन कानूनों को पास कराया है, उसने अगर किसानों के एक छोटे से समूह की बात मानी है तो उसके शासन में हर नागरिक के बातों का मान रखा जाता है, पीएम मोदी ने बहुत ही आसानी से यह संदेश देने की कोशिश की है। हाल ही में ग्लोबल लीडर अप्रूवल ट्रैकर ने उन्हें विश्व का सबसे लोकप्रिय नेता बताया है। इस फैसले से वह विश्वस्तर पर और भी बड़े लोकतांत्रिक नेता के रूप में निखर कर आने वाले हैं।

देश के भीतर मोदी की लोकप्रियता और बढ़ेगी

देश के भीतर मोदी की लोकप्रियता और बढ़ेगी

पिछले साल से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान देश ने देखा है कि जिन लोगों को कृषि कानूनों में कोई बुराई नजर नहीं आ रही थी, उन्हें भी सड़कों पर टेंटों में सर्दी, गर्मी और बरसात में डटे किसानों की बेबसी पर तरस आता था। उन्हें देखकर अधिकतर के मन में ये भावना आती थी कि आखिर अगर इन्हें कानूनों से कोई दिक्कत नहीं है तो यह इतनी कठिन तपस्या क्यों कर रहे हैं? कार्तिक पूर्णिमा और गुरु पर्व के अवसर पर पीएम मोदी ने सुबह-सुबह राष्ट्र के नाम संदेश में यह कहकर कि "आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।" उनके सही मायने में राष्ट्रीय नेता होने का भाव निकलकर आता है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब किसान संगठनों के नेताओं ने सपने में भी इसकी कल्पना नहीं की होगी। जाहिर है कि मोदी समर्थकों के बीच प्रधानमंत्री की एक जो सशक्त नेता की छवि है, जिसे उनके विरोधी अक्सर मजाक में उड़ाते हैं, उनको जरूर एक बार इस घोषणा से हैरानी हुई होगी। लेकिन, इन कानूनों की वापसी से ऐसा कुछ नहीं है कि उन्हें निजी तौर पर कोई नुकसान हो रहा हो। जबकि, जो आम जनता सिर्फ इन कानूनों की वजह से सरकार को अड़ियल मानने लगी थी, उन्हें पीएम मोदी यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि बाहर से अपने इरादे का पक्का दिखने वाला यह नेता अंदर से बहुत ही भावनात्मक भी है। हर चीज को राजनीतिक नफा-नुकसान के चश्मे से देखने वालों को छोड़ दें तो आम जनता मोदी के इस यू-टर्न को सकारात्मक तौर पर ही लेगी और उनकी लोकप्रियता उनके बीच भी बढ़ेगी, जो उन्हें बहुत ही अड़ियल नेता के तौर पर देखते आए हैं।

Recommended Video

Farm Laws Repealed: कृषि कानून की वापसी के बाद सियासत, क्या बोले विपक्ष के नेता | वनइंडिया हिंदी
यूपी- पंजाब समेत 2024 तक भाजपा को फायदा ही फायदा

यूपी- पंजाब समेत 2024 तक भाजपा को फायदा ही फायदा

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में ही हो रहा था। पंजाब तो इसका केंद्र ही रहा है। एक वक्त में सियासी तौर पर इसके सूत्रधार माने जाने कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ दिन पहले से यह संकेत देना शुरू कर दिया था कि इस मसले पर उनकी केंद्र सरकार से कोई न कोई चर्चा तो जरूर चल रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पंजाब विधानसभा चुनाव में जो भाजपा के साथ तालमेल की बात कही थी, उसमें भी सिर्फ इसी को अपना शर्त बताया था। यानी आज की तारीख में पंजाब का सबसे कद्दावर नेता एक ही झटके में बीजेपी के करीब आ गया है। इसे पीएम मोदी और बीजेपी का इसी वजह से मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। पंजाब में शहरी वोटर जिनमें अधिकांश हिंदू मतदाता हैं, उन्हें भाजपा समर्थक माना जाता रहा है। लेकिन, अगर कैप्टन भी साथ आ गए तो बीजेपी ने जो शिरोमणि अकाली दल के छिटकने से गंवाया है, वह सहानुभूति और अपने जनाधार के दम पर डटे उस नेता से उतना ही लाभ उठा सकती है। इसी तरह से पश्चिमी यूपी में जाट समाज को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है। इन कानूनों के चलते विपक्षी दलों ने उसमें सेंध लगानी की पूरी तैयारी कर रखी है। अब अगर कृषि कानून की वापसी हो रही है तो फिर जाटों की नाराजगी बने रहने का कोई कारण नजर नहीं आता। इसी तरह लखीमपुर खीरी में जहां आंदोलनकारियों को एसयूवी से रौंदने के मामले ने सिखों को बीजेपी से नाराज किया था, उनका भी गुस्सा कम हो सकता है। इन कानूनों की आड़ में पार्टी की सबसे ज्यादा किरकरी तो पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ही कर रखी थी, जिन्होंने इस मामले में अपनी ही सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। इसी तरह से मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने भी पार्टी की हवा खराब करने की कम कोशिश नहीं की है, लेकिन पीएम मोदी अपनी घोषणा से पूरी बाजी ही पलट दी है।

इसे भी पढ़ें- केंद्र सरकार ने वापस लिए तीनों कृषि कानून, बोले PM मोदी-'हमारी तपस्या में कमी होगी'इसे भी पढ़ें- केंद्र सरकार ने वापस लिए तीनों कृषि कानून, बोले PM मोदी-'हमारी तपस्या में कमी होगी'

मोदी ने विपक्ष से बड़ा चुनावी मु्द्दा छीना

मोदी ने विपक्ष से बड़ा चुनावी मु्द्दा छीना

विपक्ष की ऐसी कोई पार्टी नहीं है, जो किसान आंदोलन के कंधे पर बंदूक रखकर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश ना की हो। जिन पार्टियों का अपना संगठन मृतप्राय हो चुका है, उन्होंने भी यह कोशिश नहीं छोड़ी है कि किसानों के नाम पर वह भी भाजपा के विरोध में गंगा नहा ले। जहां-जहां भाजपा-विरोधी सरकारें हैं, वहां विधानसभाओं से कृषि कानूनों को नकारने का भी प्रयास हुआ है। भारतीय किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत ने तो बंगाल तक जाकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ प्रचार किया था, जिससे विपक्ष का काम ज्यादा आसान हुआ था। लेकिन, आज की तारीख में कम से कम यह दावा करने की स्थिति में तो कोई नहीं है कि उसके दबाव की वजह से मोदी ने ऐसा फैसला लिया है। अगर दबाव का असर होता तो पिछले संसद सत्र में ही सरकार हथियार डाल देती या फिर 26 जनवरी को लालकिले की तस्वीर देखने के बाद सरकार पीछे हट जाती। लेकिन, सरकार डटी रही। किसान नेताओं से कई दौर की बात हुई, लेकिन सरकार कुछ मसले पर राजी भी हो गई, लेकिन दबाव में आने को तैयार नहीं हुई। आज गुरु पर्व के मौके पर पीएम ने चौंकाया है तो उन्होंने बहुत ही सोच-समझकर राजनीतिक ऐलान किया है; और खुद को किसान विरोधी नहीं, उनकी दिक्कतें समझने वाले नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश की है। भाजपा के अपने जनाधार पर इसका कोई खास फर्क पड़ेगा, ऐसा लगने का कोई कारण नहीं है। लेकिन, इतना तो साफ है कि उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्ष की लड़ाई को कमजोर कर दिया है।

PM Modi carried out master stroke on Guru Parv by taking back farm laws, four big benefits for BJP and his own image

Comments
English summary
PM Modi took back the farm law and carried out a master stroke on Guru Parv, BJP and their own image will get four big benefits, image will flourish across the world, popularity will increase, benefit in Punjab-UP and the issue of opposition snatched
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X