हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि वह केंद्र सरकार को आदेश दे कि इन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करे। याचिका में कहा गया है कि किसी भी समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा सिर्फ उनकी जनसंख्या के आधार पर ही मिलना चाहिए।
नई दिल्ली। देश के आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। दिल्ली के बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून, 1992 के तहत इन राज्यों में हिंदू समुदाय के अल्पसंख्यक होने के बावजूद उन्हें यह दर्जा नहीं दिया गया है। उन्हें जबर्दस्ती और मनमाने तरीके से इस अधिकार से वंचित किया गया।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में लक्षद्वीप, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, जम्मू और कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिंदुओं को अल्संख्यक का दर्जा देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने 1993 में केंद्र सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन को भी असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 23 अक्टूबर 1993 में नोटिफिकेशन जारी कर मुस्लिम समेत अन्य समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया गया था। उपाध्याय ने कहा कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों की मानें तो इन आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें इन राज्यों में यह दर्जा अभी तक नहीं मिला है.
सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि वह केंद्र सरकार को आदेश दे कि इन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करे। याचिका में कहा गया है कि किसी भी समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा सिर्फ उनकी जनसंख्या के आधार पर ही मिलना चाहिए। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कानून मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है।
आठ राज्यों में हिंदू बहुत कम हैं, बावजूद इसके उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया गया। 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक- लक्षद्वीप में 2.5%, मिजोरम 2.75%, नगालैंड में 8.75%, मेघालय में 11.53%, जम्मू कश्मीर में 28.44%, अरुणाचल प्रदेश में 29%, मणिपुर में 31.39% और पंजाब में 38.4% हिंदू हैं। इन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं मिलने से उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।'
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