आंदोलन कर रहे किसानों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, कोरोना वायरस का दिया हवाला
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संकट में कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए किसानों को दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं से हटाने की मांग की गई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दिल्ली के ही एडवोकेट ओम प्रकाश परिहार ने दाखिल किया है। परिहार ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया है कि वह कोरोना वायरस संकट को देखते हुए तुरंत किसानों को अपने राज्य लौटने का निर्देश दे।
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गौरतलब है कि केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ आज किसान आंदलन का 9वां दिन है। एक सप्ताह से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद भी किसान अपनी जगह से हिलने को तैयार नहीं है। इस बीच केंद्र सरकार के साथ हुई कई दौर की वार्ता में भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। किसान अभी कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। इस बीच किसानों को दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर से हटाने के लिए राजधानी के ही एक एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
Petition filed before Supreme Court seeking directions for immediate removal of agitating farmers from border areas of Delhi-NCR keeping in view the fact that they may pose a risk to spread of #COVID19: Om Prakash Parihar, the Advocate on Record (AOR), for the petitioner, to ANI pic.twitter.com/BFf72JoChc
— ANI (@ANI) December 4, 2020
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दिल्ली हाई कोर्ट के वकील ओम प्रकाश परिहार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए किसानों को हटाए जाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तुरंत वहां से हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट निर्देश जारी करे। याचिका में कहा गया है कि भारी संख्या में किसान सीमावर्ती इलाकों में आंदोलन कर रहे हैं जिससे उनके बीच कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की संभावना बढ़ गई है। कोरोना वायरस के प्रसार के जोखिम को देखते हुए आंदोलनरत किसानों को तत्काल हटाने के निर्देश दिए जाएं। बता दें कि सरकार ने शुक्रवार को 8 घंटे चली बैठक में किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता का रास्ता नहीं निकल सका।