आंध्र प्रदेश सरकार ने वापिस लिया तीन राजधानियों वाला विधेयक, अमरावती होगी इकलौत राजधानी
अमरावती, 22 नवंबर। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने सोमवार को एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा है कि आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियों को लेकर चल रहा विवाद अब खत्म होता है, क्योंकि अब राज्य की केवल एक ही राजधानी होगी और वो होगी- अमरावती। मुख्यमंत्री के इस फैसले की जानकारी एडवोकेट जनरल एस श्रीराम ने हाईकोर्ट को भी दे दी है। मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ ही राज्य मंत्रिमंडल ने तीन राजधानियों के विधेयक को वापस लेने और उच्च न्यायालय को निर्णय की सूचना देने का फैसला भी लिया है।
सरकार ने विधानसभा में पेश किया विधेयक
इसके अलावा सरकार ने सोमवार को विधानसभा में इस फैसले से संबंधित एक विधेयक भी पेश कर दिया। आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री बुगना राजेंद्र नाथ रेड्डी ने विधानसभा में आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास विधेयक, 2020 को निरस्त करने के लिए विधेयक पेश किया। इस दौरान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि हम तीन राजधानियों वाले विधेयक को इसलिए लेकर आए थे, क्योंकि हमारा मानना था कि आंध्र प्रदेश में पूंजी के विकेंद्रीकरण की बहुत जरूरत है, लेकिन हमें लोगों का समर्थन नहीं मिला, जिसकी वजह से सरकार उस विधेयक को वापस लेने जा रही है जो पहले पेश किया गया था। हम बिना किसी त्रुटि के एक नया विधेयक पेश करेंगे।
We believed that decentralisation of capital is much needed in Andhra Pradesh...Govt is going to take back the Bill which was introduced earlier. We will introduce a new Bill with no errors: CM YS Jagan Mohan Reddy in the state legislative assembly pic.twitter.com/8Hcjfb8TUq
— ANI (@ANI) November 22, 2021
रेड्ड सरकार ही लेकर आई थी तीन राजधानियों वाला विधेयक
आपको बता दें कि रेड्डी सरकार ही तीन अलग-अलग राजधानियों का प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसमें अमरावती एक विधायी राजधानी, विशाखापत्तनम एक कार्यकारी और कुरनूल न्यायिक राजधानी होने का प्रावधान था। सरकार के इस विधेयक को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। 2018 से ही इस पर सुनवाई चल रही थी, लेकिन सोमवार को राज्य सरकार ने इस विधेयक को वापिस लेने का ऐलान कर दिया। पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस मामले से पल्ला झाड़ लिया था। केंद्र ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि राज्य की राजधानी तय करने का मामला राज्य सरकार के अधीन है, इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।
केंद्र सरकार ने जवाबी हलफनामे में कहा था कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 की धारा 6 के तहत केंद्र सरकार ने 28 मार्च 2014 को के.सी. शिवरामकृष्णन के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था, जिसने आंध्र प्रदेश राज्य के लिए नई राजधानी के विकल्पों का अध्ययन किया। पैनल ने उसी वर्ष 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे दो दिन बाद 1 सितंबर को आंध्र प्रदेश सरकार को भेज दिया गया, जिसके बाद 23 अप्रैल 2015 को राज्य सरकार ने राज्य की राजधानी अमरावती को बनाया था। हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं हैं।
आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के भाजपा नेता वाईएस चौधरी ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि उनकी पार्टी अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी घोषित करने की मांग का समर्थन करती है।
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