पानी से निकले ढाई लाख कछुए, ऐसे घर बनाकर दे रहे अंडे, सरकार ने सुरक्षा में लगाया स्टाफ
ओलिव रिडले समुद्री कछुआ (Olive Ridley Sea Turtle) : Hindi news
ब्रह्मपुर (ओडिशा)। ओलिव रिडले समुद्री कछुओं का आपने नाम तो सुना होगा। ये दुर्लभ प्रजाति के छोटे आकार के कछुए होते हैं, और भारत में बंगाल की खाड़ी से सटे तट पर मिलते हैं। इन दिनों ये कछुए बड़ी संख्या में पानी से निकलकर समुद्र तट पर बिचर रहे हैं। मिट्टी के बिलों में अंडे दे रहे हैं। उनसे हजारों बच्चे पैदा हो रहे हैं। वहीं, सरकार उन्हें प्रोटेक्शन दिला रही है। हां जी, ये तस्वीरें किसी का भी ध्यान खींच सकती हैं, देखिए...
ओलिव रिडले समुद्री कछुए
भारत के दक्षिण-पूर्वी राज्य ओडिशा और आंध्र प्रदेश के समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुए लाखों की संख्या में नजर आ रहे हैं। ब्रह्मपुर के डीएफओ अमलन नायक ने बताया कि, "इन कछुओं का फिलहाल प्रजनन-काल चल रहा है। हम इन्हें खतरों से बचाने में लगे हुए हैं। ये कछुए समुद्र तट पर बलुआ मिट्टी के बिलों का सहारा ले रहे हैं। उन बिलों में बड़े पैमाने पर अंडे दे रहे हैं।"
ब्रह्मपुर के तट पर आ चुके लाखों
जलीय-जीव सुरक्षा तंत्र से जुड़े स्थानीय अधिकारी ने बताया कि, इन कछुओं की हमने गिनती की है, ब्रह्मपुर की भूमि पर अब तक कुल 2 लाख 42 हजार कछुए आ चुके हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि "मास नेस्टिंग" के दरम्यान कोई परेशानी न हो। जैसे कि इन कछुओं का लोमड़ियां, कुत्ते या अन्य मांसाहारी जानवर शिकार करते हैं। सुरक्षा की खातिर टीमें लगी हैं।"
1 बिल में होते हैं लगभग 100 अंडे
वन्यजीव वॉलंटियर ने कहा कि, ओलिव रिडले दुनिया के सबसे छोटे समुद्री कछुओं की प्रजाति में से एक हैं। ये नम जगहों पर, यानी कि समुद्री जल के पास ही घोंसले बनाते हैं। कछुओं द्वारा खोदे गए प्रत्येक बिल (घोंसले) में औसतन 100 अंडे होते हैं. इनके पूर्ण होने की अवधि लगभग 45 दिन है।
मादा रात में देती हैं अंडे
मादा और नर कछुए संभोग करने के बाद आता है-प्रजनन काल। मादा के द्वारा अंडे देने का कार्य रात में होता है।
लगता है 60 से 120 दिनों तक का समय
अंडे देने के बाद मादा गड्ढे एवं अंडे को मिट्टी-बालू इत्यादि से ढ़क देती है। विभिन्न प्रजातियों के अंडो से बच्चों के निकलने का समय भिन्न-भिन्न होता है। अंडों से बच्चे निकलने में 60 से 120 दिनों तक का समय लगता है।
कछुए के 1000 से ज्यादा बच्चे टोकरों में भरकर समुद्र में छोड़े गए, यहां इतने आखिर आए कहां से?
सुरक्षा की खातिर जुटी टीमें
डीएफओ अमलन नायक के मुताबिक, बड़ी तादाद में नजर आ रहे कछुओं की गणना व निगरानी के लिए फील्ड स्टाफ तैनात किया गया है। ऐसा ओडिशा के पड़ोसी प्रांत आंध प्रदेश में भी होता है।
टोकरे में छोड़े गए कछुए
पिछले दिनों हजारों कछुए टोकरों में भरकर सुरक्षित जगह पर छोड़े गए थे। विशाखापत्तनम जिला कलेक्टर मल्लिकार्जुन और वन अधिकारियों ने बताया कि, तट पर हजारों कछुए के बच्चे हैं।