अब मोदी सरकार कांग्रेस के लिए करना चाहती है ये खास इंतजाम!
नई दिल्ली- केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक बहुत बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार देश के हर जिला मुख्यालय में एक 'विजय स्तंभ' बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके लिए सीपीडब्ल्यूडी को विशेष निर्देश भी दे दिए गए हैं। मोदी सरकार ये 'विजय स्तंभ' आपातकाल के दौरान जेल गए 'लोकतंत्र सेनानियों' की याद में बनाना चाहती है। जाहिर की मोदी सरकार अगर अपने इस मंशा को अमलीजामा पहनाने में कामयाब रही तो देशभर में ऐसे मेमोरियल बनकर तैयार होंगे जो कांग्रेस को हमेशा-हमेशा के लिए चिढ़ाते रहेंगे। आपातकाल भारतीय इतिहास का एक ऐसा दौर है, जिसका कांग्रेस कभी जिक्र करने के लिए भी तैयार नहीं होती। जबकि, इसके ठीक उलट भाजपा ने इसे हमेशा अपने राजनीतिक फायदे के लिए भुनाने की कोशिश की है। ऐसे में सवाल उठता है कि उन राज्यों में क्या होगा, जहां अभी कांग्रेस की सरकारें हैं।
जिला स्तर पर लिस्ट तैयार करने के निर्देश
सत्ताधारी बीजेपी सरकार देश के हर जिला मुख्यालय में आपातकाल के दौरान यानि 1975 से 77 के बीच जेल गए 'लोकतंत्र सेनानियों' की याद में स्मारक बनाने की योजना पर पूरी सक्रियता से काम कर रही है। इसके तहत जिला मुख्यालयों में एक ऐसा 'विजय स्तंभ' बनाया जाएगा, जिसमें उस जिले से आपातकाल के समय जेल जाने वाले नेताओं और आंदोलनकारियों का नाम सम्मानपूर्वक दर्ज किया जाएगा। जिन राज्यों के पास आपताकाल के खिलाफ आवाज उठाने वाले आंदोलनकारियों की लिस्ट है उन्हें जिला स्तर पर लिस्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजने के लिए कहा गया है। ईटी की जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) को 'विजय स्तंभ' बनाने के संबंध में निर्देश दिए हैं, जिसके तहत इसके लिए जगह ढूंढ़ने और सर्वे का काम करने की जिम्मेदारी दी गई है। निर्देश के मुताबिक सीपीडब्ल्यूडी ही इसकी डिजाइन तैयार करेगा और खुद या अपनी देखरेख में इसके निर्माण का कार्य पूरा करवाएगा।
क्यों उठाया जा रहा है ये कदम?
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के दिमाग में ये विचार तब पैदा हुआ, जब कांग्रेस-शासित कुछ राज्यों ने आपातकाल के आंदोलनकारियों को दिए जाने वाले पेंशन में अड़ंगा लगाना शुरू किया। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आने के कुछ ही महीने बाद आपातकाल के आंदोलनकारियों को पेंशन देने पर रोक लगा दी थी। उसके बाद छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने भी ये पेंशन रोक दिया। गौरतलब है कि आपातकाल के दौरान आंदोलनकारियों को प्रताड़ित किए जाने के लिए तत्कालीन विपक्ष इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को बहुत जिम्मेदार मानता रहा है और कमलनाथ उनके घनिष्ठ मित्रों में से एक रहे हैं। शायद यही वजह है कि बीजेपी सरकार ने ऐसा इंतजाम करने का मन बनाया है, जिसकी टीस कांग्रेस का हमेशा-हमेशा के लिए महसूस होती रह सकती है।
आपातकाल के लिए मोदी के निशाने पर रही है कांग्रेस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर कांग्रेस जब-जब लोगों की निजी स्वतंत्रता छीनने का आरोप लगाती है, पीएम मोदी उसे आपातकाल की याद दिलाकर बोलती बंद करने की कोशिश करते रहे हैं। आपातकाल के दौरान कांग्रेस के विरोध में झंडा उठाने वाली कई विपक्षी पार्टियां आज यूपीए में भी शामिल हैं, ऐसी स्थिति में भाजपा ने खुद को कांग्रेस की नीतियों का एकमात्र विरोधी के रूप में स्थापित करने में सफलता भी पाई है। खुद पीएम मोदी को जब-जब भी मौका मिला है, उन्होंने आपातकाल के लिए कांग्रेस पर जोरदार प्रहार किया है। मसलन एकबार आपातकाल की याद में उन्होंने कहा था, "25 जून की रात और 26 जून की सुबह हिंदुस्तान के लोकतंत्र के लिए एक ऐसी काली रात थी कि भारत में आपातकाल लागू किया गया। उस भयंकर काली घटना पर अनेक किताबें लिखी गई हैं। अनेक चर्चाएं भी हुई हैं, लेकिन आज जब मैं 26 जून को आपसे बात कर रहा हूं, तब इस बात को हम न भूलें कि हमारी ताकत लोकतंत्र है, हमारी ताकत लोक-शक्ति है, हमारी ताकत एक-एक नागरिक है। इस प्रतिबद्धता को हमें आगे बढ़ाना है, और ताकतवर बनाना है और भारत के लोगों की ये ताकत है कि उन्होंने लोकतंत्र को जी के दिखाया है।"
क्या कांग्रेस शासित राज्यों से मिलेगा सहयोग ?
मोदी सरकार जिस दिशा में आगे बढ़ रही है, उसमें कांग्रेस-शासित राज्यों से उनसे चुनौती मिलना तय है। जाहिर है कि बीजेपी के रणनीतिकारों को भी इसका अंदाजा होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी उन राज्यों में भविष्य की राजनीति के लिए इसे एक एजेंडे के रूप में आगे बढ़ाएगी, ताकि इमरजेंसी की याद को जिंदा रखकर कांग्रेस को हमेशा-हमेशा के लिए उस दौर की दागदार यादों से भयभीत किया जा सके।
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