बिना सवाल की संसद को लेकर मोदी सरकार पर सवाल
संसद का सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो एक अक्तूबर तक चलेगा. कोरोना महामारी की वजह से इस बार नियमों में कई बदलाव किए गए हैं.
भारत में संसद सत्र शुरू हो, तो एक हेडलाइन बहुत चर्चा में रहती है- 'संसद सत्र के हंगामेदार होने की आशंका."
कई बार हंगामा प्रश्नकाल में होता है तो कई बार किसी विधेयक पर चर्चा के दौरान हंगामा होता है. कई बार संसद परिसर के अंदर अलग-अलग मुद्दों पर विपक्ष का धरना प्रदर्शन भी होता है.
लेकिन इस बार संसद सत्र शुरू होने के पहले ही हंगामा मचा है. कोरोना की वजह से संसद का मॉनसून सत्र इस बार देर से शुरू हो रहा है. इस कारण इस बार संसद सत्र को लेकर कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं.
14 सितंबर से शुरू हो रहे इस सत्र में लोक सभा और राज्यसभा की कार्यवाही पहले दिन को छोड़ कर दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक होगी. पहले दिन दोनों ही सदन सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक चलेंगे.
इसके अलावा सांसदों के बैठने की जगह में भी बदलाव किए गए हैं, ताकि कोरोना के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके.
इतना ही नहीं, इस बार का सत्र शनिवार और रविवार को भी चलेगा, ताकि संसद का सत्र जितने घंटे चलना ज़रूरी है, उस समयावधि को पूरा किया जा सके.
इससे पहले भी कई मौक़ों पर छुट्टी के दिन और ज़रूरत पड़ने पर रात के समय संसद का सत्र चला है. जीएसटी बिल भी ऐसे ही एक सत्र में रात को पास किया गया था.
इस सत्र में प्राइवेट मेम्बर बिजनेस की इजाज़त नहीं दी गई है, शून्य काल होगा और सांसद जनता से जुड़े ज़रूरी मुद्दे भी उठा सकेंगे, लेकिन उसकी अवधि घटा कर 30 मिनट कर दी गई है.
संसद का ये सत्र एक अक्तूबर को ख़त्म हो जाएगा.
विपक्ष की नाराज़गी
लेकिन इस बार का संसद पहले के संसद सत्र की तरह हंगामेदार नहीं होगा. इसकी वजह है प्रश्न काल का ना होना.
इस बार सांसदों को प्रश्न काल के दौरान प्रश्न पूछने की इजाज़त नहीं होगी. सरकार के इस फ़ैसले को लेकर विपक्ष के सांसद आपत्ति जता रहे हैं.
टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया है, "सांसदों को संसद सत्र में सवाल पूछने के लिए 15 दिन पहले ही सवाल भेजना पड़ता था. सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है. प्रश्न काल कैंसल कर दिया गया है? विपक्ष अब सरकार से सवाल भी नहीं पूछ सकता. 1950 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है? वैसे तो संसद का सत्र जितने घंटे चलना चाहिए उतने ही घंटे चल रहा है, तो फिर प्रश्न काल क्यों कैंसल किया गया. कोरोना का हवाला दे कर लोकतंत्र की हत्या की जा रही है."
MPs required to submit Qs for Question Hour in #Parliament 15 days in advance. Session starts 14 Sept. So Q Hour cancelled ? Oppn MPs lose right to Q govt. A first since 1950 ? Parliament overall working hours remain same so why cancel Q Hour?Pandemic excuse to murder democracy
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 2, 2020
एक निजी पोर्टल के लिए लिखे लेख में डेरेक ओ ब्रायन ने लिखा है- "संसद सत्र के कुल समय में 50 फ़ीसदी समय सत्ता पक्ष का होता है और 50 फ़ीसदी समय विपक्ष का होता है. लेकिन बीजेपी इस संसद को M&S Private Limited में बदलना चाहती है. संसदीय परंपरा में वेस्टमिंस्टर मॉडल को ही सबके अच्छा मॉडल माना जाता है, उसमें कहा गया है कि संसद विपक्ष के लिए होता है."
वहीं कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर ने भी सोशल मीडिया पर सरकार के इस फ़ैसले की आलोचना की है.
दो ट्वीट के ज़रिए शशि थरूर ने कहा है कि हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये सब किया जा रहा है.
उन्होंने लिखा है, "मैंने चार महीने पहले ही कहा था कि ताक़तवर नेता कोरोना का सहारा लेकर लोकतंत्र और विरोध की आवाज़ दबाने की कोशिश करेंगे. संसद सत्र का जो नोटिफ़िकेशन आया है उसमें लिखा है कि प्रश्न काल नहीं होगा. हमें सुरक्षित रखने के नाम पर इसे सही नहीं ठहराया जा सकता."
1/2 I said four months ago that strongmen leaders would use the excuse of the pandemic to stifle democracy&dissent. The notification for the delayed Parliament session blandly announces there will be no Question Hour. How can this be justified in the name of keeping us safe?
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 2, 2020
अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि सरकार से सवाल पूछना, लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ऑक्सीजन के समान होता है. ये सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड में तब्दील कर देना चाहती है. अपने बहुमत को वो एक रबर स्टैम्प की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं, ताकि जो बिल हो वो अपने हिसाब से पास करा सकें. सरकार की जवाबदेही साबित करने के लिए एक ज़रिया था, सरकार ने उसे भी ख़त्म कर दिया है.
2/2 Questioning the government is the oxygen of parliamentary democracy. This Govt seeks to reduce Parliament to a notice-board & uses its crushing majority as a rubber-stamp for whatever it wants to pass. The one mechanism to promote accountability has now been done away with.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 2, 2020
तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के विरोध को लेफ़्ट पार्टी से भी समर्थन मिला है. सीपीआई के राज्यसभा सांसद विनॉय विश्वम ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को चिट्ठी लिख कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि प्रश्न काल और प्राइवेट मेम्बर बिजनेस को ख़त्म करना बिल्कुल ग़लत है और इसे दोबारा से संसद की कार्यसूची में शामिल किया जाना चाहिए.
CPI MP Binoy Viswam writes to Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu. The letter reads, "Given that the duration of time of Parliamentary sittings is the same as it has always been, suspension of Question hour & Private Members business is unjust & must be reinstated immediately." pic.twitter.com/LKzODjXfnK
— ANI (@ANI) September 2, 2020
ऐसी ही एक चिट्ठी लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखी थी.
सरकार का पक्ष
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रश्न काल स्थगित करने को लेकर विपक्ष के नेताओं से बात की है.
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार की कोशिश के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की तरफ़ से दलील य़े दी गई है कि प्रश्न काल के दौरान जिस भी विभाग से संबंधित प्रश्न पूछे जाएँगे, उनके संबंधित अधिकारी भी सदन में मौजूद होते हैं.
मंत्रियों को ब्रीफ़िंग देने के लिए ये ज़रूरी होता है. इस वजह से सदन में एक समय में तय लोगों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे भीड़ भाड़ बढ़ने का ख़तरा भी रहेगा. उसी को कम करने के लिए सरकार ने ये प्रावधान किया है.
संसद की कार्यवाही प्रश्न काल से ही शुरू होती है, जिसके बाद शून्य काल होता है. हालाँकि सरकार की तरफ़ से विपक्ष को भरोसा दिलाया गया है कि प्रश्न काल की उनकी माँग पर विचार किया जाएगा.
संसद का पिछला सत्र 29 मार्च तक चला था. उस वक्त कुछ सांसदों नें कोरोना के माहौल को देखते हुए संसद सत्र जल्द समाप्त करने की मांग की थी. लेकिन तब उनकी माँग को एक बार ठुकरा दिया था.