नीतीश कटारा मर्डर केस: बाहुबली नेता की बेटी से इश्क और फिर हत्या की पूरी कहानी
नई
दिल्ली।
साल
2002
में
हुए
देश
के
चर्चित
नीतीश
कटारा
हत्याकांड
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
दोषी
करार
दिए
गए
विकास
यादव
और
विशाल
यादव
को
25
साल
की
सजा
सुनाई
है।
सबूत मिटाने के मामले में विकास और विशाल को 5-5 साल अलग से सजा सुनाई गई है, यानी दोनों को बिना छूट के कुल 30 साल की सजा काटनी पड़ेगी। वहीं विकास और विशाल के सहयोगी सुखदेव पहलवान को भी 20 साल की सजा काटनी होगी।
सिनेमा के शौक और सियासत के बीच माफिया बने डीपी यादव के अपराधों की पूरी कुंडली
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की बेंच ने विकास और सुखदेव पहलवान द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गईं अपीलों पर ये फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने इस मामले को 'झूठी शान के लिए' की गई हत्या करार दिया था। तो आईए आज आपको इस 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' हत्याकांड की पूरी कहानी विस्तार से बताते हैं।
जानिए क्या होता है सर्जिकल स्ट्राइक जिसे इंडियन आर्मी ने PoK में दिया अंजाम
कौन था नीतीश कटारा
नीतीश कटारा की जब हत्या हुई थी तो उसकी उम्र 25 साल थी। वो पेशे से एक बिजनेसमैन था। उसने मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गाजियाबाद, संस्थान से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। कटारा के पिता भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के एक अधिकारी रहे हैं।
बाहुबली नेता की बेटी से प्यार करना बना मौत का कारण
नीतीश अपनी क्लासमेट भारती यादव से प्यार करता था। भारती यादव यूपी के बाहूबली नेता धर्मपाल यादव की बेटी है। भारती भी नीतीश के साथ अपनी जिंदगी जीना चाहती थी। भारती के भाई विकास को नीतीश और भारती की नजदीकी पसंद नहीं थी।
IAS की पत्नी ने की 10 लाख की ऑनलाइन शॉपिंग, आयकर ने भेजा नोटिस
16-17 फरवरी, 2002 की रात गाजियाबाद में एक शादी समारोह में भारती और नीतीश साथ थे। दोनों को साथ देखकर विकास आपा खो बैठा। उसने अपने चचेरे भाई विशाल के साथ मिलकर समारोह से अगवा कर लिया और फिर हथौड़े से मारकर उसकी हत्या कर दी।
जली हुई मिली थी नीतीश की लाश
20 फरवरी को बुलंदशहर के खुर्जा गांव में नीतीश का शव जली अवस्था में मिला। नीतीश की मां नीलम कटारा ने शव को पहचाना था। वहीं पुलिस ने करनाल के पास से वारदात में प्रयोग की गई गाड़ी भी बरामद कर ली थी।
हत्या के बाद प्यार से इंकार कर इंग्लैंड चली गई भारती
जिस दिन नीतीश कटारा की लाश बरामद हुई थी उसकी दिन भारती यादव इंग्लैंड चली गई। अप्रैल 2003 में जब अदालत ने भारती यादव को गवाही के लिए समन जारी किया था। समन जारी करने के बाद भारती यादव गवाही के लिए नहीं पहुंचीं।
पाकिस्तान से आया कबूतर लाया चिट्ठी, पीएम को दी धमकी
अदालत ने भारती को भगोड़ा करार देने की चेतावनी दी। चेतावनी के बाद भारती यादव भारत लौटी। भारती से पूछताछ किया गया तो वो किसी भी तरह के संबंध होने से मुकर गई। उसने कोर्ट के सामने बताया कि वो और नीतीश सिर्फ दोस्त थे।
तारीखों में नीतीश कटारा हत्याकांड
16-17 फरवरी 2002 : विकास, उसके चचेरे भाई विशाल और उसके सहयोगी सुखदेव पहलवान ने गाजियाबाद में एक विवाह समारोह से नीतीश कटारा (25) का अपरहण कर उसकी हत्या कर दी।
17 फरवरी 2002 : अपने बेटे नीतीश के पार्टी से रहस्यमय ढंग से गायब हो जाने के बाद नीलम कटारा ने गाजियाबाद के कविनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। उन्होंने उत्तरप्रदेश के नेता डीपी यादव और अन्य पर संदेह व्यक्त किया। पुलिस ने बुलंदशहर जिले के खुर्जा में एक अज्ञात शव बरामद किया।
20 फरवरी 2002 : विकास और विशाल को फरार घोषित करने की प्रक्रिया शुरू।
21 फरवरी 2002 : नीलम कटारा ने शव की पहचान की।
23 फरवरी 2002 : विकास और विशाल मध्यप्रदेश में डबरा रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार।
25 फरवरी 2002 : आरोपी भाइयों का बयान दर्ज किया गया।
26 फरवरी 2002 : गाजियाबाद में सीजेएम अदालत ने हिरासत में पूछताछ के लिए आरोपियों को रिमांड पर भेजा।
28 फरवरी 2002 : आरोपियों की निशानदेही पर अपराधस्थल से पीड़ित की घड़ी और एक हथौड़ा बरामद किया गया।
11 मार्च 2002 : पुलिस ने करनाल में एक फैक्टरी से एक टाटा सफारी बरामद, की जिसका उपयोग कथित तौर पर अपराध के लिए किया गया।
3 मई 2002 : पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 364 (अपहरण), 201 (तथ्यों से छेड़छाड़) और 34 (साझा इरादा) के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया।
मई 2002 उच्चतम न्यायालय ने नीलम कटारा की याचिका पर मामला पटियाला हाउस में स्थानांतरित किया।
23 नवंबर 2002 : आरोपियों के खिलाफ आरोप तय।
दिसंबर 2002 : अभियोजन ने साक्ष्य दर्ज करने शुरू किए।
29-30 नवंबर 2006 : आरोपी की बहन भारती यादव अदालत में पेश।
19 अप्रैल 2007 : अजय कटारा सहित 43 गवाहों से जिरह के बाद गवाहों के बयान दर्ज किए जाने की प्रक्रिया पूरी।
20 अप्रैल 2007 : दोनों आरोपियों के बयान दर्ज होने शुरू।
15 मई 2007 : आरोपियों के बयान दर्ज किए जाने की प्रक्रिया पूरी।
30 मई 2007 : बचाव पक्ष के गवाहों से जिरह शुरू।
6 दिसंबर 2007 : अभियोजन पक्ष ने आखिरी बहस पूरी की।
16 अप्रैल 2008 : बचाव पक्ष ने आखिरी बहस पूरी की।
30 अप्रैल 2008 : अभियोजन एवं बचाव पक्ष की लिखित दलीलें पेश। अदालत ने फैसला सुनाने के लिए 14 मई की तारीख मुकर्रर की।
12 मई 2008 : विकास ने स्टिंग ऑपरेशन के मद्देनजर अजय कटारा से फिर से जिरह के लिए आवेदन किया। स्टिंग में कथित तौर पर कहा गया था कि गवाह ने पैसे लिए थे।
14 मई 2008 : अदालत ने विकास की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया।
24 मई 2008 : अजय कटारा द्वारा सीडी की सामग्री और उसके तथ्यों को स्वीकार किए जाने के बाद विकास की याचिका खारिज।
26 मई 2008 : आरोपी ने इस मुद्दे पर नई याचिका दायर की।
27 मई 2008 : अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कौर ने आवेदन खारिज किया और फैसला सुनाने के लिए 28 मई की तारीख मुकर्रर की। आरोपी ने सुनवाई अदालत को फैसला सुनाने से रोकने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया।
28 मई 2008 : सुनवाई अदालत ने विकास और विशाल को हत्या अपहरण और मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी ठहराया। सजा की अवधि की घोषणा 30 मई को की जाएगी।