
Uniform Civil Code की जरूरत पर बोले नितिन गडकरी 'चार पत्नियां रखना अप्राकृतिक है'

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा चार पत्नियां रखना "अप्राकृतिक" है। गडकरी का ये बयान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के उस बयान के बाद आया है जिसमें बिसवा ने कहा था कि भाजपा मुस्लिम पुरुषों के कई पत्नियां रखने के खिलाफ है।

पुरुष चार महिलाओं से शादी करता है तो यह अप्राकृतिक है
गडकरी ने बहुपत्नी विवाह पर सवाल उठाते हुए पूछा क्या आप किसी मुस्लिम देश को जानते हैं जिसमें दो नागरिक कोड हैं? यदि कोई पुरुष किसी महिला से शादी करता है, तो यह स्वाभाविक है, लेकिन अगर कोई पुरुष चार महिलाओं से शादी करता है तो यह अप्राकृतिक है। मुस्लिम समुदाय के प्रगतिशील, शिक्षित चार बार शादी नहीं करते हैं।

यूसीसी किसी एक धर्म के खिलाफ नहीं है
गडकरी ने कहा, यूसीसी किसी एक धर्म के खिलाफ नहीं है, यह देश के विकास के लिए है समान नागरिक संहिता को राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए और इस कानून से इस देश के गरीबों को लाभ होगा।

कानून लाने की योजना क्यों नहीं बना रही है ?
केंद्र पूरे देश में यूसीसी को लागू करने के लिए एक कानून लाने की योजना क्यों नहीं बना रही है ? इस प्रश्न का जवाब देते हुए गडकरी ने कहा मामला समवर्ती सूची में आता है और अगर राज्य सरकारें सहमत हैं, तो इससे देश को फायदा होगा।

हिमंत बिस्वा सरमा ने जानें क्या कही थी बात
गौरतलब है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को कहा था कि उनकी पार्टी मुस्लिम पुरुषों के कई पत्नियां रखने के खिलाफ है। सरमा ने लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल पर हमला बोलते हुए कहा था एआईयूडीएफ प्रमुख की कथित सलाह के अनुसार महिलाएं 20-25 बच्चे पैदा कर सकती हैं, लेकिन भविष्य में भोजन, कपड़े और शिक्षा के लिए सभी खर्च विपक्षी नेता द्वारा वहन किए जाने चाहिए।

हमें मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करना होगा
सीएम बिस्वा सरमा ने कहा था स्वतंत्र भारत में रहने वाले एक पुरुष को तीन या चार महिलाओं से बिना पहली पत्नियों से अलग हुए शादी करने का कोई अधिकार नहीं हो सकता। हम ऐसी व्यवस्था को बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा हमें मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करना होगा। अगर असमिया हिंदू परिवारों के डॉक्टर हैं तो मुस्लिम परिवारों के डॉक्टर भी होने चाहिए।

उतने ही बच्चे पैदा करें जितनों की अच्छी परवरिश कर सकते हैं
असम सीएम सरमा ने कहा था एक इंसान को उतने ही बच्चे पैछा करने चाहिए जिन्हें वे बेहतर इंसान बनाने के लिए भोजन, कपड़े और शिक्षा प्रदान कर सकें। हमारी सरकार की नीति स्पष्ट है हम स्वदेशी लोगों के लिए काम करते हैं, लेकिन हम सभी के लिए प्रगति चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि मुस्लिमों के छात्र, खासकर 'पोमुवा' मुस्लिम, मदरसों में पढ़ें और 'जोनाब' और 'इमाम' बनें।

समान नागरिक संहिता क्या है ?
समान नागरिक संहिता, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है, व्यक्तिगत कानूनों को पेश करने का प्रस्ताव करती है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे, चाहे उनका धर्म, लिंग, जाति आदि कुछ भी हो।
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