हमेशा के लिए आपका ड्राइविंग लाइसेंस छीन लेगी सरकार अगर...
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इसके पहले कदम के तौर पर नया मोटर वाहन कानून लाया जाएगा। दूसरे कदम के तहत दस लाख से अधिक आबादी वाले नगरों में चौराहों पर सीसीटीवी और व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाकर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के आटोमैटिक चालान की व्यवस्था की जाएगी। तीसरा कदम वाहन निर्माताओं को वाहनों के इंजन और बॉडी के डिजाइन में सुधार हेतु विवश करने के लिए ट्रक-बस बॉडी कोड में बदलाव का होगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने अपने मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की और देश में सड़क सुरक्षा से संबंधित कानूनों व उनके अनुपालन की स्थिति के बारे में चर्चा की। इसके बाद संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कई अहम घोषणाएं कीं। गडकरी ने कहा, मौजूदा कानून सड़क हादसों पर अंकुश लगाने में विफल साबित हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के ऐसे नए कानून की जरूरत है जिसके प्रति लोगों में सम्मान भी हो और भय भी। इसलिए नया मोटर वाहन कानून लाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए छह देशों अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन के संबंधित कानूनों का अध्ययन कराया जाएगा।
इसके आधार पर 15 दिनों के भीतर नए कानून का प्रारूप तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद नेशनल रोड सेफ्टी काउंसिल की बैठक बुलाकर राज्यों के साथ उस पर चर्चा की जाएगी। जल्द ही उसे कैबिनेट से मंजूर कराकर संसद में पेश कर दिया जाएगा। सबकुछ समयबद्ध ढंग से होगा।
यह होगा नियम-
अब एक, दो बार गुनाह पर जुर्माना, तीसरे उल्लंघन पर ड्राइविंग लाइसेंस छह महीने के लिए और चौथे उल्लंघन पर हमेशा के लिए जब्त होगा तो लोग स्वत: नियम पालन करने लगेंगे।
इसमें न मंत्री को छूट मिलेगी न सांसद, विधायक या पत्रकार को। पीछे की सीट पर भी बेल्ट बांधना 2002 में ही कानूनन अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन, कोई नहीं बांधता। उन बेल्ट को लोग कवर के पीछे छुपा देते हैं।'
दुर्घटनाओं के लिए वाहनों के खराब डिजाइन को भी जिम्मेदार मानते हुए गडकरी ने ट्रक-बस बॉडी कोड बदलने का इरादा भी जाहिर किया। उन्होंने कहा, कुछ ट्रालर की बॉडी इतनी ऊंची होती है कि मारुति कार जैसे छोटे वाहन उसमें घुस जाते हैं। इसलिए निर्माताओं को वाहनों के डिजाइन सुधारने को कहा जाएगा।
गडकरी ने देशभर में दुर्घटना बहुल स्थानों (ब्लैक स्पॉट्स) की पहचान करने के लिए आरटीओ और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अधिकारियों को वहां खुद जाने व रिपोर्ट देने को कहा है। हालांकि आज नितिन गडकरी और अरविंद केजरीवाल कानूनी दांव-पेंच करने कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दे चुके हैं।