नेपालियों ने सर्दी में k2 पर्वत फ़तह कर रच दिया इतिहास
ऐसा पहली बार हुआ है कि काराकोरम रेंज के इस पर्वत को लाँघने में किसी को कामयाबी मिली है. 28,251 फिट ऊंचे इस पर्वत को अब तक कोई नहीं लाँघ पाया था.10 नेपालियों की एक टीम ने इतिहास रच दिया है. इन्होंने दुनिया के दूसरा सबसे ऊंचे पर्वत K2 को सर्दी के मौसम में फ़तह कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया है. इससे पहले ऐसा किसी भी नेपाली टीम ने नहीं किया
10 नेपालियों की एक टीम ने इतिहास रच दिया है. इन्होंने दुनिया के दूसरा सबसे ऊंचे पर्वत K2 को सर्दी के मौसम में फ़तह कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया है.
ऐसा पहली बार हुआ है कि काराकोरम रेंज के इस पर्वत को लाँघने में किसी को कामयाबी मिली है. इस टीम के एक सदस्य निम्स दाई पुर्जा ने कहा कि वे स्थानीय समय के हिसाब से शाम में पाँच बजे पर्वत के शिखर पर पहुँचे.
इस सर्दी में दर्जनों पर्वतारोही 8,611 मीटर यानी 28,251 फिट ऊंचे इस पर्वत को लाँघने की उम्मीद लगाए थे. लेकिन इसी वीकेंड में स्पेन के पर्वतारोही की चढ़ते वक़्त फिसलने से मौत हो गई थी.
एवरेस्ट से K2 महज़ 200 मीटर छोटा है. यह काराकोरम पर्वत श्रृंखला का पहाड़ है जो पाकिस्तान-चीन की सीमा में फैला है. 8000 मीटर से ज़्यादा ऊंचा 14 पर्वतों में से एक इस पर्वत को लेकर सर्दियों में सबसे ज़्यादा लोगों का रुझान रहता है.
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लंबे समय से इस पर्वत को सबसे ख़तरनाक माना जाता रहा है. अमेरिकी पर्वतारोही जॉर्ज बेल ने 1953 में इस पर चढ़ने की कोशिश की थी और उन्होंने कहा था कि यह एक ख़तरनाक पहाड़ है और इस पर चढ़ने की कोशिश करना मौत को आमंत्रण देना है.
शुरू में नेपाली पर्वतारोहियों की तीन से चार टीम इसे फ़तह करने निकली थी. इनमें कुल 60 लोग थे. लेकिन आख़िर में 10 नेपालियों की एक टीम बनी और इस ऐतिहासिक उपलब्धि को नेपाल के नाम कर दिया.
यूके स्पेशल बोट सर्विस के पूर्व सदस्य पवर्तारोही निर्मल पुर्जा ने इसे फ़तह करने के बाद उत्सव मनाते हुए वहाँ की तस्वीरें साझा की हैं. इनकी इस उपलब्धि की पुष्टि पर्वतारोहण के आयोजक 'सेवन समिट ट्रेक' ने भी की है.
निर्मल पुर्जा ने कहा, ''मानव जाति के इस इतिहास का हिस्सा होने पर हमें गर्व है. इससे साबित होता है कि साथ मिलकर और एक सकारात्मक मानसिक रुख़ से सीमाओं को तोड़ा जा सकता है. हम जो महसूस करते हैं, उसे पाया जा सकता है.''
पहली बार 1987-1988 में मुट्ठी भर विंटर पर्वतारोहियों ने k2 फ़तह करने की कोशिश की थी लेकिन अब तक कोई पर्वतारोही 7,650 मीटर से ऊपर नहीं जा पाया था.
हिमालय के आसपास पर्वतारोही इंडस्ट्री में नेपाली गाइड और इनमें भी ख़ास कर शेरपा को रीढ़ की हड्डी के तौर पर देखा जाता है. ये विदेशी पर्वतारोहियों को अक्सर ऊंचाई पर जाने में मदद करते हैं.
नेपालियों की इस उपलब्धि का जश्न शनिवार को सोशल मीडिया पर भी ख़ूब मनाया गया. नेपाली पर्वतारोहियों के बीच इसे लेकर काफ़ी हलचल है. हालाँकि इनकी उपलब्धियाँ अक्सर सुर्खियों से बाहर रहती हैं.
https://twitter.com/nimsdai/status/1348339444378701824
जानी-मानी पर्वतारोही कामी रिता शेरपा ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा, ''दशकों से नेपाली विदेशियों को हिमालय पर चढ़ने में मदद करते रहे हैं लेकिन हमें जो श्रेय मिलना चाहिए वो भी नहीं मिलता है.''
रिता रिकॉर्ड 24 बार एवरेस्ट पर चढ़ चुकी हैं. उन्होंने कहा, ''यह शानदार है कि 10 नेपालियों ने अपनी बहादुरी और साहस से k2 फ़तह कर इतिहास रच दिया.''
इस कामयाबी की ख़बर तब आई है जब स्पेन के पर्वतारोही स्पैनिअर्ड सेर्गी मिन्गोटे की फिसलने से मौत हो गई. 49 साल के मिन्गोटे दूसरी टीम के हिस्सा थे और के2 पर चढ़ने के क्रम में फिसलकर गिर गए और उनकी जान चली गई.
https://twitter.com/sst8848/status/1350414261659394053
मिन्गोटे कोई अनुभवहीन पर्वतारोही नहीं थे. वो दुनिया भर के 8000 मीटर ऊँचाई वाले सात पर्वतों पर चढ़ चुके थे. उन्होंने एवरेस्ट भी फ़तह कर लिया था. वो बिना ऑक्सिजन के के2 पर जाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वो बुरी तरह से थक चुके थे और जान गँवानी पड़ी.
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