Mathematics Day: जब अस्पताल में भर्ती महान गणितज्ञ रामानुजन ने दुनिया को बताया संख्या '1729' का राज
नई दिल्ली, 22 दिसंबर: हर साल 22 दिसंबर को नेशनल मैथेमेटिक्स डे मनाया जाता है। इसी दिन देश के महान गणितज्ञ रामानुजन का जन्म हुआ था। वैसे तो 1920 में उनके निधन के बाद विद्यार्थियों को छोड़कर ज्यादातर लोगों ने उन्हें भुला दिया था, लेकिन 2012 में मनमोहन सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया। जिसके तहत 22 दिसंबर को रामानुजन के सम्मान में नेशनल मैथेमेटिक्स डे मनाने की शुरुआत हुई। अपने 33 साल के जीवन में रामानुजन ने 3900 से ज्यादा रिजल्ट और खुद की मैथ्स थ्योरम की खोज की, लेकिन उनसे संबंधित एक नंबर का किस्सा पूरी दुनिया में फेमस है।
दरअसल 1918 में रामानुजन लंदन के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां पर उनके सहयोगी और दोस्त जी एच हार्डी उनसे मिलने पहुंचे। वो जिस टैक्सी में आए थे उसका नंबर 1729 था। वो अस्पताल के कमरे में पहुंचे और रामानुजन को बताया कि मैं जिस टैक्सी से आया उसका नंबर 1729 था, जो बहुत ही नीरश नंबर है। मुझे ऐसा लग रहा कहीं ये कोई अपशगुन तो नहीं। इस पर रामानुजन ने उनसे बैठने को कहा और बताया कि ये नीरश नहीं बल्कि बहुत ही दिलचस्प संख्या है।
रामानुजन ने हार्डी को बताया कि 1729 ही ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसे दो अलग-अलग नंबर्स के क्यूब को जोड़कर बनाया जा सकता है। वो भी दो अलग-अलग तरीके से। ये दो तरीके हैं -
13 + 123
यानी 1 + 1728 = 1729
Recommended Video
और
93 + 103
यानी 729 + 1000 = 1729
रामानुजन के लिए ये अचानक की हुई गणना नहीं थी। उनकी बायोग्राफी के मुताबिक वर्षों पहले उन्होंने इस छोटे से अंकगणितीय गणना को देखा था और फिर उसे अपने नोटबुक में दर्ज किया। बाद में ये किस्सा बहुत ही फेमस हुआ और 1729 संख्या को हार्डी-रामानुजन संख्या के नाम से जाना जाने लगा।
ऐसी
रही
जिंदगी
22
दिसंबर
1887
को
रामानुजन
का
जन्म
एक
तमिल
ब्राह्मण
परिवार
में
हुआ
था।
वैसे
तो
वो
गैर
गणितीय
विषयों
में
फेल
रहते
थे,
लेकिन
उन्होंने
गणितीय
ज्यामितीय
और
अंकगणितीय
श्रृंखलाओं
पर
जमकर
काम
किया।
1912
में
वो
मद्रास
पोर्ट
ट्रस्ट
में
क्लर्क
के
रूप
में
काम
करने
लगे।
इसके
साथ
ही
उन्होंने
जर्नल
ऑफ
द
इंडियन
मैथमैटिकल
सोसाइटी
में
कई
लेख
लिखे,
जिससे
उनको
पहचान
मिली।
रामानुजन
ने
ग्रेजुएशन
नहीं
की
थी,
लेकिन
1913
में
उनकी
प्रतिभा
को
देखते
हुए
जी
एच
हार्डी
ने
उन्हें
कैम्ब्रिज
बुलाया।
इसके
बाद
उन्होंने
गणित
विषय
के
बारे
में
दुनिया
को
नई-नई
चीजें
बताई।
हालांकि
साल
1920
में
उनकी
असमय
मृत्यु
हो
गई
थी।