क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Mysuru Dasara 2022: मैसूर पैलेस को सिर्फ रोशन करने पर होता है 1 करोड़ रुपए खर्च, 25,000 बल्ब हर साल बदलते हैं

Google Oneindia News

मैसूर, 5 अक्टूबर: Mysore Dussehra Festival 2022 मैसूर दशहरा उत्सव के 10 दिनों के त्योहार का विजयादशमी को भव्य समाप्त होता है। इस बार 10 दिनों के मैसूर दशहरा फेस्टिवल का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मैसूर के चामुंडी हिल्स पर 26 सितंबर को ही धार्मिक रीति-रिवाजों से किया था, जिस दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी उपस्थित थे। मैसूर दशहरा उत्सव हमेशा से भव्य रहा है और इसीलिए इसे रॉयल फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है। यह इतना भव्य धार्मिक आयोजन है कि सिर्फ दशहरा उत्सव पर मैसूर पैलेस की लाइटिंग पर ही करीब एक करोड़ रुपए तक खर्च हो जाते हैं।

भव्यता और सुंदरता में अद्वितीय है

भव्यता और सुंदरता में अद्वितीय है

मैसूर दशहरा फेस्टिवल इस साल 26 सितंबर से शुरू होकर विजयादशमी के दिन 5 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है। आखिरी दिन का मुख्य आकर्षण जगमगाते मैसूर पैलेस से बन्नीमंडप तक की शाही शोभायात्रा होती है, जिसे जंबो सवारी कहते हैं। 10 दिनों के दशहरा उत्सव के लिए मैसूर शहर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक इस त्योहार में पूरा शहर भाग लेता है। पूरे नवरात्रि भर चलने वाले और विजयादशमी पर संपन्न होने वाले इस उत्सव में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग मैसूर में जुटते हैं। मैसूर दशहरा को अक्सर रॉयल फेल्टिवल कहता जाता है। क्योंकि, भव्यता और सुंदरता में यह अद्वितीय है।

मैसूर दशहरा का इतिहास

मैसूर दशहरा का इतिहास

मैसूर दशहरा का इतिहास समृद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा हुआ है, जिसकी शुरुआत 14वीं शताब्दी में हुई थी। हालांकि, जब विजनगर साम्राज्य का पतन हुआ तो बीच में इस सालाना उत्सव में ठहराव भी आया, लेकिन 1610 से राजा वोडियार I के कार्यकाल से यह फिर से शुरू हुआ। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार चामुंडी पहाड़ पर विराजमान देवी चामुंडेश्वरी ने महिषासुर को पराजित किया था। महिषासुर वध की वजह से ही इस शहर का नाम मैसूर पड़ा।

मैसूर पैलेस की रोशनी पर आता है 1 करोड़ का खर्च

मैसूर पैलेस की रोशनी पर आता है 1 करोड़ का खर्च

यूं तो पूरे नवरात्रि में 10 दिन का मैसूर उत्सव दुनिया भर के सैलानियों को अपनी ओर खींचता है। लेकिन, इस त्योहार का बहुत बड़ा आकर्षण इस अवसर पर रोशनी से जगमाता मैसूर पैलेस है, जो टूरिस्ट के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है। मैसूर दशहरा उत्सव पर मैसूर पैलेस की रोशनी से सजावट कितना अहम है कि सिर्फ इसकी लाइटिंग की मेंटेनेंस पर हर साल करीब 1 करोड़ रुपए का खर्च आता है। दशहरा त्योहार के मौके पर मैसूर पैलेस की सजावट के लिए हर साल 1,00,000 लाख बल्ब लगाए जाते हैं, जिनमें से 25,000 बल्ब को हर साल बदलना होता है।

जंबो सवारी शोभा यात्रा का मुख्य आकर्षण

जंबो सवारी शोभा यात्रा का मुख्य आकर्षण

दशहरा उत्सव की शुरुआत से पहले ही कर्नाटक के वीरानाहोशल्ली से हाथी मैसूर पहुंच जाते हैं। इसके बाद से ये गजापायन के हिस्से के तौर पर पूरे शहर में मार्च करते हैं और विजयादशमी पर जंबो सवारी की तैयारियों में जुट जाते हैं। विजयादशमी के दिन 12 हाथी जंबो सवारी के तौर पर दिन में दो बार मैसूर पैलेस से बन्नीमंडप तक शोभायात्रा में शामिल होते हैं। लेकिन, इस शाही उत्सव की शुरुआत चामुंडेश्वरी देवी के मंदिर में पूजा के साथ होती है, जिसमें राजा का परिवार और सरकारी अधिकारी मौजूद रहते हैं। इस बीच पूरे 10 दिनों तक मसूर पैलेस में कर्नाटक से जुड़े सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

हाथी पर देवी मां की शोभा यात्रा

हाथी पर देवी मां की शोभा यात्रा

दशहरा के दिन मुख्य शोभायात्रा में जंबो सवारी के दौरान सजे हुए हाथियों के साथ बड़े-बड़े बैंड, डांस कलाकार, सशस्त्र सैन्य बल आदि भी शान बनते हैं। एक हाथी के ऊपर सोने के सिंहासन पर देवी की प्रतिमा रखी जाती है, जो शोभा यात्रा का मुख्य आकर्षण होता है। शोभा यात्रा के बाद मशाल जुलूस निकाला जाता है। लेकिन, 10 दिनों के इस उत्सव में धार्मिक आयोजनों के अलावा भी कई तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। इनमें साइकलिंग, हेरिटेज टूर, योगा, फिल्म फेस्टिवल, ट्रेजर हंट और पेट शो जैसे कार्यक्रम शामिल रहते हैं।

स्वर्ण सिंहासन की दुर्लभ झलक पाने का अवसर

स्वर्ण सिंहासन की दुर्लभ झलक पाने का अवसर

इसके अलावा मैसूर के स्थानीय लजीज पकवानों के अलावा कर्नाटक के बाकी खाने से जुड़े फुड स्टॉल भी उपलब्ध होते हैं। शाही महल के बाहर कई तरह की प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं। सबसे बड़ी बात है कि इसी 10 दिनों के दशहरा फेस्टिवल के दौरान ही लोग दरबार हॉल में स्वर्ण सिंहासन की झलक देख सकते हैं, जो मैसूर पैलेस की अनमोल विरासत है।

इसे भी पढ़ें- Dussehra Special:यूपी के इस गांव में मुसलमान करते हैं 'नीलकंठ' दर्शन का इंतजाम, जानिए इसका महत्त्वइसे भी पढ़ें- Dussehra Special:यूपी के इस गांव में मुसलमान करते हैं 'नीलकंठ' दर्शन का इंतजाम, जानिए इसका महत्त्व

Comments
English summary
Mysuru Dasara 2022:The ten-day festival concludes on Vijayadashami. The procession of elephants takes place on the last day. One crore is spent only on light maintenance of Mysore Palace
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X