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हिमालय पर और ज्यादा प्रलयकारी भूकंप की आशंका

By Ajay Mohan
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बेंगलुरु। 2015 में नेपाल में जब 7.5 तीव्रता का भूकंप आया, तो भारत में दिल्ली-यूपी से लेकर बिहार तक कई राज्य हिल गये। वह मंजर आज भी लोग भूले नहीं हैं। आपको बताना चाहेंगे कि भारत में भी ऐसा मंजर दिखाई दे सकता है, वो भी हिमालय पर्वत पर क्योंकि यहां एक बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है।

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यह भविष्यवाणी किसी ज्योतिष ने नहीं बल्क‍ि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्री सिमन क्लेमपरर ने की है। वेबसाइट इंडिया स्पेंड से बातचीत में सिमन ने कहा कि हिमालय पर्वत का जो हिस्सा भारत में है, वह प्रति वर्ष 2 सेंटीमीटर की गति से ख‍िसक रहा है। इस वजह से 400 किलोमीटर की रेंज वाले हिमालय पर्वत पर भूकंप की संभावनाएं बनी हुई हैं। नेपाल भूकंप के केंद्र को गोरखा केंद्र का नाम दिया गया, जो अब कुमाउं-गड़वाल की ओर ख‍िसक गया है।

टेक्टोनिक्स ऑबजेर्वटरी अमेरिका के निदेशक जीन-फिलिप अवोक की रिपोर्ट के अनुसार हिमालय पर्वत के नीचे कीरब 100 से 120 किलोमीटर की फॉल्ट लाइन पर भूकंप की आशंका प्रबल हैं। असल में इसी लाइन से सट कर हिमालय का हिस्सा धीरे-धीरे ऊपर की ओर ख‍िसक रहा है, जिसकी वजह से ऊर्जा उत्पन्न हो रही है। टेक्टोनिक्स के बीच घर्षण बढ़ रहा है और इसकी वजह से भारी मात्रा में ऊर्जा बन ही है। यह ऊर्जा ही भूकंप का कारण बनेगी।

क्या-क्या किया था गोरखा भूकंप ने-

  • इस भूकंप के कारण काठमांडु करीब डेढ़ मीटर तक उत्तर की ओर खिसक गया।
  • भूकंप की वजह से काठमांडु के आस-पास के पहाड़ करीब आधे मीटर छोटे हो गये।
  • काठमांडु के पूर्वोत्तर में स्थ‍ित पहाड़ की हाइट कम हो गई।
  • गोरखा क्षेत्र में पिछले 500 वर्षों में इतना भयानक भूकंप कभी नहीं देखा।
  • इस भूकंप के काण भारत की प्लेट पर भी असर पड़ा।
  • यूरेश‍िया की प्लेट और भारतीय प्लेट के कुछ हिस्से पर ओवरलैपिंग हो गई।

वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप एक प्रक्रिया है, जिसके तहत पर्वत बनते हैं। यूरेश‍िया और भारत की प्लेटें पिछले 50 मिलियन साल से आपस में टकरा रही हैं। इस वजह से भारतीय प्लेट उत्तर की ओर ख‍िसक रही है और धीरे-धीरे यूरेश‍िया की प्लेट के नीचे जा रही है। यही कारण है कि माउंट एवरेस्ट समेत लगभग सभी पर्वत प्रति वर्ष कम से कम एक सेंटीमीटर ऊंचे हो जाते हैं।

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English summary
There is a possibility of a more severe earthquake in the Himalayas. That could be more devastating than Nepal Quake.
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