मोदी सरकार ने गढ़वाल विश्वविद्यालय के वीसी को किया सस्पेंड
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हेमवती नंदन बहुगुणमा गढ़वाल यूनिवर्सिटी के वीसी को प्रशासनिक लापरवाही के चलते सस्पेंड कर दिया है। जवाहर लाल कौल को 2004 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी ने नियुक्त किया था, उनके कार्यकाल को पूरा होने में अब सिर्फ दो वर्ष का समय बचा था। सूत्रों के अनुसार कौल का निष्कासन राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद किया गुरुवार को किया गया है। कौल तीसरे वीसी हैं जिन्हें केंद्र सरकार ने सस्पेंड किया है। इससे पहले विश्व भारती विश्वविद्यालय के सुशांत दत्तगुप्ता और पॉडिचेरी विश्वविद्यालय के वीसी चंद्र कृष्णमूर्ती हैं, जिन्हें सरकार ने उनके पद से सस्पेंड किया था। लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार ने अपने ही द्वारा नियुक्त वीसी को सस्पेंड किया है।
कौल के निष्कासन के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने राष्ट्र्पति को पत्र लिखा था, उनके निष्कासन की दो वजहें दी गई हैं, पहली यह कि उन्होंने कुछ कोर्स में कॉलेज के भीतर 200 सीटें बढ़ाने की अनुमति दी, बावजूद इसके कि नियमानूसार किसी भी कोर्स में 60 सीटें ही हो सकती है और किन्ही खास वजहों के चलते यह 80 हो सकती है। दूसरी वजह यह है कि उन्होंने एक कॉलेज को मान्यता देने के लिए फीस को निर्धारित राशि से कम रखा। दो सदस्यों की कमेटी की जांच के आधार पर कौल को फरवरी माह में नोटिस दिया गया था। यह जांच सीवीसी की रिपोर्ट के बाद की गई थी। कौल को तीन हफ्ते का समय अपनी सफाई देने के लिए दिया गया था।
कौल को जो नोटिस दी गई थी उसमे उनपर यह भी आरोप लगा था कि उन्होंने कुछ कॉलेज का रिजल्ट बावजूद इसके जारी करवाया कि उनकी मान्यता की औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई थीं। वहीं अपने उपर लगे आरोपों के जवाब में कौल ने जो सफाई दी थी उससे मंत्रालय संतुष्ट नहीं था, जिसके बाद राष्ट्रपति ने उनके निष्कासन को मंजूरी दे दी, हालांकि कौल ने सरकार की ओर से नोटिस मिलने से पहले ही 18 दिसंबर को ही अपना पद छोड़ दिया था, लेकिन उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया था और गुरुवार को उन्हें निष्कासित कर दिया गया।
गढ़वाल यूनिवर्सिटी के वीसी से पहले कौल उज्जैन की विक्रम विश्वविद्यालय के वीसी थे, इस दौरान उनके साथ बजरंग दल व वीएचपी के सदस्यों ने बदसलूकी की थी। कौल ने 2014 में कश्मीर में आई बाढ़ के बाद रीलीफ फंड इकट्ठा करने की बात कही थी, जिसके चलते उनके साथ बदसलूकी की गई थी।