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मोदी सरकार करे तो 'नेटसेवी' और जनता करे तो 'साइबर क्राइम'!

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नई दिल्ली। कहते हैं नरेंद्र मोदी सरकार बनने के पीछे सोशल मीड‍िया की भूमिका 'संजीवनी' रही। मॉडल और डिवेलपमेंट के दम पर आज मोदी ने भारत की जनता का दिल जीता और फिर सत्ता संभाली। सरकार भले ही शुरु से नेटसेवी रणनीतियों की चहेती रही हो, पर उसे नेटसेबी जनता रास नहीं आ रही है।

आंकड़ों में झांकें तो हकीकत कुछ और है। साइबर क्राइम पर सरकार की गंभीरता में एक पक्षपात झलकता है, जो जताता है कि अभ‍िव्यक्त‍ि की आज़ादी पर मोदी के सिपाही प्रहार कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी, भाजपा, आरएसएस जैसी वाक्यों पर अपनी राय रखने व व्यक्त करने वाले 18 लोग अब तक गिरफ्तार हो चुके हैं।

30 दिन में 18 गिरफ्तार‍ियां सिर्फ साइबर क्राइम के तहत हुईं हैं। गोवा से 31 साल के देवू छुड़ंकर ने पिछले महीने मोदी सरकार अपनी राय क्या वक्त की, उन पर आपत्त‍िजनक पोस्ट का हवाल देते हुए कार्रवाई की गई।

50 हजार लोगों के कम्युनिटी ग्रुप के अंदर देवू ने लिखा था कि मोदी सरकार के आने के बाद क्रिश्च‍ियनों का क्या होगा। अगली गिरफ्तारी दिल्ली के लेखक अमरेश मिश्रा के ट्वीट पर हुर्ह व उनका एकाउंट ड‍िलीट करवा दिया गया। बेंग्लोर के सईद वकास के साथ भी कुछ ऐसा ही हआ। उन पर व्हाट्सएप्प के ज़र‍िए मोदी विरोधी तत्व फैलाने का इल्जाम लगा।

हालांकि नई सरकार की नीतियां भले ही सख्त और अनेाखी हों, पर मसला अभ‍िव्यक्त‍ि की आज़ादी के खतरे का है। यदि राय सिर्फ सकारात्मक ही होंगी, तो सुधार की गुंजाइश भी नहीं होगी। नकारात्मकता से भाजपा भले ही बचती आई हो, पर बड़े लेखकों-चिंतकों ने कहा है कि जब तक कोई गलतियां नहीं बताएगा, तब तक सुधार की संभावनाएं पैदा नहीं होंगी।

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English summary
Modi government is very aware on cyber crime forgets freedom of speech
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