मोदी सरकार को नवंबर में यूपी से मिल सकती है अच्छी खबर, राज्यसभा में भी बढ़ जाएगा दबदबा
नई दिल्ली- आने वाले नवंबर महीने तक सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के चुनाव में अच्छी खबरें मिलने की संभावना है। अगले तीन महीनों में उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की एक-तिहाई से ज्यादा सीटों पर चुनाव होने हैं, जिसमें पलड़ा भाजपा के पक्ष में एकतरफा नजर आ रहा है। जाहिर है कि इसके दम पर ऊपरी सदन में मोदी सरकार को बहुमत हासिल हो जाने की उम्मीद है। बीजेपी सरकार के लिए इसीलिए यह बहुत ही अच्छी खबर है, क्योंकि बहुमत नहीं होने पर भी राज्यसभा में उसे आर्टिकल-370 और सीएए जैसे मुद्दों पर अप्रत्याशित समर्थन मिला था और जब एनडीए के खुद का बहुमत हो जाएगा तो उसके लिए बड़े फैसले लेना और भी आसान हो सकता है।
11 सितंबर को यूपी की 1 राज्यसभा सीट के लिए चुनाव
आने वाले 11 सितंबर को यूपी में राज्यसभा की एक सीट पर उपचुनाव होने वाला है। इसकी अधिसूचना मंगलवार को ही जारी हुई है। यह उपचुनाव समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रहे अमर सिंह की मौत के चलते खाली हुई सीट के लिए हो रहा है। 64 साल के अमर सिंह की इसी महीने की 1 तारीख को सिंगापुर में लंबी बीमारी की वजह से निधन हो गया था। यूपी विधानसभा की मौजूदा संख्या गणित के हिसाब से यह सीट भाजपा आसानी से निकाल सकती है। लेकिन, राज्यसभा में संख्याबल बढ़ाने के लिए छटपटा रही भाजपा के लिए असल उम्मीद नवंबर में होने वाले राज्यसभा चुनाव पर टिकी है, जिसमें उसे उत्तर प्रदेश बहुत ही अच्छी खबर दे सकता है।
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नवंबर में हर उम्मीदवार को चाहिए करीब 37 वोट
आने वाले 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के 10 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। बता दें कि सबसे ज्यादा विधायकों की संख्या वाले राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा यानी 31 सांसदों को राज्यसभा में भेजता है। मतलब, नवंबर में यूपी के कोटे से करीब एक-तिहाई राज्यसभा सदस्यों का चुनाव होना है। अगर मौजूदा समय की बात करें तो यूपी विधानसभा में अभी 395 (कुल सदस्य संख्या-403) विधायक हैं और 8 सीटें खाली हैं। 11 सितंबर को एक सीट के लिए हो रहे चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर बृज भूषण दुबे के मुताबिक, 'राज्यसभा का चुनाव एक जटिल समीकरण के आधार पर होता है। यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत के लिए हर सदस्य को करीब 37 वोट चाहिए।'
10 में से भाजपा की 8 सीटें पक्की
अगर यूपी विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी की मौजूदा ताकत को देखें तो उसके पास अपने 305 विधायक हैं। ऐसे में इस संख्याबल के दम पर भाजपा नवंबर में 10 में से 8 सदस्यों को चुनकर उच्च सदन में आसानी से भेज सकती है; और अगर उसे अतिरिक्त समर्थन मिल गया तो यह संख्या 9 तक पहुंच सकती है। विधायकों की संख्या के मुताबिक 1 सीट समाजवादी पार्टी के पाले में जा सकती है। क्योंकि, समाजवादी पार्टी के पास 48, बहुजन समाज पार्टी के पास 18, बीजेपी की सहयोगी अपना दल के 9, कांग्रेस के 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4, राष्ट्रीय लोकदल के 1 और 3 निर्दलीय विधायक हैं।
एक अतिरिक्त सीट भी जीतने की कोशिश कर सकती है भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के लिए अतिरिक्त 1 सीट जीतने की संभावना इसीलिए बन सकती है, क्योंकि मौजूदा गणित के मुताबिक 8 सदस्यों के लिए वोटिंग के बावजूद उसके पास अपने अतिरिक्त 13 वोट बचेंगे। इसमें अपना दल का 9 वोट शामिल करने से यह संख्या 22 तक पहुंच जाएगी। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक उसे कुछ विपक्षी विधायकों का भी समर्थन मिल सकता है। बीजेपी भले ही किसी का नाम ना ले रही हो, लेकिन रायबरेली के हरचंदपुर और सदर सीट से कांग्रेस विधायक क्रमश: राकेश सिंह और अदिति सिंह खुलकर पार्टी से अलग लाइन ले रहे हैं। इसी तरह भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल भी कहने के लिए तो समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, लेकिन वह भाजपा के पाले में जा चुके हैं।
राज्यसभा में भी एनडीए को मिल सकता है बहुमत
245 सदस्यों वाली राज्यसभा में इस वक्त भारतीय जनता पार्टी के पास अपने कुल 86 सांसद हैं। जबकि, एनडीए का कुल आंकड़ा 113 का है। ऐसे में सितंबर और नवंबर में यूपी में हो रहे चुनाव में भाजपा को उम्मीद के मुताबिक कुल 11 में से 10 सीटें मिल गईं तो एनडीए अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को छू लेगा। जबकि, आर्टिकल-370 और सीएए के दौरान सरकार को ऊपरी सदन में मिली कामयाबी के हिसाब से सोचें तो यह आंकड़ा और ज्यादा हो जाता है। 25 नवंबर को यूपी से जिन राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है, उनमें अरुण सिंह, जावेद अली खान, पीएल पुनिया, राम गोपाल यादव, राजाराम, वीर सिंह, चंद्रपाल सिंह यादव, नीरज शेखर, रवि प्रकाश वर्मा और हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।
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