मिशन म्यांमार- डोभाल के बंगले में बनी थी हमले की रणनीति
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) राजधानी के लुटियन जोन का बेहद खास इलाका जनपथ। यहां का 5 नंबर का बंगला। इधर ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग के बीच म्यांमार में आतंकियों का सफाया करने की रणनीति बनी थी 5 जून को। हालांकि ये दोनों साउथ ब्लाक के दफ्तर में भी मिल सकते थे, पर तय यह हुआ कि बैठक डोभाल के निवास पर ही हो।
पहले गुजराल रहे
बता दें कि इसी 5 नंबर के बंगले में लंबे समय तक इंद्र कुमार गुजराल भी रहे प्रधानमंत्री पद से मुक्त होने के बाद। पिछले साल ये बंगला डोभाल को दिया गया था। ये आठ बैडरूम का बंगला है। कहते हैं, जब ये दोनों सारी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे थे उस वक्त वहां पर और कोई नहीं था। बातचीत करीब एक घंटे चली। [म्यांमार ऑपरेशन पर उठे सवाल, भारत के दावे पर लगा प्रश्नचिन्ह]
डोभाल को बधाई
इस बीच, रक्षा मामलों के जानकार म्यांमार में आतंकियों का सफाया करने वाले अभियान को मूर्त रूप देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को हार्दिक बधाई दे रहे हैं।
मौत के घाट
वरिष्ठ लेखक देव सिंह रावत कहते हैं कि म्यांमार भारत का मित्र है, म्यांमार की सहमति से व म्यांमार की सेना के साथ संयुक्त अभियान में भारतीय सेना ने बहुत ही बहादुरी से इन भारतद्रोहियों को मौत के घाट उतारा है। इसके लिए म्यांमार, भारतीय सेना के साथ साथ भारतीय नेतृत्व को हार्दिक बधाई दी जानी चाहिए।
भारतीय सेना के विशेष दल ने म्यांमार में पेराशूट से उतर कर इन देशद्रोहियों का खासकर जिन्होंने इसी पखवाडे मणिपुर में भारतीय सेना के 20 जवानों को मौत के घाट उतारा था उनमें से कई आतंकियों का इस अभियान में सफाया किया।
भारतीय सेना का यह अभियान देश व सेना का मनोबल बनाने के साथ साथ दुश्मनों की चूलें हिलाने वाला साबित होगा। रावत कहते हैं कि इंदिरा गांधी के बाद पहली बार देश को मिले भारतीय नेतृत्व ने इस प्रकार का साहसिक कार्य करके देश का सम्मान बढ़ाया।