आखिर ऐसा क्या था उस फैक्स में जिसके चलते ऐन वक्त पर रोक दी गई कोली की फांसी?
मेरठ। गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्यालय को सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को फैक्स के माध्यम से सूचित किया कि निठारी हत्याकांड के दोषी सुरेंद्र कोली की फांसी रोक दी जाए। यह आदेश मेरठ जेल के अधिकारियों को कोली की फांसी के कुछ ही घंटे पहले मिला। सर्वोच्च न्यायालय ने एसएसपी कार्यालय को तड़के 3.45 बजे फैक्स के माध्यम से संदेश भेजा कि मेरठ जेल के अधिकारियों को कोली की फांसी रोकने के लिए तत्काल सूचित किया जाए।
पूर्व में आई खबरों के अनुसार, कोली को सोमवार सुबह मेरठ जेल में फांसी दी जानी थी। जेल प्रशासन ने कोली की फांसी के मद्देनजर किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर रात्रि दो बजे ही जेल क्षेत्र की नाकेबंदी कर दी थी। इससे पूर्व कोली की वकील ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा था कि मामले के सह-अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर के खिलाफ विभिन्न लंबित मामलों की सुनवाई पूरी हुए बगैर कोली को फांसी न दी जाए, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो निठारी के पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा।
किया जा चुका था फांसी की पूर्वाभ्यास
सुरेन्द्र कोली को 12 सितम्बर तक फांसी दिए जाने के आदेश दिए गए थे जिसके लिए मेरठ जेल में तमाम तैयारियां पूरी करते हुए फांसी का पूर्वाभ्यास भी कर लिया गया था। वरिष्ठ जेल अधीक्षक एस एच एम रिजवी ने बताया कि 1995 में रिलीज हुई फिल्म जल्लाद सभी जेलकर्मियों को दिखाई गई है जिससे फांसी देने की प्रक्रि या को विस्तार से समझा जा सके। उनका कहना है कि ऎन मौके पर कोई कमी न रह जाए इसलिए सभी पुख्ता व्यवस्थाओं को लेकर फिल्म और पुराने मामलों का शोध किया जा रहा है।