Medical Termination ACT: सरकार ने बढ़ाई गर्भपात की समय-सीमा, जानिए किन मामलों में होगा लागू
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने गर्भपात संबंधी नये नियम को अधिसूचित कर दिया है। अब कुछ खास परिस्थितियों की महिलाओं के मेडिकल गर्भपात के लिए गर्भ की समय सीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते तक यानी कि पांच महीने कर दिया गया है। आपको बता दें कि संसद में पारित गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक,2021 के तहत इस नए नियम को लागू किया गया है।
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आपको बता दें कि गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 इस साल मार्च में पारित किया गया है। यहां पर खास परिस्थितियों की महिलाओं से मतलब रेप पीड़ित, नाबालिग, ऐसी महिलाएं जिनकी वैवाहिक स्थिति गर्भवस्था के दौरान चेंज हुई हों या फिर वो विधवा हो गई हों या फिर तलाकशुदा हो, या फिर गर्भवती महिला का बच्चा स्वस्थ ना हो, या फिर बच्चे में मानसिक या शारीरिक विकृति होने की आशंका हो, दिव्यांग महिलाओं से है।
गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक
आपको बता दें कि पुराने नियम के मुताबिक तीन महीने ( 12 Week) के गर्भपात के लिए एक डॉक्टर ,5 महीने के गर्भपात के लिए 2 डॉक्टर ( 20 week) की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब गर्भ की समय सीमा 5 महीने कर दी गई है और अगर विषम परिस्थितियों में गर्भपात 6 महीने में कराने वाली स्थिति पैदा हो तो इसके लिए मेडिकल बोर्ड का गठन होगा और उसमें महिला के स्वास्थ्य को देखते हुए फैसला लिया जाएगा।
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गर्भपात की नयी समय सीमा सभी महिलाओं के लिए होनी चाहिए
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI) की एक्जिक्यूटिव निदेशक पूनम मुटरेजा ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि 'विज्ञान और चिकित्सा तकनीक के क्षेत्र में हुई तरक्की के मद्देनजर गर्भपात की नयी समय सीमा सभी महिलाओं के लिए होनी चाहिए सिर्फ विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए नहीं,, राज्य स्तर पर मेडिकल बोर्ड का गठन महिलाओं द्वारा गर्भपात कराने के रास्ते में रूकावट बन सकता है क्योंकि कई महिलाओं को बहुत बाद में अपने गर्भवती होने का पता चलता है।'
'ये एक सराहनीय कदम है'
तो वहीं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ लवलीना नादिर ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि 'ये एक सराहनीय कदम है। मुझे उम्मीद है कि यह सभी महिलाओं के लिए सुरक्षित गर्भपात को सुलभ बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है, हम नए फैसले का स्वागत करते हैं।'