क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बेमिसाल जोड़ीः नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने रच डाले कई कीर्तिमान!

Google Oneindia News

Recommended Video

Happy Birthday Amit Shah, जानिए BJP के 'चाणक्य' का सियासी सफ़र | वनइंडिया हिन्दी

बेंगलुरू। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का राजनीतिक कैरियर आज ऐसे पड़ाव पर है, जहां हर राजनेता के पहुंचने का सपना होता है। 22 अक्टूबर को अपना 55वां जन्मदिन मना रहे अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी की दोस्ती वर्षों पुरानी है और उससे अधिक महत्वपूर्ण है उनके बीच की गहरी दोस्ती, जो भरोसे के गारे और ईंट से ऐसी मजबूत दीवार है, जो वर्ष 1986 के दौरान हुई पहली मुलाकात के बाद वर्तमान में भी बदस्तूर कायम है। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने भारतीय राजनीति में कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसकी कल्पना राजनीतिक पंड़ितों ने भी नहीं की थी।

Amit shah

दिल्ली की राजनीति से पूर्व करीब दो दशक तक गुजरात प्रदेश की राजनीति में साथ-साथ चले पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की दोस्ती की शुरूआत वर्ष 1986 में हुई। यह दोनों नेताओं की औपचारिक मुलाकात थी और यह औपचारिक मुलाकात जल्द ही गहरी दोस्ती में तब्दील हो गई। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पूर्व दोनों नेता गुजरात से निकलकर दिल्ली पहुंचे।

Amit shah

अमति शाह को बीजेपी की कमान सौंपी गई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए गए। गुजरात में 15 वर्षों तक सफल शासन का ही नतीजा था कि मोदी और शाह को बीजेपी में शीर्ष जिम्मेदारी दी गई। संगठन के कामकाजों के लिए अमित शाह का जहां कोई सानी नहीं था। वहीं, पब्लिंग डीलिंग और सरकार प्रबंधन में नरेंद्र मोदी को महारत हासिल थी। यही वजह थी कि दोनों की जोड़ी ने लगातार 15 वर्ष तक गुजरात में बीजेपी की सत्ता के सूत्रधार ही नहीं, सर्वेसर्वा बने रहे।

Amit shah

राजनीतिक गलियारों में दोनों नेताओं की दोस्ती के चर्चे खूब होते हैं। गुजराती मोदी और शाह की पहली मुलाकात वर्ष 1982 में उस वक्त हुई थी मोदी संघ के कार्यकर्ता के तौर पर एक कॉलेज कार्यक्रम में आए थे और अमित शाह वहां एबीवीपी के नेता के तौर पर आए थे। वर्ष 1995 में अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव में बीजेपी की भारी जीत की पटकथा मोदी और शाह के नेतृत्व को जाता है।

इसके बाद दोनों की जोड़ी का ही करिश्मा था कि उनके नेतृत्व कुशलता के बदौलत पहली बार बीजेपी को गुजरात के विधानसभा में जीत मिली। मुख्यमंत्री भले ही तब केशुभाई पटेल बनाए गए, जिन्हें पार्टी ने बाद में नरेंद्र मोदी से रिप्लेस कर दिया था। मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री बनाए गए। वक्त का पहिया तेजी से फिर बदला, नरेंद्र मोदी आज देश के प्रधानमंत्री हैं और अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री हैं।

Amit shah

नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बीच गहरी दोस्ती की शुरूआत वर्ष 1986 में हुई थी जब दोनों पहली बार मिले थे। यह दोस्ती साफगोई, ईमानदारी, भरोसे और एकदूसरे के प्रति सम्मान पर टिका हुआ था, जो आज भी बदस्तूर कायम हैं। प्रधानमंत्री मोदी गुजरात से लेकर दिल्ली के राजनीतक सफर में हमेशा लाइम लाइट में रहे, लेकिन अमित शाह चुपचाप संगठन में रहकर पार्टी के लिए काम करते रहे।

एक दूसरे पर भरोसा ही वह कड़ी है कि अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के बीच कभी अदावत की खबरें मीडिया की सुर्खियां नहीं बन सकी। कहते हैं कि दोनों के बीच भरोसे का ऐसा संतुलन है कि अगर अमित शाह किसी भी चीज में हां बोल देते हैं तो नरेन्द्र भाई कभी उसके लिए न नहीं बोलते। यही वजह है कि मीडिया दोनों नेताओं के बीच टकरार की वजह नहीं ढूंढ सकी।

Amit shah

मोदी और शाह को करीबी से जानने वाले कहते हैं कि दोनों नेताओं के बीच कभी एकदूसरे के हितों का टकराव नहीं हुआ। यह इसलिए संभव हुआ, क्योंकि दोनों नेताओं को अपने कार्य क्षेत्र और उसके दायरे लेकर कभी तकरार नहीं हुआ। अमित शाह और नरेंद्र मोदी दोनों अपनी खूबियों को तव्जजों देते हुए आगे बढ़े और एकदूसरे की खामियों की तिलांजलि देकर राजनीति के लंबे सफर को तय करने में सफल हुए।

दोनों के बीच कभी सत्ता, माया और हितों का टकराव इसलिए पैदा नहीं हुआ, क्योंकि दोनों को अपना कार्यक्षेत्र और कार्य क्षमता दोनों पर गलतफहमी कभी नहीं हुई। यह हुनर तब इंसान में जन्म लेता है जब वह समझ जाता है कि अकेला कोई भी स्वयंभू नहीं हो सकता है। इसके लिए दोनों को संघ की ओर से मिली दीक्षा का भी योगदान हैं।

Amit shah

गुजरात से शुरू हुई दोनों नेताओं की राजनीतिक यात्रा को दिल्ली पहुंचे अब करीब 33-34 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक एक भी वाक्या नहीं नमूंदार हुआ जब मीडिया मोदी और शाह के बीच दोस्ती सतह पर आ गई हो और मीडिया को अमित शाह और नरेंद्र मोदी की दोस्ती में दरार टाइप को प्रोग्राम या ब्रेकिंग न्यूज चला पाई हो।

कहा जाता है मोदी और शाह दोनों अपने अपने कार्य को लेकर बेहद प्रोफेशनल एप्रोच रखते हैं और दोनों कभी भी एकदूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप तक करना पसंद नहीं करते हैं। एकदूसरे की क्षमता और योग्यता का एहसास ही वह कड़ी है कि दोनों के बीच कभी हितों का टकराव जैसी स्थिति स्पष्ट नहीं हुईं। जहां मोदी बोलते हैं, वहां अमित शाह मौन रहते हैं और जहां अमित शाह बोल रहे होते हैं, वहां मोदी को मौन रहते हैं, वह भी तब जब वो देश के सर्वोच्च पद प्रधानमंत्री पद पर आसीन हैं।

Amit shah

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए अमित शाह लगातार दो कार्यकालों में पार्टी के कई कीर्तिमान स्थापित किए। एक ओर नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री के तौर पर देश के लिए काम कर रहे थे तो दूसरी तरफ अमित शाह पार्टी की मजबूती के लिए लगातार जुटे हुए थे।

Amit shah

अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी उन प्रदेशों में भी कमल खिलाने में कामयाब हुई जहां पार्टी ने कभी कदम भी नहीं रखे थे। इनमें त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर एक बड़े उदाहरण हैं। पार्टी के विस्तार के लिए अमित शाह ठीक उसी तरह काम कर रहे थे, जिस तरह देश विकास के लिए प्रधानमंत्री मोदी काम किया।

Amit shah

बीजेपी वर्ष 2019 लोकसभा में केंद्र की सत्ता में ऐतिहासिक वापसी का श्रेय मोदी और शाह के नेतृत्व को ही दिया जाता है। ऐसा इसलिए संभव हो सका, क्योंकि दोनों ने एकदूसरे के कार्य क्षेत्र में कभी दखल नहीं दिया। अमित शाह को संगठन में रहते हुए कभी कैबिनेट मंत्रियों की तरह व्यवहार करते हुए नहीं देखा और सुना गया।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने भी कभी संगठन के कामकाजों में भी कभी हस्तक्षेप किया। दोनों एकदूसरे के कार्यों की समीक्षा में शामिल जरूर हुए, लेकिन यह समीक्षा बैठकें टकरावों के बिना हमेशा सहमति के साथ संपन्न हुए। केंद्रीय गृह मंत्री बनने से पहले भी अमित शाह प्रधानमंत्री मोदी को बड़ा भाई मानते थे और वो आज भी उसी मुद्रा में नज़र आते हैं। ऐसा कोई मौका नहीं दिखा जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के रास्ते में आने की कोशिश की हो।

Amit shah

प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी शायद इसीलिए अतुलनीय जोड़ी में शुमार हो गई है, क्योंकि दोनों बेहद प्रोफेशनल तरीके से जिम्मेदारियो का वहन कर रहे हैं। गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह ने संसद के पटल पर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने में मुख्य भूमिका निभाई।

अमित शाह का ही अंकगणित था कि राज्यसभा में अटके बिना न केवल जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने वाला प्रस्ताव पास हुआ बल्कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित राज्यों के पुनर्गठन विधेयक पास हो सका। ऐसा माना जाता है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह एकदूसरे के पूरक हैं, यह बात दोनों शख्स बहुत पहले समझ चुके थे। यही कारण था कि दोनों के बीच कभी हितों का टकराव आड़े नहीं आया।

Amit shah

ऐसा माना जाता है कि वर्ष 2024 में बीजेपी सत्ता में आई तो बीजेपी अमित शाह को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार चुन सकती है। हालांकि यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक स्वयं मोदी और शाह खुद इसके लिए तैयार नहीं हो जाते हैं। क्योंकि यह सभी जानते हैं कि अमित शाह कभी भी मोदी के सामने अपनी उम्मीदवारी की पैरवी को शह नहीं देंगे।

Amit shah

वैसे, यह सवाल अभी भविष्य के गर्भ में है कि बीजेपी किसके नेतृत्व में अगला लोकसभा चुनाव लड़ेगी, लेकिन संकेतों की मानें तो बीजेपी के नेता अभी भी नरेंद्र मोदी ही रहेंगे और मोदी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी अमित शाह के कंधों पर ही होगी।

यह भी पढ़ें- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी कृष्ण-अर्जुन की तरह: शिवराज सिंह चौहान

Comments
English summary
Prime minister Narendra modi and Home minister Amit Shah's deep friendship journey become now 34 years old. shah celebrating their 55th birthday on 22nd October and their political journey started with Narendra modi in year 1986 when both meet first time in gujarat.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X