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कश्मीरी पंडित मार्कंडेय काटजू मजे-मजे से खाते हैं गोमांस

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू मजे-मजे से खाते हैं गोमांस। उन्हें इसके खाने में कुछ भी गलत नजर नहीं आता है। कश्मीरी पंडित काटजूगोहत्या पर प्रतिबंध को लोकतंत्र के खिलाफ करार दिया। खबरों में रहने की तरकीब को जान गए काटजू गोहत्या पर बैन की मांग को राजनीति से प्रेरित बताते हैं।

Markandey Katju enjoys beef delicacies

राजनाथ का तर्क

याद रहे कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि उनकी सरकार गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी।

काटजू ने राजनाथ के इस बयान के विरोध में जो तर्क दिये हैं, वे इस तरह से हैं-

1. मुझे गोमांस खाने में कुछ भी गलत नहीं दिखता है। दुनिया में अधिकतर लोग गोमांस खाते हैं। क्या वे पापी लोग हैं?

2-गोमांस सस्ते प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। भारत में कई लोग उदाहरण के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों- नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और दक्षिणी राज्य केरल, जहां गोमांस की बिक्री पर बैन नहीं है, इसे खाते हैं।

3-मैंने भी गोमांस खाया है। मैं अपनी पत्नी और रिश्तेदारों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए सामान्यत: गोमांस नहीं खाता हूं। लेकिन अगर मौका मिला, तो मैं इसे जरूर खाऊंगा। मैं किसी को गोमांस खाने के लिए विवश नहीं कर रहा हूं, लेकिन कोई मुझे इससे कैसे रोक सकता है? एक लोकतांत्रिक देश में खाने की आजादी होनी चाहिए।

4-इस तरह के बैन से दुनिया को हम पर हंसने का मौका मिलता है, क्योंकि इससे हमारी सामंती सोच का पता चलता है।

5-जो लोग गोहत्या को लेकर चिल्ला रहे हैं, वे उन हजारों गायों की जरा भी फिक्र नहीं करते, जिन्हें ठीक से खाना नहीं मिलता है।

Comments
English summary
Markandey Katju enjoys beef delicacies. He is of the opinion that government should not ban cow slaughter. It is very undemocratic.
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