मंटो हुए पंजाब में पराए, नहीं पढ़ाई जाएंगी कहानियां
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) ठंडा गोश्त,काली सलवार और टोबा टेकसिंह जैसी कालजयी रचनाओं के लेखक सदाअत हसन मंटो को अब उनकेअपने वतन यानी पंजाब में नहीं पढ़ाया जाएगा।
अहम फैसला
पटियाला
की
पंजाबी
यूनिवर्सिटी
ने
कहानीकार
होने
के
साथ-साथ
फिल्म
और
रेडियो
पटकथा
लेखक
और
पत्रकार
मंटो
की
कहानियों
को
अपने
पाठ्यक्रम
से
हटाने
का
फैसला
किया
है।
मंटो
का
जन्म
समराला,
पंजाब
में
हुआ
था।
लुधियाना
के
पास
है
समराला।
वे
देश
के
विभाजन
के
बाद
लाहौर
में
जाकर
बस
गए
थे।
मंटो
का
रचना
संसार
मंटो ने अपने छोटे से जीवनकाल में बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए।इनके कुछ कार्यों का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।
फैसले की निंदा
अब उनकी रचनाओं के स्थान एम.ए(पंजाबी) के छात्रों को अब कुछ जापानियों लेखकों के काम को पढ़ना होगा। वरिष्ठ हिन्दी-पंजाबी लेखक प्रताप सहगल ने पंजाबी यूनिवर्सिटी के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि इससे साफ है कि इस विश्वविद्लाय के कर्ता-धर्ता किस तरह के हैं। यानी कि अब जापानी लेखकों की रचनाओं का पंजाबी अनुवाद पढेंगे छात्र-छात्राएं।