मणिपुर की स्थिति सामान्य होने में लगेगा समय, उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
Manipur Violence: बीती 3 मई को मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की उनकी मांग के विरोध में एकजुट मार्च के बाद झड़पें हुईं। हिंसा के कारण 80 से ज्यादा लोगों की जान गई।
Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि राज्य में हुई हिंसा दो जातियों के बीच संघर्ष का परिणाम है। इसका उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल किए जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्य एक महीने से अधिक समय से जातीय संघर्ष का गवाह रहा है। इस संघर्ष ने छोटे-छोटे आंदोलनों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है।
जनरल चौहान ने यह भी कहा कि मणिपुर की स्थिति का उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है। मुख्य रूप से दो जातियों के बीच टकराव है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है। मणिपुर में चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं और इसमें कुछ समय लगेगा। लेकिन, उम्मीद है कि जल्द ही माहौल शांत हो जाएगा।
जातीय हिंसा पर लगे अंकुश, शाह ने की राज्यपाल-CM से मुलाकात
बीते दिन यानी 29 मई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की मंत्रिपरिषद से मुलाकात की। अमित शाह 4 दिवसीय दौरे यानी एक जून तक राज्य के दौरे पर हैं। शाह ने राज्य में जातीय हिंसा पर अंकुश लगाने की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए सेना के शीर्ष अधिकारियों, नागरिक समाज संगठनों और प्रभावशाली सामुदायिक नेताओं के साथ मुलाकात की।
हिंसा में 80 से ज्यादा लोगों की गई थी जान
आपको बता दें कि बीती 3 मई को मणिपुर में आदिवासियों द्वारा मैतेई (64 प्रतिशत आबादी) और अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की उनकी मांग के विरोध में एकजुट मार्च के बाद झड़पें हुईं। मार्च के बाद से राज्य में फैली हिंसा के कारण 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। करोड़ों की संपत्ति जलकर राख हो गई। हजारों लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।