पत्नी को धोखा देकर भागे विदेश तो छोड़ेंगी नहीं मेनका गांधी
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। अकसर ऐसी खबरें सामने आती हैं कि विवाह के बाद पत्नी को विदेश ले जाकर प्रताडि़त किया जाता है। राष्ट्रीय महिला आयोग को एनआरआई महिलाओं के वैवाहिक विवाद की शिकायतें भी बहुत मिलती हैं। एेसे में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भारतीय महिलाओं को धोखा देने वाले पतियों के विरुद्ध ठोस कानून बनाये जाने का फैसला किया है।
इस कानून के दायरे में जो मामले सामने आएंगे वो इस प्रकार हैं:
- परित्याग
- दहेज मांग
- पति/सास-ससुर द्वारा पासपोर्ट कब्जे में लेना
- बच्चे की हिरासत समस्या
- पति के देश छोड़ने की आशंका
- स्त्री धन की वापसी तथा भरण-पोषण की मांग
- नीति उदासीनता
- विदेशी में न्यायिक प्रक्रिया सेवा
इसके अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग ने एनआरआई/प्रवासी भारतीय विवाह के संबंध में वर्तमान कानून/नए कानून के प्रावधानों में संशोधन का प्रारूप तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए:-
- सभी विवाह कानूनों में संशोधन कर यह व्यवस्था की जानी चाहिए कि भरण-पोषण, निर्वाह खर्च या संपत्ति के मामले में कार्रवाई के लम्बित होने के दौरान पति द्वारा संपत्ति बेचने पर रोक हो।
- कानून में यह स्पष्ट होना चाहिए कि विवाह संबंधी अपराधों के लम्बित होने के मामले में अदालत में एनआरआई दहेज/स्त्री धन की राशि के बराबर रकम की सुरक्षा देंगे।
- अपराध दर्ज होने की स्थिति में पतियों के विरुद्ध लुकआउट नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
- भारत को समन जारी करने, भरण-पोषण आदि को लागू करने तथा प्रत्यर्पण के बारे में उन सभी देशों के साथ पारस्परिक संधि करनी चाहिए जहां भारतीय मूल के लोगों की अच्छी आबादी है।
अप्रवासी भारतीय मंत्रालय ने विदेशों में रहने वाले भारतीय पतियों/विदेशी पतियों द्वारा परित्यक्त भारतीय महिलाओं को कानूनी/वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए योजना लांच की है। यह सहायता विकसित देशों के लिए प्रति मामले 3000 अमेरिकी डॉलर तथा विकासशील देशों के लिए प्रति मामले 2000 अमेरिकी डॉलर तक सीमित है।
यह सहायता पैनल में शामिल आवेदक के वकील या भारतीय समुदाय संघ/महिला संगठन/भारतीय मिशनों/पोस्टों के पैनल में शामिल स्वयंसेवी संगठन को जारी की जाएगी ताकि महिलाओं को मुकदमा दाखिल करने के काम में मदद के लिए कदम उठाए जा सकें।