महाराष्ट्र संकट: SC ने पूछा-क्या डिप्टी स्पीकर अपने मामले में खुद ही जज हो सकते हैं ? 11 जुलाई को अगली सुनवाई
नई दिल्ली, 27 जून: सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र संकट पर आज सुनवाई शुरू हो गई है। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार, महराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे गुट के वकीलों ने अपना पक्ष रखा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल से पूछा है कि क्या वे अपने ही मामलों में खुद ही फैसला ले सकते हैं? सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में आज डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव, केंद्र सरकार और बाकियों को नोटिस थमाकर जवाब देने को कहा है। इस मामले में एकनाथ शिंदे और बाकी शिवसेना के और 15 बागी एमएलए की ओर से डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल की ओर से दी गई अयोग्यता के नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है।
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शिंदे
गुट
ने
राउत
के
'डेड
बॉडी'
वाले
बयान
का
हवाला
दिया
महाराष्ट्र
में
जारी
सियासी
घमासान
के
बीच
अब
शिवसेना
में
उद्धव
ठाकरे
गुट
और
एकनाथ
शिंदे
गुट
के
बीच
की
राजनीतिक
लड़ाई
सुप्रीम
कोर्ट
में
कानून
जंग
में
तब्दील
हो
गई
है।
इस
मामले
में
अदालत
में
एकनाथ
शिंदे
गुट
की
ओर
से
शिवसेना
सांसद
संजय
राउत
के
'डेड
बॉडी'
वाली
टिप्पणी
का
हवाला
देकर
कहा
गया
है
कि
गुवाहाटी
में
डेरा
डाले
शिवसेना
के
विधायकों
की
जान
को
खतरा
है।
पहले
हाई
कोर्ट
नहीं
जाने
पर
बागी
गुट
ने
दी
दलील
आज
की
सुनवाई
में
अदालत
ने
बागी
गुट
के
वकील
से
पूछा
है
कि
वे
इस
मामले
को
पहले
बॉम्बे
हाई
कोर्ट
लेकर
क्यों
नहीं
गए।
इसपर
शिंदे
गुट
के
वकील
एनके
कॉल
ने
कोर्ट
से
कहा
कि
बागियों
के
घरों
और
संपत्तियों
को
नुकसान
पहुंचाया
गया
है
और
ऐसी
परिस्थिति
नहीं
है
कि
वह
मुंबई
जाकर
अपनी
हक
की
लड़ाई
लड़ें।
डिप्टी
स्पीकर
को
अयोग्यता
पर
फैसले
का
अधिकार-सिंघवी
उधर
उद्धव
गुट
की
ओर
से
पेश
होते
हुए
कांग्रेस
नेता
और
वकील
अभिषेक
मनु
सिंघवी
ने
दलील
दी
कि
शिंदे
कैंप
की
ओर
से
पहले
हाई
कोर्ट
नहीं
जाने
का
कोई
कारण
नहीं
बताया
गया
है।
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि
डिप्टी
स्पीकर
को
बागी
विधायकों
को
सौंपी
गई
अयोग्यता
के
नोटिस
पर
फैसला
लेने
का
अधिकार
है।
सिंघवी
ने
कहा
कि
जब
मामला
विधानसभा
में
लंबित
हो
तो
उसकी
न्यायिक
समीक्षा
नहीं
की
जा
सकती।
क्या
डिप्टी
स्पीकर
अपने
मामले
में
खुद
ही
जज
हो
सकते
हैं
?
बागी
विधायकों
की
ओर
से
दलील
दी
गई
कि
जब
डिप्टी
स्पीकर
नरहरि
जिरवाल
के
खिलाफ
खुद
ही
अविश्वास
प्रस्ताव
लंबित
है
तो
वह
विधायकों
की
अयोग्यता
पर
फैसला
नहीं
ले
सकते।
इसपर
डिप्टी
स्पीकर
के
वकील
राजीव
धवन
ने
कहा
कि
अविश्वास
प्रस्ताव
खारिज
कर
दिया
गया
था,
क्योंकि
यह
असत्यापित
ईमेल
ऐड्रेस
के
जरिए
भेजा
गया
था।
जिरवाल
के
वकील
की
दलील
पर
जस्टिस
सूर्य
कांत
ने
पूछा,
'अगर
डिप्टी
स्पीकर
कह
रहे
हैं
कि
वह
उन्हें
ही
हटाने
वाली
याचिका
को
खारिज
कर
रहे
हैं,
तो
सवाल
है
कि
क्या
डिप्टी
स्पीकर
अपने
ही
मामले
में
खुद
ही
जज
हो
सकते
हैं?'
सबसे
बड़ी
बात
की
सुप्रीम
कोर्ट
ने
अगली
सुनवाई
की
तारीख
11
जुलाई
रखी
है
यानी
तबतक
शिवसेना
के
जिन
16
विधायकों
को
उद्धव
गुट
अयोग्य
ठहराना
चाहता
है,
उनके
खिलाफ
डिप्टी
स्पीकर
कोई
कदम
नहीं
उठा
पाएंगे।