मध्यप्रदेश: कॉन्वेंट स्कूल ने नहीं लिए 2000 के चिल्लर, परीक्षा नहीं दे पाई छात्रा
सोमवार को जब ठाकुर सिंह रघुवंशी सेंट जोसेफ कांवेंट स्कूल में कक्षा दूसरी में पढ़ रही अपनी बेटी तेजस्वी की फीस जमा करने पहुंचे तो स्कूल प्रबंधन ने चिल्लर लेने से इंकार कर दिया।
नई दिल्ली। आमतौर पर कॉन्वेंट स्कूलों की मनमानी के कई मामले सामने आते रहते है ताजा मामला मध्यप्रदेश के गंजबासौदा के एक कॉनवेंट स्कूल का है जहां एक छात्रा को फीस जमा होने में देरी की वजह से स्कूल प्रबंधन ने छात्रा को परीक्षा में नहीं बैठाया। ऐसा नहीं था कि छात्रा के पिता के पास स्कूल फीस देने के पैसे नहीं थे या नहीं देना चाहते थे। दरअसल साइकिल दुकान पर पंक्चर जोड़कर ठाकुर सिंह रघुवंशी ने अपनी बेटी की फीस जमा करने दो हजार रुपए की चिल्लर इकठ्ठा की थी। उस चिल्लर को स्कूल प्रबंधन ने फीस के तौर पर लेने से इंकार कर दिया जिस वजह से छात्रा की फीस जमा नहीं हो पाई।
स्कूल प्रबंधन ने चिल्लर लेने से इंकार कर दिया
सोमवार को जब ठाकुर सिंह रघुवंशी सेंट जोसेफ कांवेंट स्कूल में कक्षा दूसरी में पढ़ रही अपनी बेटी तेजस्वी की फीस जमा करने पहुंचे तो स्कूल प्रबंधन ने चिल्लर लेने से इंकार कर दिया। स्कूल की तरफ से चिल्लर लेने से इंकार किए जाने के बाद पिता चिल्लर के बदले नोट लेने के लिए आईसीआईसीआई और बैंक ऑफ इंडिया गए वहां भी बैंक कर्मचारियों ने चिल्लर लेने से इंकार कर दिया। इसी चक्कर में छात्रा की फीस जमा नहीं हो पाई और स्कूल प्रबंधन ने छात्रा को परीक्षा में नहीं बैठाया। बता दें कि ठाकुर सिंह रघुवंशी 2000 रुपए के चिल्लर लेकर गए थे उन्हें फीस के तौर पर 1970 रुपए जमा करना था।
एसडीएम के पास पहुंचा मामला
इस बात की जानकारी जब शहर में के व्यापार महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज डागा और उपमंत्री विपिन तिवारी को लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत एसडीएम सीपी गोयल से की। प्रशासन के पास मामला पहुंचने की खबर लगते ही बैंक प्रबंधन ने बाद में चिल्लर जमा कर ली, लेकिन बच्ची परीक्षा देने से वंचित रह गई।
आरटीई के उल्लंघन का मामला दर्ज हो सकता है
जब इस मामले में ठाकुर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि फरवरी माह की फीस 6 फरवरी को जमा कराई थी। इसके बाद 16 फरवरी से उनकी पुत्री की वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गईं और स्कूल प्रबंधन ने उन्हें परीक्षा के पहले आगामी माह की फीस 1970 रुपए एडवांस में जमा कराने को कहा। ठाकुर सिंह ने इस राशि का इंतजाम तो कर लिया, लेकिन यह राशि उसके पास 5 और 10 रुपए के सिक्कों के रूप में थी। इस मामले में गंजबासौदा के एसडीएम सीपी गोहल ने कहा है कि अगर जांच में स्कूल प्रबंधन दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ आरटीई के उल्लंघन का मामला दर्ज किया जाएगा। एसडीएम ने बैंकों को खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही है।
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