मध्यप्रदेश चुनाव: इन 9 में से 6 सीटें कांग्रेस को नहीं मिली होतीं तो शिवराज ही होते सीएम
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में चुनाव नतीजों के बाद अब कांग्रेस के नेतृत्व में नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। हालांकि इस बार जिस तरह से चुनाव के फाइनल नतीजे घोषित होने में 24 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा, इस पूरे घटनाक्रम ने ईवीएम के दौर में बैलट पेपर से मतदान का दौर जरूर याद दिला दिया। इतना ही नहीं इस बार हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। वोट शेयर देखकर इसे समझा जा सकता है, जहां कांग्रेस और बीजेपी के बेहद कम मार्जिन देखने को मिला। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 114 सीटें अपने नाम की। वहीं बीजेपी का वोट शेयर कांग्रेस से 0.1 फीसदी ज्यादा यानी 41 फीसदी रहा, बावजूद इसके बीजेपी को 109 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।
आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव में 1 करोड़ 56 लाख 42 हजार 980 वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 1 करोड़ 55 लाख 95 हजार 153 वोट मिले। इस चुनाव में 1.4 फीसदी यानी 5 लाख 42 हजार 295 वोट नोटा को मिले। इन आंकड़ों में एक बेहद चौंकाने वाला सच ये भी है प्रदेश की कुल 9 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस उम्मीदवार और बीजेपी उम्मीदवार में बेहद करीबी मुकाबले में महज कुछ सौ वोटों के अंतर से जीत-हार मिली। अगर इन 9 सीटों में से कांग्रेस को 6 सीटें कम मिली होती तो शिवराज सिंह चौहान ही एक बार फिर से सीएम बनते। आइये जानते हैं उन सीटों का हाल जिसने तय की कांग्रेस की जीत...
इसे भी पढ़ें:- 'पार्टी जाए तेल लेने' कहने वाले कांग्रेस नेता जीतू पटवारी का क्या रहा हाल
ग्वालियर दक्षिण: सबसे कम 121 वोटों से अंतर वाली जीत
मध्य प्रदेश में इस बार सबसे कम वोटों के अंतर वाली जीत ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में हुई है। यहां कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण पाठक ने शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा को महज 121 मतों से हराया। नारायण सिंह कुशवाहा इस सीट पर पिछले 15 साल से लगातार जीतते रहे हैं, इस बार भी नारायण सिंह कुशवाहा को टिकट मिलने के बाद से उनकी जीत तय मानी जा रही थी, हालांकि नतीजे बिल्कुल अलग रहे। फाइनल नतीजों में कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण पाठक को 56369 वोट मिले, जबकि नारायण सिंह कुशवाहा को 56248 वोट हासिल हुए। यानी महज 121 वोट से नारायण सिंह कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा।
सुवसरा विधानसभा सीट (कांग्रेस को 350 वोट के अंतर से मिली जीत)
सुवासरा विधानसभा सीट पर भी बेहद करीबी मुकाबला देखने को मिला, जहां इस बार कांग्रेस उम्मीदवार डंग हरदीपसिंह ने जीत हासिल की है। कांग्रेस उम्मीदवार ने बीजेपी के राधेश्याम नानालाल पाटीदार को महज 350 वोटों से हराया। कांग्रेस उम्मीदवार डंग हरदीपसिंह इस चुनाव में जहां 93169 वोट मिले, वहीं बीजेपी उम्मीदवार राधेश्याम नानालाल पाटीदार 92819 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार ओमसिंह भाटी रहे जिन्हें 10273 वोट मिले।
जबलपुर उत्तर सीट का हाल (वोटों का अंतर 578)
जबलपुर उत्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार विनय सक्सेना कड़े मुकाबले में बीजेपी उम्मीदवार को शिकस्त देने में सफल रहे। इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के शरद जैन को 578 वोटों से हराया। फाइनल नतीजों पर गौर करें तो कांग्रेस के विनय सक्सेना 50045 वोट मिले जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शरद जैन को 49467 वोट पर ही संतोष करना पड़ा।
राजनगर सीट का हाल (वोटों का अंतर 732)
राजनगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विक्रम सिंह (नाती राजा) ने जीत हासिल की है। इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अरविन्द पटैरिया को 732 वोटों से हराया। कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम सिंह (नाती राजा) चुनाव में 40362 वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार अरविन्द पटैरिया को 39630 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बीएसपी के विनोद कुमार पटेल रहे, जिन्हें 28972 वोट आए।
बीना विधानसभा सीट का हाल (वोटों का अंतर 632)
बीना विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार महेश राय ने करीबी मुकाबले में कांग्रेस उम्मीदवार को हराया। इन्होंने कांग्रेस के शशि कैथोरिया को 632 वोटों से हरा दिया। भारतीय जनता पार्टी के महेश राय को 57828 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के शशि कैथोरिया को 57196 मत मिले। तीसरे नंबर पर बीएसपी उम्मीदवार अहिरबार सुरेंद्र कुमार रहे, जिन्हें 6889 वोट आए।
कोलारस सीट का हाल (जीत-हार का अंतर 720 वोट)
शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट पर बीजेपी के बीरेन्द्र रघुवंशी ने जीत हासिल की है। इन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस के महेंन्द्र-रामसिंह यादव को 720 वोटों से हराया। बीजेपी के बीरेन्द्र रघुवंशी 72450 वोट मिले, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार महेंन्द्र-रामसिंह यादव को 71730 वोट मिले हैं। तीसरे नंबर बीएसपी कैंडिडेट अशोक शर्मा (गुरुजी) रहे, जिन्हें 16483 मत मिले हैं।
जावरा विधानसभा सीट का हाल (जीत-हार का अंतर 511 वोट)
जावरा विधानसभा सीट पर भी कांटे की टक्कर में बीजेपी उम्मीदवार राजेन्द्र पांडेय उर्फ "राजू भैया" जीत दर्ज करने में सफल रहे। इन्होंने कांग्रेस के के.के.सिंह, कालूखेड़ा को 511 वोटों से हराया। राजेन्द्र पांडेय "राजू भैय्या" को 64503 वोट मिले, जबकि के.के.सिह कालूखेड़ा को 63992 वोट पड़े। इस तरह से ये सीट बीजेपी के खाते में आ गई।
दमोह विधानसभा सीट का हाल (जीत-हार का अंतर 798 वोटों का)
दमोह विधानसभा सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस उम्मीदवार राहुल सिंह ने बेहद करीबी मुकाबले में बीजेपी के जयंत मलैया को हराया। दोनों उम्मीदवारों के बीच जीत का अंतर 798 वोटों का रहा। कांग्रेस उम्मीदवार राहुल सिंह को 78997 वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार जयंत मलैया को 78199 वोट ही आए। तीसरे नंबर पर बीएसपी के कोमल अहिरवार को 5460 वोट मिले।
ब्यावरा विधानसभा सीट (जीत-हार का अंतर 826 वोटों का)
ब्यावरा विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के उत्तरी मालवा के राजगढ़ जिले में आती है। यहां कांग्रेस पार्टी के गोवर्धन डांगी ने बीजेपी विधायक नारायण सिंह पंवार को हराया। दोनों उम्मीदवार के बीच वोट का अंतर 826 वोटों का रहा। कांग्रेस उम्मीदवार गोवर्धन डांगी को 75,569 वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार नारायण सिंह पंवार को 74,743 वोट मिले। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार मोतीलाल लोढ़ा (अन्ना साहब) रहे, उन्हें 13,238 वोट मिले।
राजपुर (ST) विधानसभा सीट का हाल (जीत-हार का अंतर 932 वोटों का)
राजपुर (ST) विधानसभा सीट के फाइनल नतीजे देखें तो यहां कांग्रेस उम्मीदवार बाला बच्चन ने बीजेपी उम्मीदवार अंतरसिंह देवीसिंह पटेल को हराया। दोनों उम्मीदवारों के बीच मतों का अंतर महज 932 वोटों का रहा। कांग्रेस उम्मीदवार बाला बच्चन को 85,513 वोट मिले। यहां नोटा का विकल्प 2485 लोगों ने चुना।
13 सीटों पर जीत-हार का अंतर 2000 से भी कम वोटों का
मध्य प्रदेश चुनाव में तेरह विधानसभा सीटों का फैसला 2,000 से भी कम वोटों के हुआ। उनमें से आठ कांग्रेस के पक्ष में गईं। 1,000 से कम मतों के अंतर से नौ विधानसभा सीटों पर फैसला हुआ। जिसमें से छह कांग्रेस के खाते में गईं। इन 13 सीटों में से कांग्रेस ने 2013 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस ने अपनी सीटों को बरकरार रखा जबकि कम मार्जिन रेस में बीजेपी से पांच छीन ली, वहीं बीजेपी कांग्रेस से ऐसी एक सीट छीन सकी।
इसे भी पढ़ें:- 46 साल बाद शिवराज के विदिशा में भी हार गई भाजपा