मध्यप्रदेश में 'कमल ही कमल' खिलने से कमलनाथ सरकार पर नया संकट
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में बड़ी हार का सामने करने वाली कांग्रेस मध्य प्रदेश में सरकार पर आए नए संकट को टालने की कोशिश में जुटी है। सरकार पर खतरे की खबरों के बीच सीएम कमलनाथ ने पहले मंत्रालय में सभी मंत्रियों के साथ बैठक की और इसके बाद विधायक दल की बैठक हुई। कमलनाथ इसी मीटिंग का हवाला देते हुए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल होने दिल्ली नहीं गए थे।
प्रत्येक मंत्री को 5-5 विधायकों पर नजर रखने का निर्देश
सरकार पर इस नए संकट के बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि प्रत्येक मंत्री को 5-5 विधायकों पर नजर रखने और उनके संपर्क में बने रहने को कहा गया है। एक शीर्ष नेता के मुताबिक, सीएम कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को सावधान रहने के निर्देश देते हुए विपक्षी दल भाजपा की साजिशों को नाकाम करने को कहा है। लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद कमलनाथ ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, इसपर सीएम ने कहा कि उनपर काफी दबाव था।
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कमलनाथ ने विधायक दल के साथ की बैठक
ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मंत्रियों ने दावा किया कि उनके जैसे युवा, ऊर्जावान नेता को पार्टी की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। बता दें कि गुना की परंपरागत सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। जबकि दिग्विजय सिंह को भोपाल में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। दरअसल, पार्टी महासचिव दीपक बावरिया के उस बयान के बाद विवाद बढ़ गया जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुख्यमंत्री ने पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफे की पेशकश की है।
कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश पर बढ़ा विवाद
72 साल के कमलनाथ को ज्योतिरादित्य सिंधिया के बजाय मुख्यमंत्री नामित किए जाने के तुरंत बाद पार्टी में गुटबाजी सामने आई थी। इसी गुटबाजी के कारण सरकार में दरार दिखने लगी। मायावती - जिनका समर्थन सरकार के बने रहने के लिए जरूरी है, गुना सीट से बसपा उम्मीदवार के कांग्रेस में शामिल होने और सिंधिया के साथ जाने पर बसपा सुप्रीमो ने कमलनाथ सरकार को चेताया था। पार्टी के अंदर इसी उठापटक का लाभ बीजेपी ने उठाया और राज्य की 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की।
जून में हो सकता है कैबिनेट का विस्तार
मध्य प्रदेश में सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट जैसे युवा नेताओं की अनदेखी किए जाने के बाद पार्टी में कई लोगों ने इसे कार्यकर्ताओं के मनोबल गिरने की वजह बताया। अब कमलनाथ सरकार के सामने आए नए संकट को देखते हुए मंत्रियों को 5-5 विधायकों पर नजर रखने को कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक, कमलनाथ कैबिनेट का जून में विस्तार हो सकता है।