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तेज प्रताप के अड़ने-लड़ने-भिड़ने में कहीं डूब न जाए राजद की कश्ती

By अशोक कुमार शर्मा
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पटना। लालू की गैरहाजिरी राजद को बहुत अखर रही है। खेवनहार जेल में है। घर की फूट मखमल में पैबंद की तरह दिख रही है। पैबंद को ढकने वाला कोई नहीं है। बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने छोटे भाई तेजस्वी की जोरदार घेरेबंदी की है। रह-रह कर तेज प्रताप के विरोधी तेवर दिखाने से अभी तक तो राजद को कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ी है। लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव में कांटे की लड़ाई होने वाली है, तब छोटा सा जख्म भी नासूर बन सकता है।

तेज प्रताप के लड़ने-भिड़ने में कहीं डूब न जाए RJD की कश्ती

तेज प्रताप की मनमर्जियां
तेज प्रताप ने जहानाबाद और शिवहर सीट पर अपनी पसंद के उम्मीदवार घोषित कर तेजस्वी और राजद की पेशानी पर बल डाल दिये हैं। महागठबंधन के प्रत्याशियों के अधिकारिक एलान के पहले ही तेज प्रताप यादव ने अपने मोहरों को आगे कर दिया है। हालांकि तेज प्रताप यादव अभी भी खुद को कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन बता रहे हैं। इस तरह की बात वह पहले भी बोलते रहे हैं। इतना कुछ बोल कर भी तेज प्रताप करते वहीं हैं जो उनकी मर्जी होती है। तेज प्रताप के इस एलान के बाद इस बात की चर्चा चल पड़ी कि अगर उनकी बात नहीं मानी जाएगी तो वे अलग पार्टी बनाएंगे। जब बात बढ़ने लगी तो तेज प्रताप ने अलग पार्टी बनाये जाने का खंडन कर दिया। इस मामले में तेज प्रताप अड़ें या झुकें, राजद को नुकसान से इंकार नहीं किया जा सकता।

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पार्टी में अहमियत के लिए लड़ाई

पार्टी में अहमियत के लिए लड़ाई

तेज प्रताप पिछले साल जून से ही पार्टी में प्रतिष्ठा पाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। वे घूमाफिर कर कई बार कह चुके हैं कि कुछ खास नेताओं के इशारे पर उनकी अनदेखी की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे का नाम लेकर वे नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। इस साल के शुरू में तेज प्रताप ने रामचंद्रे पूर्वे को औकात में रहने की चेतावनी दी थी। उन्होंने लालू यादव से पूर्वे की शिकायत भी की थी। पूर्वे पर हमला करने का मतलब है तेजस्वी पर वार। पूर्वे वही करते हैं जो तेजस्वी कहते हैं। पिछले साल ही संगठन में अपने समर्थक राजेन्द्र पासवान को जगह नहीं दिये जाने पर तेज प्रताप ने एक तरह से विद्रोह कर दिया था। जब लालू परिवार की किरकिरी होने लगी तो तेजस्वी को झुकना पड़ा। तेज प्रताप के समर्थक को पार्टी में पद पर बैठाना पड़ा। तेज प्रताप का आरोप है कि पार्टी में कुछ असामाजिक तत्व बैठे हुए हैं जो उनकी राह में रोड़ा अटका रहे हैं।

जहानाबाद और शिवहर में तेज प्रताप को दिलचस्पी

जहानाबाद और शिवहर में तेज प्रताप को दिलचस्पी

तेज प्रताप यादव चाहते हैं कि लोकसभा टिकट बंटवारे में उनकी भी पूछ हो। तेजस्वी लालू के घोषित उत्तराधिकारी हैं इस लिए पार्टी में उनकी चलती है। तेज प्रताप भी हिस्सेदारी चाहते हैं। तेज प्रताप ने तेजस्वी को पहले ही बताया था कि जहानाबाद और शिवहर में उनकी पसंद के उम्मीदवार दिये जाएं। उन्होंने जहानाबाद से चंद्र प्रकाश और शिवहार से अंगेश सिंह को प्रत्याशी बनाने की मांग की थी। जब तेजस्वी ने इस मांग पर चुप्पी साध ली तो तेज प्रताप ने मौका ताड़ा और अपनी मांग को सार्वजनिक कर दिया। अगर तेजस्वी यादव तेज की मांग मानने के लिए रजामंद थे ही तो फिर इस बात को सार्वजनिक किया क्यों। जाहिर है वे तेजस्वी को काबू में रखने के लिए ही यह सब कर रहे हैं। तेज प्रताप जानते हैं कि पार्टी में अगर रुतबा बनाना है तो उनके समर्थक विधायक, सांसद भी होने चाहिए।

क्या है तेज का मकसद ?

क्या है तेज का मकसद ?

तेज प्रताप अंगेश और चंद्र प्रकाश के जरिये पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को संदेश देना चाहते हैं कि उनकी भी हैसियत टिकट दिलाने की है। तेज प्रताप ने तर्क दिया है कि चंद्र प्रकाश और अंगेश सिंह राजद की बेहतरी के लिए दिनरात काम कर रहे हैं। वे जब बदलाव यात्रा पर निकले थे तो इन दोनों नेताओं ने संगठन क्षमता से प्रभावित किया था। अगर समर्पित कार्यकर्ताओं को पार्टी में इज्जत मिलेगी तो अच्छा संदेश जाएगा। जहानाबाद से विधायक सुरेन्द्र यादव को राजद का टिकट मिलना तय है। शिवहर सीट पर राजद विधायक अबु दोजाना चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसी सीट को ध्यान में रख कर लवली आनंद कांग्रेस में शामिल हुई हैं। अब देखना है कि तेज प्रताप के रवैये के बाद क्या फैसला होता है। महागठबंधन में पहले से किच किच है। तेज प्रताप के अड़ंगे से कहीं डूब न जाए राजद की कश्ती।

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English summary
Lok Sabha elections 2019: will Tej Pratap Yadav attitude be damaged RJD in election.
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