...तो मधुबनी में इस वजह से घोषित नहीं हुआ महागठबंधन का उम्मीदवार, राख में दबी चिंगारी
पटना। महागठबंधन के भागीदार मुकेश सहनी ने मधुबनी सीट पर प्रत्याशी के नाम का एलान क्यों नहीं किया ? खगड़िया और मुजफ्फरपुर से उम्मीदवारों के नाम तो बताये गये लेकिन मधुबनी में कौन सी मजबूरी आड़े आ गयी ? इस सवाल के जवाब के लिए सियासत के उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरना होगा। चर्चा है कि मुकेश सहनी भाजपा के एक नेता के सम्पर्क में हैं, और उसी को विकाशसील इंसान पार्टी ने चुनाव लड़ाने की जुगत में हैं। इस बात की भनक से राजद और कांग्रेस के नेताओं ने म्यान से तलवारें खींच ली हैं। कहीं संग्राम न शुरू हो जाए इसलिए फिलहाल खामोशी ओढ़ ली गयी है। मधुबनी में पांचवें चरण के तहत 6 मई को चुनाव होना है। इस लिए झंझट फरियाने के लिए कुछ वक्त मिल गया है।
कांग्रेस के शकील अहमद की कसक
पूर्व मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद मधुबनी के रहने वाले हैं। वे यहां से 1998 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में भी वे यहां से चुनाव लड़ना चाहते थे। जब सीट बंटवारे में मधुबनी मुकेश सहनी की पार्टी को मिल गयी तो वे मनमसोस कर रह गये। उन्हें बताया गया कि इस सीट पर विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी खुद चुनाव लड़ेंगे। शकील अहमद ने बेमन से गठबंधन का फैसला मान लिया। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि मुकेश सहनी इस सीट पर भाजपा के बौरो प्लेयर को मैदान में उतारने वाले हैं तो उन्होंने ताल ठोक दी।
शकील
ने
दी
चुनाव
लड़ने
की
धमकी
शकील
अहमद
का
कहना
है
कि
अगर
मुकेश
सहनी
के
पास
कोई
अपना
उम्मीदवार
नहीं
है
तो
वे
महागठबंधन
के
किसी
दल
से
उधार
ले
लें।
लेकिन
अगर
उन्होंने
भाजपा
के
किसी
नेता
को
अपनी
पार्टी
का
चोला
पहना
कर
अखाड़े
में
उतारा
तो
वे
चुप
नहीं
बैठेंगे।
अगर
मुकेश
सहनी
ने
बौरो
प्लेयर
को
टीम
में
शामिल
किया
तो
वे
भी
मधुबनी
से
नॉमिनेशन
कर
देंगे।
शकील
अहमद
के
समर्थक
आरपार
के
मूड
में
हैं।
महागठबंधन
शकील
अहमद
जैसे
मजबूत
नेता
की
नाराजगी
झेलने
की
स्थिति
में
नहीं
है।
कहीं
नये
नवेले
नेता
मुकेश
सहनी
का
खेल
बिगड़
न
जाए
इस
लिए
मधुबनी
में
प्रत्याशी
की
घोषणा
नहीं
की
गयी।
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राजद नेता अली अशरफ फातिमी भी नाराज
अली अशरफ फातिमी एक समय लालू के करीबी और राजद के मजबूत नेता माने जाते थे। दरभंगा से कई बार सांसद भी चुने गये। लालू ने उन्हें केन्द्र में मंत्री भी बनाया था। लेकिन अरसे बाद वे लालू से लड़ कर अलग हो गये। फिर राजद में आये। फातमी पहले दरभंगा के तलबगार थे। लेकिन दरभंगा सीट अब्दुल बारी सिद्दीकी को मिल गयी। फातमी की सिद्दीकी से ठन गयी। फातिमी ने कहा कि 2014 में सिद्दीकी मधुबनी से लड़े थे। उन्हें वहीं जाना चाहिए। लेकिन फातमी की बात नहीं सुनी गयी। फिर उनको लगा कि शायद मधुबनी में उनको एडजस्ट कर लिया जाएगा। लेकिन अब मधुबनी मुकेश सहनी के खाते में है। फातमी नाखुश हैं कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। अब हालात को भांप कर ये कह रहे हैं कि अगर मुकेश सहनी के पास जीताऊ उम्मीदवार नहीं है तो वे विकासशील इंसान पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इस मामले में फातमी राबड़ी देवी से मिल चुके हैं। और तो और वे मुकेश सहनी से मिल कर अपनी बात कह चुके हैं। लेकिन मुकेश सहनी ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
दरभंगा नहीं मिलने पर सहनी ने मधुबनी मांगी
मुकेश सहनी पहले दरभंगा सीट के लिए अड़े हुए थे। वहां भी निषाद समुदाय की आबादी निर्णायक है। लेकिन राजद ने देने से इंकार कर दिया। तब सहनी ने दरभंगा से सटे मधुबनी पर दावा ठोक दिया। पहले उन्होंने मधुबनी से ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। लेकिन जातीय गणित का गुणा भाग करने पर उन्हें लगा कि खगड़िया ज्यादा सेफ सीट हैं। वे अब खगड़िया से लड़ेंगे। ऐसी स्थिति में सहनी मधुबनी में प्रत्याशी को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे हैं। उनकी पार्टी कोई राजनीतिक संगठन तो है नहीं, बस जाति का जुटान है। ऐसे में मंजे हुए पोलिटिशिन कहां से आएंगे। मुकेश सहनी मुम्बई की फिल्मी दुनिया में सक्रिय हैं। प्रोडक्शन क्रू के मेम्बर हैं। खूब पैसा कमाया तो राजनीति करने चले आये। उनको मधुबनी सीट मिल तो गयी है लेकिन किसको मैदान में उतारें, कह नहीं पा रहे। और जो सोच रहे हैं उस पर बवाल तय है।
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