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2014 में बीजेपी 80 पर्सेंट से हुई थी यहां पास, यही 2019 में तय करेंगे फेल या पास

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नई दिल्ली- वैसे तो बीजेपी की पहुंच अब पैन-इंडिया हो चुकी है, लेकिन सच्चाई ये है कि 2014 में भी उसने जिस ऐतिहासिक जीत के साथ सत्ता हासिल की थी, उसका रास्ता कुछ खास राज्यों से होकर ही गुजरा था। दरअसल, उन राज्यों में बीजेपी ने अपनी मौजूदगी का अहसास 1989 से ही कराना शुरू कर दिया था। लेकिन, 2014 में उसने वहां अपने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। 1989 में बीजेपी को कुल जितनी सीटें मिली थीं, उनमें से 70% तब के उन्हीं 6 राज्यों से आई थी। जबकि, 2014 में उन राज्यों से बीजेपी की सीट का यह आंकड़ा 80 फीसदी तक पहुंच गया। यानी 2019 में भी नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनना है, तो उन राज्यों में बीजेपी को अपना प्रदर्शन बरकरार रखना पड़ेगा। क्योंकि, उसमें अगर जरा भी गिरावट आई तो पार्टी के लिए दिल्ली का रास्ता बहुत दूर हो सकता है।

2019 में ये राज्य तय करेंगे मोदी का भविष्य

2019 में ये राज्य तय करेंगे मोदी का भविष्य

यहां जिन 6 पुराने राज्यों की बात हो रही है, वे हैं- उत्तर प्रदेश (यूपी+उत्तराखंड),बिहार (बिहार+झारखंड),मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश+छत्तीसगढ़),राजस्थान,महाराष्ट्र और गुजरात। हमेशा से इन सभी राज्यों को भगवा दबदबे वाले प्रदेशों के रूप में देखा जाता रहा है। इन राज्यों में लोकसभा की कुल 278 सीटे हैं, जो 543 सीटों वाले सदन में 272 के जादूई आंकड़े से 6 ज्यादा हैं। यानी 50 प्रतिशत से भी अधिक।

2014 में बीजेपी अगर पहली बार पूर्ण बहुमत की गैर-कांग्रेसी सरकार बना पाई, तो यह इन्हीं राज्यों की बदौलत संभव हुआ था। तब उसे मिले कुल 282 सीटों में से 221 सीटें यहीं से आई थीं। जबकि, इन राज्यों के अलावा दूसरे राज्यों में वह सिर्फ 61 सीटें ही जीत पाई थी। हालांकि, बाकी राज्यों में भी 61 सीटों पर जीत का यह आंकड़ा बीजेपी का बेहतरीन प्रदर्शन था। लेकिन, अगर उसकी तुलना 1999 से करें, तो तब भी वहां उसे 52 सीटें मिली थीं। यानी 2014 में पार्टी को 6 राज्यों के बाहर महज 9 सीटें ही ज्यादा मिली थीं। इसलिए यह कहने में कोई भी हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए कि अबकी बार भी बीजेपी और मोदी के लिए जीत का सारा दारोमदार इन्हीं राज्यों के भरोसे है।

इन राज्यों में बीजेपी के वोट शेयर का अंक गणित

इन राज्यों में बीजेपी के वोट शेयर का अंक गणित

2014 में बीजेपी को अपने दम पर पूर्ण बहुमत मिला, तो उसके वोट शेयर में भी अच्छा खासा इजाफा हुआ था और इस नजरिए से भी बीजेपी का प्रदर्शन अब तक का सर्वश्रेषठ रहा था। लेकिन, सीटों की तुलना अगर वोट प्रतिशत से करें तो वह उतना उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता। 2014 में पार्टी को उन 6 राज्यों में 42.4 फीसदी मत मिले थे, लेकिन फिर भी वह 80% सीटें जीतने में सफल रही थी। इन सीटों पर 2009 में उसे इन जगहों पर सिर्फ 26.2% ही वोट मिले थे, लेकिन वह अपनी 30 फीसदी सीटें वहीं से जीती थी। वोट शेयर के हिसाब से 2014 से पहले इन राज्यों में बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन 1998 में था, जब वह 34.5 प्रतिशत वोट हासिल कर अपनी 48.6% सीटें वहीं जीती थी। जबकि उससे दो साल पहले यानी 1996 में 31.3 प्रतिशत वोट लेकर भी अपनी 51.4% सीटें वहीं से जीती थीं।

इस बार सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बीजेपी इन राज्यों में अपना वोट प्रतिशत बरकरार रख पाएगी। बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश है, जहां समाजवादी पार्टी और बीएसपी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस किसी न किसी तालमेल के साथ मैदान में उतर रही है। यानी विपक्ष की एकजुटता बीजेपी के लिए सबसे बड़ा खतरा है। क्योंकि, अगर वोट शेयर जरा भी खिसका तो उसकी चुनौती बहुत ही बढ़ सकती है, जिसकी भरपाई बाकी राज्यों से हो पाना आसान नहीं लगता।

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2014 के बाद इन राज्यों में बीजेपी का परफॉर्मेंस

2014 के बाद इन राज्यों में बीजेपी का परफॉर्मेंस

बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि 2014 के बाद इन राज्यों में जहां भी चुनाव हुए हैं, बीजेपी का वोट शेयर महाराष्ट्र को छोड़कर बाकी राज्यों में कम ही हुआ है। जिन राज्यों में बीजेपी बड़ी जीत के साथ सरकार में आई है, वहां भी पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में उसका वोट शेयर घटा ही है। मसलन यूपी विधानसभा में पार्टी ऐतिहासिक जीत के साथ लौटी है, लेकिन 2014 से 2017 तक आते-आते उसका वोट शेयर 42.3% से घटकर 39.7% रह गया। उसी तरह उत्तराखंड में भी उसका वोट शेयर 55.3% से घटकर 46.5% रह गया था। उसी तरह झारखंड में 40.1% से 31.3%,गुजरात में 59.1% से 49.1% की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि, मध्य प्रदेश में यह 54.0% से 41%, राजस्थान में 54.9% से 38.8%, छत्तीसगढ़ में 48.7% से 33% और बिहार में 29.4% से 24.4% कम हो गया। अलबत्ता महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को मामूली बढ़त मिली थी और उसका वोट शेयर लोकसभा के 27.3% से बढ़कर 27.8% तक पहुंच गया था।

यानी ज्यादातर आंकड़ें बीजेपी को परेशान करने वाले हैं। विपक्षी दलों के मोदी विरोधी गठजोड़ के पीछे वजह भी यही है। लेकिन, 90 करोड़ से अधिक मतदाताओं वाले देश में, जहां 6 करोड़ से ज्यादा युवा पहली बार प्रधानमंत्री तय करने जा रहे हैं, पहले से कुछ भी भविष्यवाणी करना लगभग असंभव है।

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English summary
lok sabha elections 2019 states that could decide BJPs electoral fortunes
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