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लोकसभा चुनाव 2019: क्या लालू की दुर्दशा के लिए राहुल गांधी जिम्मेवार हैं?

By अशोक कुमार शर्मा
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पटना। राहुल गांधी अब लालू यादव और उनके परिवार पर दिलोजान से मेहरबान हैं। लालू की परेशानियों के लिए वे भाजपा को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी इस मुद्दे को जोरशोर से उठा रहे हैं। अब विपक्ष ने राहुल गांधी को आईना दिखाया है और कहा है कि अगर आपने मनमोहन सरकार का अध्यादेश नहीं फाड़ा होता तो शायद लालू यादव की ये स्थिति नहीं होती। विपक्ष का कहना है कि अगर लालू की दुर्दशा के लिए कोई एक आदमी जिम्मेवार है तो वे हैं राहुल गांधी।

राहुल गांधी के एक्शन में आने की क्या थी वजह

राहुल गांधी के एक्शन में आने की क्या थी वजह

10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से भारतीय राजनीति में खलबली मच गयी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल से अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। उसके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी। सजा पूरी होने के छह साल बाद तक दोषी नेता चुनाव नहीं लड़ सकता। इस फैसले के बाद देश भर के दागी नेताओं में दहशत फैल गयी। उस समय केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। लालू का मनमोहन सरकार पर असर था। वे उस समय छपरा से सांसद थे। चारा घोटाला मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद जल्द ही फैसला आने वाला था। कांग्रेस के रशीद मसूद भी लपेटे में आने वाले थे। अधिकांश मंत्री, सांसद कोर्ट के इस फैसले से डर गये थे। वे इससे बचने का उपाय खोजने लगे। आखिरकार मनमोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का फैसला किया।

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क्या किया मनमोहन सरकार ने ?

क्या किया मनमोहन सरकार ने ?

दागी और दोषी नेताओं को बचाने के लिए मनमोहन कैबिनेट में एक विधेयक पेश किया गया। यह जनप्रतिनिधि संशोधन विधेयक कैबिनेट से मंजूर भी हो गया। इसके बाद इस विधेयक को संसद के मानसून नत्र में पेश किया गया। एनडीए के विरोध के कारण संसद में ये विधेयक पास नहीं हो सका। इसके बाद भी मनमोहन सरकार नहीं मानी। उसने दागियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया। मनमोहन सरकार ने 24 सितम्बर 2013 को कैबिनेट से एक अध्यादेश मंजूर किया। इस अध्यादेश में व्यवस्था थी कि अगर किसी सांसद या विधायक को दोषी ठहराया जाता है तो तत्काल उसकी सदस्यता रद्द नहीं होगी। अगर वह आदेश के 90 दिनों के अंदर ऊपरी अदालत में अपील दायर करता है और कोर्ट सजा पर स्टे ऑर्डर दे देता है, तो दोषी सांसद, विधायक की सदस्यता रद्द् नहीं होगी। हां, ऐसे सांसद या विधायक सदन में मतदान के समय वोट नहीं दे सकेंगे। इस अवधि में वेतन और भत्ते से भी वंचित रहेंगे।

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राहुल गांधी का क्रांतिकारी अवतार

राहुल गांधी का क्रांतिकारी अवतार

दागी नेताओं को बचाने के लिए अध्यादेश लाकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश यात्रा पर चले गये थे। 27 सितम्बर 2013 को कांग्रेस नेता अजय माकन दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। अचानक राहुल गांधी यहां पहुंच गये। माकन कुछ समझ पाते इससे पहले राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार की छीछालेदर कर दी। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि संशोधन अध्यादेश सरासर बकवास है। इसे फाड़ कर फेंक देना चाहिए, यही मेरी राय है। भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि यह अध्यादेश लाकर यूपीए सरकार ने बहुत बड़ी गलती है। राहुल के इस क्रांतिकारी बयान से मनमोहन सरकार हिलने लगी। कैबिनेट के फैसले को संवैधानिक मान्यता हासिल है। अध्यादेश की प्रति फाड़ने का मतलब है संविधान और सरकार का अपमान। इसके बाद विपक्षी दल मनमोहन सिंह से इस्तीफा मांगने लगे। सरकार की किरकिरी होने लगी। राहुल के तेवर को देख कर मनमोहन सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया।

क्या हुआ लालू यादव का ?

क्या हुआ लालू यादव का ?

30 सितम्बर 2013 को रांची के सीबीआइ कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में लालू को दोषी करार दिया। सांसद रहते लालू जेल चले गये। कोर्ट ने 3 अक्टूबर को लालू यादव को पांच साल की सजा सुनायी। अगर राहुल गांधी के तेवर से मनमोहन सरकार ने अध्यादेश वापस नहीं लिया होता तो लालू यादव की लोकसभा सदस्यता बची रह सकती थी। लेकिन लालू की सजा के एलान के ठीक पहले ही अध्यादेश वापस हो चुका था। इसका नतीजा ये निकला कि कोर्ट के फैसला देने के तत्काल बाद लालू की सांसदी खत्म हो गयी। राहुल गांधी उस समय कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। उस समय भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका बहुत सख्त रवैया था। राहुल, लालू यादव से परहेज करते थे। उन्होंने सात साल तक लालू के साथ कभी मंच साझा नहीं किया। यहां तक कि 2015 में लालू के स्वाभिमान रैली में केवल सोनिया गांधी आयीं थीं, राहुल नहीं आये थे। अब यही राहुल गांधी, लालू यादव के लिए बैटिंग कर रहे हैं।

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English summary
lok sabha elections 2019: Is Rahul Gandhi responsible for Lalu yadav's plight
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