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क्या कांग्रेस के अनंत मुंगेर में उखाड़ेंगे भाजपा-जदयू का तंबू ?

By अशोक कुमार शर्मा
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पटना। बिहार के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मुंगेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। अब इस सीट पर कांटे की टक्कर तय है। नीलम देवी का मुकाबला जदयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से होगा। मुंगेर सीट भूमिहार बहुल है। नीलम देवी और ललन सिंह इसी जाति से आते हैं। ललन सिंह को नीतीश और मोदी के नाम पर भरोसा है तो अनंत को अपनी ताकत और मकबूलियत पर।

क्या कांग्रेस के अनंत मुंगेर में उखाड़ेंगे BJP-जदयू का तंबू?

नीलम देवी को क्यों आना पड़ा राजनीति में ?

नीलम देवी मोकामा के दबंग विधायक अनंत सिंह की पत्नी हैं। वे राजनीति से दूर घर गृहस्थी संभालने वाली एक हाउस वाइफ हैं। लेकिन पति अनंत सिंह के कानूनी झंझटों के कारण उन्हें राजनीति में उतरना पड़ा। सियासत के दरवाजे पर उन्होंने 2015 में पहली बार दस्तक दी थी। अनंत सिंह जेल में थे। लालू के दबाव में नीतीश ने अनंत से किनारा कर लिया था। अनंत को मिट्टी में मिलाने के लिए लालू कमर कस चुके थे। लेकिन अनंत सिंह बिल्कुल नहीं डरे। उन्होंने निर्दलीय ही मोकामा से चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस समय अनंत सिंह पर 50 से अधिक आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। छह मामलों में कोर्ट उन पर आरोप तय कर चुका था। अगर इसमें सजा होती तो अनंत सिंह को दो साल से अधिक की सजा हो सकती थी। अनंत को इस बात का अंदेशा था कि कानूनी लफड़े में सरकार कहीं उनकी उम्मीदवारी न रद्द करा दे। एहतियात के रूप में उन्होंने अपनी पत्नी नीलम देवी का भी नॉमिनेशन करा दिया।

2015 में पति-पत्नी थे उम्मीदवार

2015 में पति-पत्नी थे उम्मीदवार

2015 के मोकामा विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह के साथ उनकी पत्नी की भी प्रचार होने लगा। खार खाये लालू कोई कानूनी नुख्ता नहीं निकाल पाये। जब अनंत का पर्चा मंजूर हो गया तो नीलम चुनाव मैदान से हट गयीं। इसके बाद लालू -नीतीश ने अनंत को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। लेकिन राजद-जदयू का वोट बैंक धरा का धरा रह गया। सरकार की ताकत भी काम नहीं आयी। जेल में रहने बाद भी अनंत सिंह शानदार तरीके से जीते। तब बिहार में कहा जाता था कि लालू नीतीश मिल जाएं तो किसी को हरा सकते हैं। लेकिन अनंत सिंह ने अपार लोकप्रियता के दम पर इस अवधारणा को तोड़ दिया। अनंत सिंह के जेल में रहने की वजह से उनके चुनाव प्रचार की कमान नीलम देवी के हाथ में थी। उस समय बिना किसी राजनीतिक अनुभव के उन्होंने बहुत सूझबूझ का परिचय दिया था।

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आपराधिक छवि के बावजूद लोकप्रिय

अनंत सिंह पहले नीतीश के करीबी थे। लेकिन 2015 में ये रिश्ता टूट गया। लालू के इशारे पर जिस तरह नीतीश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी करायी थी अनंत आज भी उसे भूले नहीं हैं। अपमान से आहत अनंत अब जदयू-भाजपा के तंबू को उखाड़ने में लगे हैं। वे अपने दम पर मोकामा जीतते रहे हैं। भले ही उनकी छवि आपराधिक रही हो लेकिन क्षेत्र की जनता उन्हें अपना संरक्षक और मददगार मानती है। वे दूसरों के लिए अख्खड़ और बदमिजाज हैं लेकिन जनता के सुख दुख में शामिल रहते हैं। उनकी अपनी अदालत है। जनता की फरियाद सुनते हैं और इंसाफ के लिए किसी हद तक जाते हैं। इसी खूबी की के कारण इलाके में उन्हें छोटे सरकार कहा जाता है।

अनंत की लोकप्रियता से डरते हैं विरोधी

अनंत की लोकप्रियता से डरते हैं विरोधी

जब 2017 में भाजपा और जदयू की सरकार बनी थी तभी से ललन सिंह की नजर मुंगेर सीट पर थी। अपनी राह आसान करने के लिए उन्होंने अनंत सिंह को साधने की कोशिश भी की थी। मोकामा इलाके के एक कार्यक्रम में ललन और अनंत एक मंच पर बैठे थे। बातचीत भी हुई थी। इसके बाद इस बात की चर्चा चल पड़ी कि अनंत सिंह को जदयू में लाने के लिए ललन सिंह मध्यस्थता कर रहे हैं। लेकिन बात नहीं बनी। ललन सिंह अपनी जीत पक्की करने के लिए अनंत सिंह से मेल चाहते थे। ललन सिंह जानते हैं जब सूरजभान जैसे स्थानीय बाहुबली नेता अनंत सिंह से पार नहीं पा सके तो उनकी क्या बात है। इस लिए वे अनंत पर डोरे डाल रहे थे। कहा जाता है कि अनंत सिंह की मुंगेर सीट पर दावेदारी के बाद सूरजभान सिंह भी घबरा गये थे। वे खुद चाहते थे कि मुंगेर की बजाय उन्हें नवादा सीट मिल जाए। मुंगेर में उन्हें हार की आशंका हो गयी थी। ललन सिंह ने उनका काम आसान कर दिया।

2009 में मुंगेर जीत चुके हैं ललन

2009 में मुंगेर जीत चुके हैं ललन

ललन सिंह भी मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के निवासी हैं। भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं। 2009 में वे इस सीट पर जीत चुके हैं। लेकिन 2014 के चुनाव में सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी से हार गये थे। अब ललन को भरोसा है कि भजपा और जदयू के वोट बैंक से उनकी नाव किनारे लग जाएगी। ललन लोगों के ये भरोसा दे रहे हैं कि अगर केन्द्र में फिर मोदी सरकार बनी तो वे मंत्री भी बन सकते हैं। अब देखना है कि इस बात से वे वोटरों को कितना लुभा पाते हैं। अनंत सिंह के सामने एक मुश्किल ये है कि क्या राजद के यादव वोटर उन्हें वोट देंगे ? क्या लालू उन्हें मन से महागठबंधन का उम्मीदवार मान रहे हैं ? ये सवाल इस लिए क्यों कि लालू की अनंत से पुरानी अदवात रही है। अगर भीतरघात हुआ तभी ललन को फायदा मिलेगा।

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: Congress gives ticket to anant singh wife BJP JDU in Munger Bihar
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