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उम्मीदवार खड़ा किए बगैर अमेठी में राहुल की हार के लिए BSP ही बनी वजह

BSP ने अमेठी में अपना कैंडिडेट नहीं खड़ा किया था, इसके बावजूद बसपा ही राहुल गांधी की हार की वजह बनी।

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नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव के रिजल्ट ने सियासत के गहरे जानकारों को भी चौंका दिया है। 'आएगा तो मोदी ही' का नारा भाजपा की रैलियों में जमकर गूंजा, लेकिन इतने प्रचंड बहुमत के साथ आएगा, इसका अंदाजा शायद भाजपा के नेताओं को भी नहीं रहा होगा। भारतीय जनता पार्टी ने दूसरी बार अकेले दम पर बहुमत का आंकड़ा छुआ है। भाजपा ने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 303 सीटों पर भगवा परचम लहराया और एनडीए भी पहली बार 350 के पार पहुंचा। हालांकि इस चुनाव में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रिजल्ट यूपी के अमेठी का रहा, जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हरा दिया। अमेठी में राहुल गांधी के समर्थन में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष की हार की वजह बहुजन समाज पार्टी ही बनी।

BSP ऐसे बनी राहुल की हार की वजह

BSP ऐसे बनी राहुल की हार की वजह

गुरुवार को घोषित हुए चुनाव परिणामों में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 54731 वोटों के अंतर से हरा दिया। राहुल गांधी को 412867 और स्मृति ईरानी को 467598 वोट मिले। बीएसपी ने यहां अपना कैंडिडेट नहीं खड़ा किया था। इसके बावजूद बीएसपी राहुल गांधी की हार की वजह बनी। दरअसल बीएसपी का कैंडिडेट ना होने पर भाजपा ने सबसे पहले बसपा के ही वोटरों को अपने पाले में किया। इसके लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बाकायदा एक रणनीति तैयार की और उसपर अमल करते हुए बसपा के वोटरों को भाजपा के पक्ष में किया गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा यहां दूसरे नंबर पर रही थी और उसे 93997 वोट मिले। वहीं 2014 के चुनाव में बसपा को 57716 वोट मिले। बसपा के इन्हीं वोटरों में भाजपा ने सेंधमारी की, जिससे उसके वोटों की संख्या बढ़ी और राहुल को गांधी परिवार के मजबूत गढ़ में हार का मुंह देखना पड़ा।

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कांग्रेस का गढ़ रही है अमेठी

कांग्रेस का गढ़ रही है अमेठी

आपको बता दें कि अमेठी में लंबे समय से गांधी परिवार का ही दबदबा रहा है। 2004 से 2019 तक लगातार 15 साल इस सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सांसद रहे। उनसे पहले इस सीट से यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी भी सांसद रह चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अमेठी से चार बार लोकसभा का चुनाव जीते। 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में सबसे बुरा हाल कांग्रेस का ही हुआ है। कांग्रेस को यूपी से महज एक सीट मिली है, जो रायबरेली है। इस बार कांग्रेस ने एक बड़ी रणनीति के तहत प्रियंका गांधी को भी पार्टी महासचिव के पद पर नियुक्त कर पूर्वी यूपी में उतारा था। हालांकि कांग्रेस का यह दांव भी फेल हो गया और पूर्वांचल में उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली।

हार से कांग्रेस में संकट

हार से कांग्रेस में संकट

कांग्रेस को मिली करारी हार का असर भी पार्टी पर दिखने लगा है। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। पहले यूपी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा और उनके बाद कर्नाटक में कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एच के पाटिल ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। अपने पद से इस्तीफा देते हुए एचके पाटिल ने कहा, 'यह वक्त हम सभी के लिए आत्मनिरीक्षण करने का है। मुझे लगता है कि जिम्मेदारी निभाना मेरा नैतिक कर्तव्य है, इसलिए मैं पार्टी में अपने पद से इस्तीफा सौंपता हूं।' वहीं राज बब्बर ने कहा कि यूपी के परिणाम कांग्रेस के लिए काफी निराशाजनक हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस हार की नैतिक तौर पर जिम्मेदारी लेता हूं। राज बब्बर खुद भी यूपी की फतेहपुर लोकसभा सीट से चुनाव हारे हैं।

राहुल ने की इस्तीफे की पेशकश

राहुल ने की इस्तीफे की पेशकश

गौरतलब है कि इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का 17 राज्यों में खाता भी नहीं खुला है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेताओं समेत 9 पूर्व मुख्यमंत्री भी चुनाव हार गए हैं। मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिल्ली में शीला दीक्षित, उत्तराखंड में हरीश रावत, हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है। हार के बाद कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। शनिवार को दिल्ली में आयोजित कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन कमेटी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में पार्टी में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: BSP Becomes Reason For Rahul Gandhi's Defeat In Amethi.
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