‘राष्ट्रवादी’ संकल्प-पत्र के जरिये 'गरीब' और 'किसान' का 'विकास'
नई दिल्ली। कांग्रेस के 52 सूत्री घोषणा-पत्र ("हम निभाएंगे") के बाद भाजपा का जो 75-सूत्री संकल्प पत्र सोमवार को जारी हुआ है, उसका भी फोकस गाँव, गरीब, किसान और विकास है लेकिन इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, सेना, राम मंदिर एवं 'कतिपय हिंदुत्त्ववादी मुद्दों' पर भी खूब जोर दिया गया है. यह संकल्प पत्र पिछले पाँच साल के बेहतरीन काम-काज के लिए मोदी सरकार की पीठ थपथपाता है, और इसी बिना पर सुदूर भविष्य में नजरें टिकाते हुए 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का सपना दिखाता है. उसकी घोषणा यह भी है कि यदि यह एशिया की सदी है तो भारत को इस लायक बनाएंगे कि वह इसका नेतृत्व करे।
गरीब किसान दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों के घोषणा पत्रों के केंद्र में हैं. कांग्रेस ने किसानों के लिए अलग से बजट बनाने, कृषि ऋण नहीं चुकाने को दण्डनीय अपराध नहीं मानने, जैसे वादे किये तो भाजपा का संकल्प पत्र कहता है कि ग्रामीण एवं कृषि विकास पर 25 लाख करोड़ रु का निवेश करेंगे, एक लाख तक के किसान ऋण पर पाँच साल तक ब्याज नहीं देना होगा और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेंगे( 2104 में यही वादा सत्ता में आते ही पूरा करने को कहा गया था). 60 वर्ष की उम्र के बाद किसान और छोटे दुकानदारों को पेंशन देने का वादा भी है गरीबी हटाने के बड़े-बड़े वादे दोनों के घोषणा-पत्रों में हैं। कांग्रेस का 'न्याय' (न्यूनतम आय योजना) खूब चर्चा में है तो भाजपा ने अपनी पहले की घोषणा दोहराई है कि किसानों के खातों में हर साल छह हजार रु डाले जाएंगे. कांग्रेसी घोषणा पत्र की तुलना में रोजगार देने पर संकल्प पत्र मौन है लेकिन रोजगार के लिए 22 विभिन्न क्षेत्र गिनाए गये हैं. पाँच साल में गरीबी को दहाई से इकाई अंक में लाने की बत कही है. भाजपा ने इसके साथ ही ईमानदारी के साथ भ्रष्टाचार मिटाने की बात पर जोर दिया है. कहा है कि इस बारे में 'जीरो टॉलरेंस" की नीति रहेगी यानी भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं जाएगा. हर पाँच किमी पर बैक की सुविधा देने का वादा भी इसी श्रेणी में हैं.
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इसके बाद भाजपा का सारा जोर राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षाऔर 'हिंदूवादी' मुद्दों पर है. इसे उसने अपनी सरकार की उपलब्धियों से भी ज्यादा बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया हुआ है. स्वाभाविक ही था कि 'संकल्प-पत्र' में इसे प्रमुखता से रखा जाता. भाजपा मुख्यालय में संकल्प पत्र जारी करते हुए सभी नेताओं ने अपने भाषणों में राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात भी की. संकल्प पत्र मोदी के नेतृत्व में 'मजबूत सरकार' और राष्ट्रीय सुरक्षा को एक साथ जोड़ता है. कहता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा. सेना और सुरक्षा बलों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए खुली छूट होगी. सेना और पुलिस बलों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, सभी आवश्यक संसाधन और अस्त्र-शस्त्र उपलब्ध कराए जाएंगे. सैनिक कल्याण की बातें भी इसमें हैं तो 'एक रैंक- एक पेंशन' को लागू करने का पुराना वादा भी दोहराया है. कांग्रेसी घोषणा पत्र इस पर स्वाभाविक ही लगभग मौन है.
भाजपा ने अपने एक और विवादित फैसले को संकल्प पत्र में शामिल किया है. घुसपैठ की समस्या को रोकने के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 (सिटीजनशिप बिल) को प्रभावी तरीके से लागू करने की बात कही गई है. भाजपा का मानना है कि घुसपैठ से कुछ क्षेत्रों की सांस्कृतिक तक और भाषाई पहचान में भारी परिवर्तन हुआ है. स्थानीय लोग की आजीविका तथा रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. एनआरसी और सिटीजनशिप बिल के जरिए भाजपा पश्चिम बंगाल समेत उत्तर-पूर्व के राज्यों में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है. पिछले कुछ समय से वहाँ इसको लेकर काफी विवाद हुए हैं. यह अलग बात है कि इसका विरोध कर रही असम गण परिषद से चुनावी तालमेल के बाद भाजपा ने असम में यह मुद्दा ठण्डे बस्ते में डाल दिया था. कांग्रेस इस मुद्दे पर भाजपा के ठीक विपरीत खड़ी है, इसी तरह समान नागरिक संहिता और जम्मू-कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर भी कांग्रेस एवं भाजपा के घोषणा पत्रों में परस्पर विरोधी बातें हैं. कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में संविधानिक यथास्थिति बनाये रखने की बात करती है लेकिन भाजपा का वादा है कि वह इस राज्य का विशेष दर्जा खत्म करेगी. संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए को खत्म करने का वादा तो भाजपाई विचारधारा का अनिवार्य अंग है. संकल्प पत्र में ये वादे फिर शामिल किये गये हैं.
हर बार की तरह भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है, हालांकि प्राथमिकता में यह राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों से काफी नीचे चला गया है.संकल्प पत्र कहता है कि इसके लिए सभी सम्भावनाओं को देखेंगे. इस बात पर वह मौन है कि क्या इसके लिए कानून बनाया जाएगा, जैसा कि कई मंदिर समर्थकों की मांग है. तीन तलाक प्रथा खत्म करने के लिए कानून बनाने की बात एक बार फिर भाजपा ने दोहराई है. इस तरह का कोई वादा कांग्रेस नहीं करती. हाँ, कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी संसद में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के लिए कानून बनाने के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है. शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे जिन महत्त्वपूर्ण मुद्दों को कांग्रेस घोषणा-पत्र में काफी महत्व दिया गया है, उन पर भाजपा का संकल्प-पत्र में लगभग चुप ही है. हाँ, वह विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा बनाने की बात एकाधिक बार करता है. कुल मिलाकर भाजपा का संकल्प पत्र गरीबी मिटा कर. किसानों को खुशाल बनाकर, नये और ताकतवर भारत बनाने के सपने दिखाता है लेकिन साथ ही अपने मूल एजेण्डे-हिंदुत्व और राष्ट्रवाद- को जोर-शोर से सामने रखता है.
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