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Light Combat Helicopters: वायुसेना में शामिल पहले स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर के बारे में सबकुछ जानिए

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जोधपुर, 3 अक्टूबर: रक्षा के क्षेत्र में देश को आज एक और बहुत बड़ी कामयाबी मिली है। स्वदेश में बना लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर आज औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना को सौंप दिया गया है। यह हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर होने के बावजूद दुश्मनों के छक्के छुड़ा देने में सक्षम हैं। यह पूरी तरह से अटैक के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद यह दुश्मनों के वार से खुद को भी और दोनों पायलटों को भी भी पूरी तरह से सुरक्षित रखने की हिसाब से डिजाइन किए गए हैं। चाहे परमाणु हमला हो या जैव हमला या फिर केमिकल अटैक इसका ढांचा हर स्थिति में पायलटों को सुरक्षा प्रदान के लिए बना है।

वायुसेना को मिला पहला स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच)

वायुसेना को मिला पहला स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच)

भारतीय वायुसेना को पहला स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर(एलसीएच) मिल गया है। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर दुश्मनों की वायु सुरक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने में तो सक्षम है ही, काउंटर इंसर्जेंसी के अलावा बाकी अभियानों के लिए भी पूरी तरह से फिट है। सोमवार को यह औपचारिक तौर पर जोधपुर एयर बेस पर इंडियन एयर फोर्स का हिस्सा बन गया। पहली खेप में चार स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर वायुसेना में शामिल किए गए हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी के अलावा रक्षा क्षेत्र के तमाम बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिसक्स लिमिटेड ने किया है। एचएएल के मुताबिक यह लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है, जो भारतीय सशस्त्र सेना की विशेष जरूरतों को पूरा करनें समझ तो है ही, पर्याप्त हथियार और इंधन के भार के साथ 5,000 मीटर तक की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है और उतनी ही ऊंचाई पर लैंड करने भी सक्षम है।

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर में लगे हैं दो 'शक्ति' इंजन

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर में लगे हैं दो 'शक्ति' इंजन

सरकारी क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिसक्स लिमिटेड ने दो इंजनों वाले लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर को विकसित किया है। इसके इंजन फ्रेंच मूल के शक्ति इंजन हैं, जिसका निर्माण भी एचएएल ने किया है। इसे खास तौर पर 5.8-टन क्लास के लड़ाकू हेलीकॉप्टर के तौर पर बनाया है गया, इसलिए यह हल्के श्रेणी का हेलीकॉप्टर है। इसमें पायलट और को-पायलट को एक-दूसरे के आगे-पीछे बैठने की व्यवस्था है। इसमें को-पायलट वैपन सिस्टम ऑपरेटर की भी जिम्मेदारी निभाता है। इसके अलावा इसमें कई और तरह की विशेषताएं शामिल की गई हैं, जिससे यह पूरी तरह से एक अटैक हेलीकॉप्टर के तौर पर काम करता है। इस हेलीकॉप्टर को काफी लंबे वक्त की फ्लाइट टेस्टिंग के बाद वायुसेना और थल सेना में शामिल किए जाने की मंजूरी दी गई है।

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हर जलवायु में अटैक करने में है सक्षम

हर जलवायु में अटैक करने में है सक्षम

हिंदुस्तान एयरोनॉटिसक्स लिमिटेड के अधिकारियों के मुताबिक एलसीएच की फ्लाइट टेस्टिंग अलग-अलग ऊंचाइयों पर की गई है। इसे समुद्र स्तर से लेकर सियाचिन रेंज तक में उड़ाकर परखा गया है। साथ ही अत्यधिक ठंडी जलवायु से लेकर रेगिस्तानी गरम वातावरण में भी उड़ाया जा चुका है। इन परीक्षणों के दौरान कई तरह के मिशन सेंसर की भी जांच की गई है, जैसे कि इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम, हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम, सॉलिड स्टेट डेटा, वीडियो रिकॉर्डर के अलावा वेपन सिस्टम में 20 एमएम टरट गन, 70 एमएम रॉकेट और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम भी शामिल हैं। इस दौरान वेपन फायरिंग ट्रायल भी पूरे किए गए हैं। इसके कुल चार प्रोटोटाइप को इस काम में लगाया गया था, जिन्होंने कुल मिलाकर 2,000 से ज्यादा उड़ानें भरी हैं, जिसमें करीब 1,600 फ्लाइट ऑवर्स पूरे हुए हैं।

एयर फोर्स को 10 और आर्मी को 5 एलसीएच की मिली है मंजूरी

एयर फोर्स को 10 और आर्मी को 5 एलसीएच की मिली है मंजूरी

एलसीएच के एयर फोर्स वेरिएंट के लिए शुरुआती ऑपरेशन क्लियरेंस 2017 में ही दे दी गई थी और आर्मी वेरिएंट के लिए यह मंजूरी 2019 में मिली थी। 2021 के नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक तौर पर लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर इंडियन एयरफोर्स को सौंपा था, जिसके बाद इसके अंतिम तौर पर इसमें शामिल होने का रास्ता साफ हो गया था। इस साल मार्च में कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी ने 3,887 रुपए की लागत से 10 वायुसेना के लिए और 5 सेना के लिए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर खरीद को मंजूरी दी थी। इसकी लागत में 377 करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर लागत भी शामिल था।

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की विशेषता

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की विशेषता

हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर होने के बावजूद एलसीएच अधिकतम 5.8 वजन के साथ उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी अधिकतम रफ्तार 268 किलोमीटर प्रति घंटे है और यह एकबार में 550 किलोमीटर की रेंज तक उड़ सकता है। यह अधिकतम 6,500 मीटर तक की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और तीन घंटे से ज्यादा समय तक हवा में रह सकता है। दुश्मनों के रडार और मिसाइलों से बचने के लिए यह हेलीकॉप्टर रडार-अब्जॉर्बिंग मटेरियल इस्तेमाल करता है और इसका स्ट्रक्चर काफी हद तक क्रैश-प्रूफ है और इसमें लैंडिंग गीयर भी इस्तेमाल की गई है, जो इसे ज्यादा सुरक्षित बनाता है। इसकी केबिन ऐसी है, जो कि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से भी सुरक्षित है।

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हर साल 30 एलसीएच निर्माण का लक्ष्य

हर साल 30 एलसीएच निर्माण का लक्ष्य

हिंदुस्तान एयरोनॉटिसक्स लिमिटेड के मुताबिक उसे 160 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर बनाना है, जिसमें 65 भारतीय वायुसेना और 95 आर्मी को मिलेंगे। एचएएल हर साल 30 हेलीकॉप्टर निर्माण के लक्ष्य के साथ उत्पादन करना चाहता है, इससे आने वाले 8 वर्षों में वह 145 एलसीएच का उत्पादन पूरा कर सकता है। बीते 29 सितंबर को बैंगलुरू में भारतीय सेना में शामिल किए जाने के बाद ये हेलीकॉप्टर सोमवार को औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना को भी जोधपुर में सौंप दिया गया है। (तीसरी और चौथी तस्वीरें सौजन्य: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ट्विटर हैंडल @rajnathsingh से)

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English summary
Indian Air Force gets the first indigenous Light Combat Helicopter. Ready to attack enemies. Capable of operation in all climates
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