पोस्ट कोविड लक्षणों के साथ दिल्ली के अस्पतालों में बड़ी संख्या में आ रहे बच्चे, हो रही ये समस्या
नई दिल्ली, 13 जुलाई। कोरोना से बचाव के लिए सभी उम्र के लिए वैक्सीन आ चुकी है लेकिन अभी भी 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन नहीं आई हैं ऐसे में बच्चों की वैक्सीन के लिए लोगों को बेसब्री से इंतजार है। इसी बीच दिल्ली के निजी अस्पतालों में पोस्ट कोविड पेसेन्ट में बच्चों की तादात बढ़ती जा रही है जो चिंता का विषय है।
डॉक्टरों ने कहा कि न केवल वयस्क बल्कि बच्चे भी जो कोविड से जूझ चुके हैं, वे अस्पतालों में बड़ी संख्या में पोस्ट-कोरोनावायरस लक्षणों जैसे गैस्ट्रिक, सिरदर्द, ब्रेन फॉगिंग, सांस की तकलीफ जैसी समस्याओं को लेकर पहुंच रहे हैं। बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MISC ) की शिकायतों के अलावा, विशेषज्ञ उन बच्चों को भी देख रहे हैं, जिन्हें हल्के कोविड था, उनके पास देरी से ठीक होने के बाद आ रहे थे।
बच्चों में थकान, शरीर में दर्द, पाचन संबंधी समस्याएं हो रही
डॉ राहुल नागपाल, निदेशक, बाल रोग, फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज ने मिंट को दिए इंटरव्यू में बताया कि "सौभाग्य से, बच्चों में बहुत गंभीर कोविड नहीं था। हमें बच्चों में कुछ ऐसे मरीज मिले जिन्हें जन्मजात हृदय रोग, गुर्दे की कुछ विकार, गंभीर अस्थमा या मोटापा था, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी। कोविड के बाद हम बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम देख रहे हैं। यह 1 से 2% मामलों में होता है, लेकिन यह भी एक बड़ी संख्या है। उचित दवाओं और पहचान के साथ, इसे ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर ने बताया पोस्ट कोविड के सिम्टम के साथ जो बच्चे हमारे पास आ रहे हैं इनमें दस्त के बहुत सारे रोगी हैं। थकान, शरीर में दर्द, पाचन संबंधी समस्याएं।
माइग्रेन की शुरुआत हो सकती है
वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि कुछ किशोरों को सिरदर्द हो रहा है, जो उनमें माइग्रेन की शुरुआत हो सकती है। लेकिन इसका और अध्ययन करने की जरूरत है। चूंकि यह कोविड के बाद हुआ है, इसलिए यह महसूस किया जाता है कि यह संक्रमण के कारण है, लेकिन इसकी जांच की जानी चाहिए।
OneIndia Exclusive: कोरोना से कैसे करें बच्चों का बचाव, कैसे करें देखभाल, जानें विशेषज्ञ से
उन्हें
याद
नहीं
है
कि
उन्होंने
क्या
पढ़ा
उजाला
सिग्नस
ग्रुप
ऑफ
हॉस्पिटल्स
के
संस्थापक-निदेशक
डॉ
शुचिन
बजाज
ने
कहा
कि
बच्चे
ब्रेन
फॉगिंग
की
समस्या
का
सामना
कर
रहे
हैं
और
उन्हें
याद
नहीं
है
कि
उन्होंने
क्या
पढ़ा।
उनके
पास
ज्यादा
ऊर्जा
नहीं
बची
है,
वे
तनावग्रस्त
हैं,
चिंतित
हैं।
माता-पिता
ब्रेन
फॉगिंग
को
भ्रमित
कर
सकते
हैं
क्योंकि
बच्चे
ऑनलाइन
कक्षाओं
में
पढ़ने
या
उपस्थित
न
होने
का
बहाना
बनाने
की
कोशिश
कर
रहे
हैं,
लेकिन
ये
वास्तविक
लक्षण
हैं।
जिन
बच्चों
को
गंभीर
कोविड
था,
उनमें
सांस
की
तकलीफ,
शौचालय
जाते
समय
भी
गंभीर
हृदय
गति
बढ़ना,
गंभीर
सिरदर्द
जैसे
लक्षण
पाए
गए।
उन्होंने
कहा,
"ये
लक्षण
तीन
से
चार
महीने
तक
बने
हुए
पाए
गए।
"Pregnancy के नौवें महीने में भी बेहिचक महिला लगवा सकती हैं कोरोना वैक्सीन- एक्सपर्ट
बच्चों को अस्पताल आने में लग रहा है डर
श्याम कुकरेजा, निदेशक और बाल रोग विभाग के प्रमुख और संक्रामक रोग विशेषज्ञ, मैक्स अस्पताल ने कहा कि कोविड के डर के कारण बच्चों को समाज से दूर रहना, घर पर रहने मनोवैज्ञानिक मुद्दों का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "मैंने बच्चों को अस्पतालों में आने से डरते देखा है क्योंकि उन्होंने अपने परिवारों में कोविड को देखा है या वायरस के कारण अपने प्रियजनों को खो दिया है। वे अनावश्यक रूप से चिंतित हैं या नर्वस ब्रेकडाउन का सामना कर रहे हैं। कुकरेजा ने कहा कि उन्होंने दूसरी कोविड लहर के बाद MISC के लगभग 50 मामले देखे हैं।