क्या सच में राजस्थान से चीतल कूनो में चीतों के लिए भेजे गए, अधिकारी ने दिया जवाब
भोपाल, 21 सितंबर। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जिस तरह से नामीबिया से लाए गए चीता सुर्खियों में हैं उसके बीच यह रिपोर्ट भी सामने आई थी कि उनके शिकार के लिए राजस्थान से चीतल लाए गए हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के फॉरेस्ट विभाग ने इस तरह की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि चीताओं के लिए राजस्थान से चीतल नहीं लाए गए हैं। बता दें कि राजस्थान के बिश्नोई समाज की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इसका विरोध किया गया था। बिश्नोई समाज की ओर से पीएम मोदी को पत्र लिखकर राजस्थान के चीतल को कूनो नेशनल पार्क चीतों के शिकार के लिए भेजे जाने पर चिंता जाहिर की गई थी।
कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए तीन चीते
बता दें कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में से तीन चीतों को पीएम मोदी ने जंगल में छोड़ा था, इन्हें एक संरक्षित और सुरक्षित इलाके में छोड़ा दिया गया है। गौर करने वाली बात है कि भारत में 1952 में चीता विलुप्त हो गए थे, उसके बाद से उन्हें एक बार फिर से भारत के जंगल में लाया गया है और उनका संरक्षण किया जाएगा।
क्या चीतों के लिए लाए चीतल ?
सांबर और चीतल को चीतों का शिकार माना जाता है। यही वजह है कि इस तरह की रिपोर्ट्स सामने आई थी कि राजस्थान से चीतल इन चीताओं के लिए लाए गए हैं।
जानिए अधिकारी ने क्या दिया जवाब ?
मध्य प्रदेश चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन जसबीर सिंह चौहान ने बयान जारी करके कहा राजस्थान से कूनो एक भी चीतल नहीं लाया गया है। कूनो में पहले से 20 हजार चीतल हैं, इसके अलावा कई वाइल्डलाइफ पार्क भी हैं, जहां पर पर्याप्त मात्रा में चीतल हैं। गर्मियों में कई जगहों पर पानी की कमी हो जाती है, जिसकी वजह से इन जानवरों को दूसरी जगह पर भेजा जाता है, ताकि वह पानी और भोजन प्राप्त कर सके। इसी प्रक्रिया के तहत चीतल को सतपुरा नेशनल पार्क, संजय गांधी नेशनल पार्क, नौरादेही जंगल और कूनो से यहां वहां स्थानांतरित किया जाता है। इन जानवरों को इन जगहों से इसलिए भी अलग किया जाता है क्योंकि ये खड़ी फसल को खा जाते हैं।