सलाम सचिन ! ब्लड कैंसर मरीज के लिए मसीहा बना 22 साल का युवा, स्टेम सेल डोनेट कर बचाई जान
22 वर्षीय मेडिकल स्टूडेंट ने कैंसर पीड़ित के लिए स्टेम सेल दान किया है। कैंसर पीड़ित की मदद कर युवा छात्र ने कहा, स्टेम सेल डोनेशन का प्रोसेस काफी आसान है और लोगों को भी आगे आना चाहिए। kerala boy sai sachin stem cell don
तिरुवनंतपुरम, 03 अगस्त : रक्तदान महादान कहा गया है। विज्ञान के विकास के साथ-साथ अब कई तरीकों से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे शख्स की जान बचाई जा सकती है। जान बचाने या इलाज में मदद की प्रक्रिया इतनी सरल है जिसमें कुछ घंटों का समय और थोड़ा सा साहस चाहिए। केरल के 22 वर्षीय युवा साई सचिन ने ऐसी ही मिसाल पेश की है। उन्होंने कैंसर पीड़ित की मदद के लिए स्टेम सेल डोनेट किया है।
ब्लड कैंसर के मरीज की मदद
स्टेम सेल दान करने की प्रक्रिया काफी सरल है। साई सचिन तिरुवनंतपुरम जिले के कट्टकाडा के 22 वर्षीय मेडिकल छात्र हैं। उन्होंने ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीज की जान बचाने के लिए स्वेच्छा से अपना स्टेम सेल दान किया। सचिन ने ऐसे समय में एग्जाम्पल सेट किया है जब हजारों मरीज अपने इलाज के लिए स्टेम सेल खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
स्टेम सेल दान करने से पहले पंजीकरण
सचिन ने स्टेम सेल डोनेशन से पहले ब्लड कैंसर के अलावा थैलेसीमिया और अप्लास्टिक एनीमिया जैसे रक्त विकारों के खिलाफ लड़ाई को समर्पित गैर-लाभकारी संगठन (non-profit organization) डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया के कैंपेन के दौरान स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकरण कराया था।
स्टेम सेल दान और डॉक्टरी की पढ़ाई
संभावित स्टेम सेल डोनर के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने वाले सचिन बताते हैं कि ब्लड कैंसर मरीज से उनके स्टेम सेल की मैचिंग होने के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा, डॉक्टरी की पढ़ाई के कारण उन्हें ब्लड कैंसर और दूसरे रक्त विकार की चुनौतियों के बारे में पहले से पता था। ऐसे में वे स्टेम सेल डोनर बनने के लिए प्रेरित हुए।
नीचे देखिए स्टेम सेल डोनर सचिन की तस्वीर (सौजन्य- न्यूइंडियनएक्सप्रेस)
कितना आसान है स्टेम सेल डोनेशन
स्टेम सेल दान करने की पूरी प्रक्रिया में लगभग चार घंटे लगते हैं। सचिन बताते हैं कि रक्त स्टेम सेल दान करना कागजी प्रक्रिया में जटिल लग सकता है, लेकिन हकीकत थोड़ी अलग है। स्टेम सेल दान करने की प्रक्रिया सरल है। उन्होंने कहा कि स्टेम सेल डोनेशन ब्लड प्लेटलेट दान करने जैसा ही है। उन्होंने बताया कि ब्लड स्टेम सेल peripheral blood stem cell collection (PBSC) विधि से निकाला गया। उन्हें एक ऐसी मशीन से जोड़ा गया जिसमें एक हाथ से खून बाहर निकल रहा था और स्टेम सेल फिल्टर करने के बाद खून दूसरी बांह से वापस शरीर में चला गया।
भारत के डॉक्टर की जान थाईलैंड के डॉक्टर ने बचाई
स्टेम सेल डोनेशन से जुड़ा दिलचस्प तथ्य है कि भारत की करीब 140 करोड़ की आबादी में लगभग तीन-चार लाख लोग ही स्टेम सेल दान करते हैं। डोनर की कोई सर्जरी नहीं होती। हाल ही में थाईलैंड के एक व्यक्ति ने भारत के डॉक्टर के लिए स्टेम सेल डोनेट किया था, जिससे उनकी जान बचाई जा सकी। हर इंसान स्टेम सेल डोनर बन सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि 300 मिलीलीटर खून का दान करने से मरीजों को ब्लड कैंसर, अप्लास्टिक एनीमिया, थैलिसीमिया और सिकल सेल जैसी बीमारियों के इलाज में मदद मिलती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के माध्यम से स्टेम सेल मरीज के शरीर में डाला जाता है।
बांग्लादेशी युवा की जान केरल के किशोर ने बचाई
बता दें कि इससे पहले मार्च में भी एक बांग्लादेशी ब्लड कैंसर मरीज के लिए केरल के ही युवा ने ब्लड स्टेम सेल डोनेट किा था। इंटरनेशनल गाइडलाइंस के मुताबिक स्टेम सेल डोनर और जिसे स्टेम सेल दिया गया है, दोनों की पहचान कम से कम दो साल के लिए गोपनीय रखी जाती है। डोनर किशोर देव ने 22 साल के कैंसर मरीज अतानु किशोर को कोलकाता के टाटा मेडिकल सेंटर में स्टेम सेल डोनेट किया था। किशोर ने डोनर के रूप में 2017 में पंजीकरण कराया था।