केजरीवाल गुजरात में क्या हिन्दुत्व की नाव पर ही सवार होना चाहते हैं?
केजरीवाल पर जब 'सॉफ़्ट हिंदू' होने के आरोप लगे तब उन्होंने जवाब दिया था कि, "क्या आप मंदिर नहीं जाते? मंदिरों में जाना कुछ ग़लत नहीं है. मैं हिंदू हूं. राम मंदिर, हनुमान मंदिर जाता हूं उसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए? मुझ पर क्यों आरोप लगते हैं?"
"एक बूढ़ी अम्मा आईं. आकर धीरे से मेरे कान में कहा, बेटा अयोध्या के बारे में सुना है?"
मैंने कहा, "अयोध्या जानता हूं अम्मा. वही अयोध्या न जहां भगवान राम का जन्म हुआ था?"
वो बोलीं, "हां वहीं अयोध्या. कभी गए हो वहां पर?"
मैंने कहा, "हां गया हूं. रामजन्मभूमि जाकर बहुत सुकून मिलता है."
वो बोलीं, "मैं बहुत ग़रीब हूं. गुजरात के एक गांव में रहती हूं. मेरा बहुत मन है अयोध्या जाने का."
मैंने कहा, "अम्मा आपको अयोध्या ज़रूर भेजेंगे. एसी (एयर कंडीशनर) ट्रेन से भेजेंगे. एसी होटल में ठहराएंगे. गुजरात की एक बुज़ुर्ग और माताजी को हम अयोध्या में रामचंद्रजी के दर्शन कराएंगे."
"मां एक ही विनती है. भगवान से प्रार्थना करो कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बने."
बुज़ुर्गों के 'तीर्थस्थल दर्शन योजना' में केवल हिंदू धर्मस्थल
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 11 मई को राजकोट में आयोजित एक सभा में ये बातें कही थीं.
उस दौरान उन्होंने दिल्ली की आप सरकार की एक योजना का ज़िक्र भी किया था.
केजरीवाल ने कहा था कि, "इस योजना के तहत हम दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों और बुज़ुर्गों को मुफ़्त में तीर्थयात्रा करवाते हैं. हरिद्वार, ऋषिकेश, शिरडी सांई बाबा, मथुरा, वृंदावन, रामेश्वरम, अयोध्या जैसे 12 तीर्थस्थलों की यात्रा करवाते हैं."
तब हिंदुओं के अलावा किसी भी अन्य धर्मस्थलों का केजरीवाल ने ज़िक्र नहीं किया था.
ऐसी ही एक 'श्रवण तीर्थ दर्शन योजना' गुजरात में आनंदीबेन पटेल और विजय रूपाणी के दौर से चल रही है. इस योजना के तहत राज्य सरकार यात्रा के पचास फ़ीसद खर्च का वहन करती है.
आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों ही सरकारों की योजना में एक अहम समानता ये है कि दोनों में हिंदू के अलावा अन्य किसी धर्म को स्थान नहीं दिया गया है.
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बीजेपी की राह चल रही 'आप'?
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 2021 के बजट को देश भक्ति बजट का नाम दिया था. केजरीवाल सरकार दिल्ली के स्कूलों में देश भक्ति पाठ्यक्रम की बात भी कर चुकी है.
इनकी हक़ीकतों के आधार पर राजनीतिक विश्लेषकों को लग रहा है कि आम आदमी पार्टी सॉफ़्ट हिंदुत्व की ओर बढ़ रही है, जो कि परंपरागत तौर पर बीजेपी का राजनीतिक मार्ग माना जाता है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने से पहले जब केजरीवाल आंदोलन किया करते थे तब उनके भाषणों की शुरुआत 'भारत माता की जय' और 'इंकलाब ज़िंदाबाद' के नारों से किया करते थे. अब जबकि वो दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं तो उनके भाषणों में 'वंदे मातरम' भी जुड़ गया है.
आज़ादी के 75 साल के उपलक्ष्य में मोदी सरकार ने अमृत वर्ष का आयोजन किया है. इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के दौरान हर घर तिरंगा लगाने का प्रस्ताव लोगों के सामने रखा था. इसी दौरान अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली में तिरंगे का वितरण किया था.
गुजरात के सूरत में बीजेपी ने तिरंगा यात्रा निकाली तो केजरीवाल ने मेहसाणा में तिरंगा यात्रा आयोजित की.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, "लोकप्रिय राष्ट्रवाद का मुद्दा आगे कर यात्राएं निकालना भी परंपरागत तौर पर बीजेपी की शैली है. आम आदमी पार्टी भी वही राह अपना रही है."
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केजरीवाल गुजरात में कौन से धर्मस्थलों में गए?
एक समय था जब सालों की मेहनत के बाद भी बीजेपी राष्ट्रीय राजनीति में बहुत आगे नहीं बढ़ सकी थी. लेकिन बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और उप-प्रधानमंत्री रह चुके लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 में गुजरात के सोमनाथ मंदिर से रथयात्रा निकाली तो उसके बाद पार्टी काफ़ी तेज़ी से आगे बढ़ी.
सोमनाथ मंदिर की धार्मिक के साथ-साथ देश में राजनीतिक महत्व भी बहुत है. ये अरविंद केजरीवाल को बहुत अच्छी तरह मालूम है.
केजरीवाल 2016 में सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने गुजरात गए थे. इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले वे एक से अधिक बार सोमनाथ जा चुके हैं.
कपाल पर त्रिपुंड और गले में रूद्राक्ष की माला पहने उनकी तस्वीरें सार्वजनिक हैं.
केजरीवाल गुजरात में श्री कृष्ण की नगरी द्वारका भी दर्शन करने गए थे.
इसके अलावा आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी गुजरात के अंबाजी मंदिर, बहुचराजी मंदिर में दर्शन करने गए थे.
गुजरात में आम आदमी पार्टी के नेता और राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव इसुदान गढ़वी जब पार्टी में शामिल हुए थे तब अहमदाबाद के एक कृष्ण मंदिर में उन्होंने केजरीवाल के हाथों 'आप' का गमछा पहना था.
गुजरात 'आप' के अध्यक्ष गोपाल इटालिया जब पार्टी से नहीं जुड़े थे तब उनके कुछ वीडियो वायरल हुए थे. उसमें उन्होंने कथित तौर पर धर्म की आलोचना की थी.
आप से जुड़ने के बाद वो भी गाय के भजनों पर करताल बजाते हुए दिखते हैं. इसके अलावा वे मंदिरों में जा कर भगवान के दर्शन करते हुए भी गाहे बगाहे नज़र आ जाते हैं.
साल 2020 में दिलावी के दौरान केजरीवाल ने दिल्ली के अक्षरधाम में अयोध्या में बन रहे राममंदिर की अनुकृति- रेप्लिका बनाई थी. वहीं पर उन्होंने सपरिवार लक्ष्मी पूजन किया था.
तब डेक्कन हेराल्ड के वरिष्ठ पत्रकार भरत भूषण ने लिखा, "जैसे-जैसे चुनाव की तारीख़ें नजदीक आने लगती हैं, वैसे-वैसे केजरीवाल की धार्मिकता रंग पकड़ने लगती है."
केजरीवाल ख़ुद को हनुमान और रामभक्त बता चुके हैं. गुजरात के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो केजरीवाल की धार्मिकता भी बढ़ती नज़र आ रही है.
केजरीवाल सोमनाथ से लेकर द्वारका तक दर्शन करने जाते हैं. गुजरात के गिरजाघर और मस्जिद जैसे अन्य धार्मिक स्थल हैं लेकिन केजरीवाल वहां नहीं दिखते हैं. ये ठीक बीजेपी की तरह ही है.
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विश्लेषकों को बीजेपी और आप की प्रचार शैली में कई समानताएं नज़र आती हैं. जैसे कि बीजेपी जिस तरह सोशल मीडिया पर एक युद्ध की तरह प्रचार करती है ठीक उसी तरह आम आदमी पार्टी भी किया करती है.
12 सितंबर को अरविंद केजरीवाल अहमदाबाद में एक ऑटो रिक्शा वाले के घर खाना खाने गए थे और 6 सितंबर को गुजरात के गांधीनगर के एक दलित परिवार को दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास पर उन्होंने भोजन के लिए बुलाया था.
उस दौरान आदमी पार्टी की सोशल मीडिया टीम इन सभी मौकों के पल-पल की तस्वीर अपने ट्वीटर, फ़ेसबुक जैसे सोशल हैंडल पर जारी कर रही थी. इसे केजरीवाल के साथ-साथ हज़ारों की संख्या में आप के कार्यकर्ता भी शेयर कर रहे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कांग्रेस मुक्त भारत की बात कही तो केजरीवाल भी गुजरात की एक सभा में कहा कि "कांग्रेस अब ख़त्म हो चुकी है." तो क्या केजरीवाल और मोदी एक ही नाव में सफ़र कर रहे हैं?
गौरतलब है कि केजरीवाल बीजेपी की आलोचना करते हैं लेकिन आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) की आलोचना करते नहीं दिखते.
इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व संपादक श्रवण गर्ग कहते हैं, "आम आदमी पार्टी बीजेपी की नहीं बल्कि आरएसएस की 'बी' टीम है. गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ख़त्म हो जाएगी. वे ऐसा नहीं कहते हैं कि बीजेपी ख़त्म हो जाएगी या कमज़ोर हो जाएगी. आम आदमी पार्टी का उद्देश्य कांग्रेस को ख़त्म करने का है."
वे कहते हैं, "आम आदमी पार्टी विपक्ष में रहते हुए विपक्ष के एक घटक को ख़त्म क्यों करना चाहती है? आप को तो ऐसा करना चाहिए जिससे विपक्ष मजबूत हो लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहे हैं."
श्रवण कहते हैं, "आम आदमी पार्टी के ख़ास उपयोगी भी हैं. पहला, मोदी को नियंत्रण में रखना. दूसरा, अगर वो मोदी और बीजेपी के अलावा एक तीसरी पार्टी के रूप में कांग्रेस को ख़त्म करने में योगदान देती है तो वो कहीं अधिक प्रभावकारी होगी. तीसरा, भविष्य में अगर कांग्रेस मुख्य विपक्ष नहीं रहा तो आम आदमी पार्टी उसकी जगह आ सकती है, तो बीजेपी का ख़ुद का विपक्ष होगा."
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सॉफ़्ट हिंदुत्व
गुजरात में आम आदमी के प्रवक्ता योगेश जादवाणी बीजेपी, आरएसएस और आप की नीतियों में किसी भी प्रकार की समानता का खंडन करते हैं.
बीबीसी गुजराती संवाददाता अर्जुन परमार से वे कहते हैं, "आम आदमी पार्टी किसी धर्म नहीं, बल्कि मानवता के प्रति समर्पित पार्टी है. हम मानवतावादी विचारधारा में विश्वास रखते हैं. तमाम धर्मों में मानवता सबसे ऊपर है. इसलिए आप का आरएसएस की 'बी' टीम होने की बात निराधार है."
वे कहते हैं, "केजरीवाल कहते हैं कि मैं हिंदू हूं और हिंदू धर्म में आस्था रखता हूं. ये सच है इसलिए वो कह रहे हैं. लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वो ऐसा नहीं कह रहे. हिंदू मुस्लिम का मुद्दा उठाकर लोकप्रियता बटोरने की बातें करने वाले आरएसएस जैसी हमारी राजनीति नहीं है. लोगों को क्वॉलिटी लाइफ़ मिले यही हमारी राजनीति की प्राथमिकता है."
संघ और आप की राजनीति पर गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व संपादक दिलीप गोहिल कहते हैं, "एक बात तो स्पष्ट है कि अन्ना हज़ारे का जो आंदोलन था उसे आरएसएस ने आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई थी. गांव-गांव अन्ना आंदोलन के कार्यक्रम होने लगे थे क्योंकि संघ परिवार से जुड़े लोग उसमें शामिल थे. उस आंदोलन का सबसे बड़ा फ़ायदा बीजेपी को हुआ और नुकसान कांग्रेस को. उस आंदोलन से ही आम आदमी पार्टी ने जन्म लिया तो उस पर संघ परिवार से निकटता के व्यंगात्मक आरोप होंगे यह स्वाभाविक है."
2021 में गोवा के चुनाव से पहले केजरीवाल ने वहाँ के हिंदुओं को मुफ़्त में अयोध्या, मुसलमानों को अज़मेर शरीफ़ और ईसाइयों को मुफ़्त में तमिलनाडु के वेलंकन्नी चर्च ले जाने की बात कही थी. गोवा में हिंदु आबादी 66 फ़ीसद, ईसाई 25 और मुसलमान 8.33 प्रतिशत हैं.
केजरीवाल के साथी रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने बीते वर्ष बीबीसी संवाददाता राघवेंद्र राव से कहा था कि, "अरविंद केजरीवाल की 'कोई ख़ास विचारधारा नहीं है' और उन्हें लगता है कि 'जो चीज़ हमको वोट दिलवाएगी वो हमको करना चाहिए.' केजरीवाल का थोड़ा-सा वैचारिक झुकाव 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की तरफ़ हो सकता है."
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जो केजरीवाल 2014 में ऐसा कहते थे कि सांप्रदायिकता भ्रष्टाचार से ज़्यादा ख़तरनाक है.
केजरीवाल गुजरात में वरिष्ठ नागरिकों को हिंदु तीर्थस्थलों की यात्रा करवाने का वचन देते हैं और गोवा के 25 फ़ीसद ईसाइयों से तमिलनाडु के चर्च में ले जाने का वादा भी करते हैं.
डेक्कन हेरल्ड के अपने लेख में भरत भूषण लिखते हैं, "बहुसंख्यक समुदाय के वोट पर नज़र रखते हुए और राज्य संरक्षण के माध्यम से केजरीवाल की धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या सार्वजनिक जीवन में धार्मिकता को बढ़ावा देना है."
वे लिखते हैं, "केजरीवाल कि राजनीति और शासन, धर्मनिरपेक्षता के मामले में विफल रही है. नागरिकता संशोधन अधिनियम- सीएए के ख़िलाफ़ दिल्ली में जो लोग प्रदर्शन कर रहे थे केजरीवाल ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया था."
"दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया और जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) के छात्रों के साथ जो मारपीट हुई थी उसमें भी उन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया."
"तब भी उनका यही कहना था कि दिल्ली की क़ानून व्यवस्था केंद्र सरकार के हाथ में है. उन्होंने कहा था कि यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है."
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केजरीवाल पर जब 'सॉफ़्ट हिंदू' होने के आरोप लगे तब उन्होंने जवाब दिया था कि, "क्या आप मंदिर नहीं जाते? मंदिरों में जाना कुछ ग़लत नहीं है. मैं हिंदू हूं. राम मंदिर, हनुमान मंदिर जाता हूं उसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए? मुझ पर क्यों आरोप लगते हैं?"
https://twitter.com/ANI/status/1457364483387506700
केजरीवाल ने गुजरात में कहा है कि अगर उनकी सरकार यहां पर बनती है तो 18 साल से ऊपर की महिलाओं को हर महीने एक हज़ार रुपये सन्मान राशि मिलेगी.
2002 के गुजरात दंगों के बाद गोधरा के पास बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या केस में आजीवन क़ैद की सज़ा पाने वाले 11 लोगों को जेल से रिहा करने के मामले पर केजरीवाल या आम आदमी पार्टी ने अब तक कुछ नहीं कहा है.
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